सियासत में जात नहीं पूछी जाती सिर्फ जीत गारंटी ली जाती है

खरी-खरी            Jan 19, 2017


राकेश अचल।
कोई लाख कहे लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा का उद्धार केवल और केवल कांग्रेसी ही कर सकते हैं। सर्वशक्तिमान भाजपा ने कांग्रेस के सबसे निशक्त एनडी तिवारी को अपना कर साबित कर दिया है कि भाजपा के पास आज भी तिवारी के कद वाला कोई नेता नहीं है। तिवारी जी कांग्रेस के दिग्गज रहे हैं और अखंड उत्तरप्रदेश के उत्तरदायी नेता भी रहे हैं और उत्तराखंड के भी।

भाजपा ने आम चुनाव में अखंड बहुमत हासिल करने के बावजूद इतना आत्मविश्वास हासिल नहीं किया है कि वो अकेले उत्तरप्रदेश को फतह कर लेगी। उत्तराखण्ड,उत्तरप्रदेश और पंजाब में भाजपा कांग्रेस के नेताओं को चुनावों की घोषणा के बाद भी गले लगाती जा रही है,भाजपा में शामिल किये गए नेता भी ऐसे जो एक समय भाजपा की आलोचना का प्रमुख केंद्र रहे हैं लगता है कि भाजपा के पास कोई पारसमणि है जिसके स्पर्श से भाजपा हर दागी को बड़भागी बनाने में समर्थ है।

भाजपा के तेजी से हो रहे कांग्रेसीकरण की वजह से भाजपा के संघ दीक्षित कार्यकर्ताओं में घबराहट है। कोई माने न माने किन्तु वास्तविकता ये है कि यूपी के विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय महत्व के बन गए हैं। अगर ऐसा न होता तो भाजपा कांग्रेसियों को खुले दिल से अपनाने के लिए बाध्य न होती। भाजपा ने बसपा और सपा के नेताओं को भी शरण दी है किन्तु सबसे ज्यादा चौंकाने वाला फैसला एनडी तिवारी का है। तिवारी को लेकर अब भाजपा में जितने मुंह उतनी बातें हो रहीं हैं। नैतिकता की बातें करने वाले भाजपा नेता बगलें झांकते नजर आ रहे हैं।

विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा आज जो कुछ करने पर आमादा है उससे लगने लगा है कि अब सियासत में कोई भी विश्वसनीय नहीं रहा है। आखिर जनता किस पर भरोसा करे ? भाजपा की इस मुहिम से देश कांग्रेसविहीन हो या न हो किन्तु भाजपा अवश्य कांग्रेसमय होती जा रही है। एनडी तिवारी ने अपने अतीत में कांग्रेस से बगावत की थी लेकिन बाद में कांग्रेस की शरण में आ गए थे। अब तिवारी जी भाजपा के साथ हैं। दल-बदल की इस नई घटना से प्रमाणित हो गया है कि नेताओं की कोई जाति नहीं है। यानि सियासत में जाति पूछी ही नहीं जाति, नेताओं से केवल जीत की गारण्टी ली जा रही है।

दल-बदल क़ानून लाने वाली कांग्रेस ही देश में दल-बदल की जननी रही है। आज भी कांग्रेस को दल-बदल से कोई परहेज नहीं है। कांग्रेस ने हाल ही में भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू को अपनाया है अभी ये सिलसिला जारी रहने वाला है। जब तक प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी नहीं हो जाती तब तक ये सिलसिला थमने वाला नहीं है, ऐसे में जनता के लिए अपना टिकाऊ प्रतिनिधि चुनना आसान नहीं है।
दुनिया के सबसे ज्यादा टिकाऊ माने जाने वाले लोकतंत्र में इस तरह की उलटबांसियां देखकर दुनिया की क्या प्रतिक्रिया आयेगी ये अभी कहा नहीं जा सकता। हाँ इस समय इतना जरूर कहा जा सकता है कि असली नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट भाजपा का है क्योंकि उसके पास एनडी तिवारी हैं। जिनका एनडीए सुप्रीम कोर्ट भी जंचवा चुका है। जनता को उनका या उन्हें अपनाने वाली भाजपा का डीएनए जांचने के लिए कोई नई विधि ईजाद करना पड़ेगी।



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