डॉ.रजनीश जैन।
बयान क्र 1 -
"...जब मैं मुख्यमंत्री बना तो चंबल में डकैतों का बहुत आतंक था।...मैंने तय किया बहिनों भाइयों...चंबल की धरती पर,...मध्यप्रदेश की धरती पर , या तो शिवराज सिंह रहेगा या फिर डकैत रहेंगे...बहिनो और भाइयो..."
(मुख्यमंत्री शिवराज सिंह , अटेर जिला भिंड उपचुनाव की सभा में)
बयान क्र.2-
" ही ही ही ...देखो प्रेस में ये ऐसे नहीं जायेगा,...नहीं तो मैं सबको थाने में बैठा दूंगी, बता दे रई हूँ..."
(सलीना सिंह, आईएएस मुख्य चुनाव अधिकारी, मप्र, भिंड में नई ईवीएम के डेमो में पत्रकारों को धमकाते हुए, तब जब कोई भी बटन दबाने पर मशीन से कमल की ही पर्ची निकली)
कल दिन शुक्रवार के ये दो बयान हैं। दुनिया के उस सबसे बड़े और महान लोकतंत्र के जहाँ जनादेश का अपहरण होता है, राजनैतिक दलों की पकड़ होती है और समर्थन फिरौती में दिया जाता है। यह लोकतंत्र की डकैती का युग है।'शिवराज हों या सलीना सिंह ,अस़्ल में दोनों एक हैं। लड़ने के पहले प्रत्याशी, कमल से निजात पाये क्यों।'
हम चुनाव कराने में भी विश्वगुरू हैं। हमारी मशीनों और चुनाव आयोग की कृपा से आजकल कई देशों में लोकतंत्र की मुरझाई लता फिर से हरी हो रही है। हमारी कुशलता अब किसी प्रमाण की मोहताज नहीं। हमारी सेवा अब आन डिमांड है। हिमालय की कंदराओं से लेकर जेद्दाह के रेगिस्तान तक और बंगाल की खाड़ी से अरब सागर तक कहीं भी कभी भी वोट डलवा लो 'ओनली कमलानि विगसन्ति' ...अर्थात कमल ही खिलेगा।' जिस देश का कमल जैसा और जिस रंग का हो हम वहाँ वैसा खिला देंगे।
हे जनताजनार्दन आपके लिए एक संदेश डेढ़ दशक पहले जब फेसबुक वगैरह कुछ नहीं था तभी फोटोकापियों से वायरल हुआ था। याददाश्त कमजोर होने से तुम ज्यादातर चीजें भूल जाते हो। उस संदेश का मुखड़ा कुछ इससे मिलता जुलता था-
खूब करो मतदान तुम्हारी...
.... जय जय जय हो !!
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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