रवीश कुमार।
कांग्रेस पार्टी ने निर्भया कांड से कुछ सीखा है तो कर्नाटक के गृहमंत्री को पद से हटा देना चाहिए। बंगलुरू में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर लड़कियों के साथ भीड़ ने छेड़खानी की है। इस घटना की तस्वीर न सिर्फ लड़कियों बल्कि आम शहरी के मन में ख़ौफ़ पैदा करती है। 2008 में मुंबई में भी ऐसी घटना हुई थी जब भीड़ ने लड़कियों को घेर लिया था। इसी भीड़ के छोटे हिस्से ने निर्भया को कुचल दिया। समाज बिल्कुल नहीं बदला है। निर्भया कांड के बाद कानून भी बना, भीड़ का ही ज़ोर था कि इस कानून की कुछ ख़ामियों पर लोगों ने ज़बान बंद कर ली मगर तब यक़ीन दिलाया गया था कि कानून से ख़ौफ़ पैदा होगा। इस कानून का बहुत कुछ तो असर हुआ ही होगा मगर बंगलुरू की घटना और आए दिन छेड़खानी और बलात्कार की घटना से लगता है कि एक मर्द और भीड़ में आए कई मर्दों का हौसला कमज़ोर नहीं पड़ा है। बहुत जरूरी है कि इन मर्दों का इलाज हो।
आई टी कैपिटल या फ़ाइनैंस कैपिटल जैसे तमग़ों से हम किसी नतीजे पर नहीं पहुँचेंगे क्योंकि किसी भी जगह के भारतीय समाज में बड़ी संख्या में मर्दों की क्वालिटी यही है। उनके भीतर अनेक कारणों से वहशीपन भरता रहता है। बंगलुरू की तस्वीर में वे सिर्फ गुंडे नहीं लगते हैं,जानवर हैं। फिलहाल कांग्रेस पार्टी और ख़ासकर राहुल गांधी को ट्वीट करना चाहिए कि वे गृहमंत्री के बयान का विरोध करते हैं और मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि गृहमंत्री को पद से हटा दें। कर्नाटक के जिन पुलिस अधिकारियों ने ऐसे बयान दिये हैं, उन्हें भी बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। वे किसी लायक़ नहीं है।मामला यही ख़त्म नहीं होना चाहिए। कर्नाटक पुलिस को चुनौती दी जानी चाहिए कि भीड़ में शामिल एक एक लड़के को गिरफ़्तार करे।
दूसरी सरकारों के मंत्री क्या बयान देते हैं,कार्रवाई होती है या नहीं,आप उनके बर्ख़ास्त किये जाने का पोस्ट लिख सकते हैं या नहीं, लिख देंगे तो सोशल मीडिया के पार्टी गुंडे क्या हाल करेंगे, ये सब बातें बाद में होती रहेंगी। यह भी सही है कि गाँव देहात में महिलाओं के साथ ऐसी घटना पर स्वार्थी शहरी और मध्यम वर्ग चुप रह जाता है,इसके बाद भी ऐसी घटनाओं के संदर्भ में सख़्त कार्रवाई देश भर की महिलाओं को सुरक्षा का संदेश देता है। जनता नोट करे कि कोई भी दल हो,उसके वोट से अक्सर इसी क्वालिटी के नेता चुने जाते रहे हैं जो पद पर पहुँच कर शर्मनाक बयान देते हैं।
बंगलुरू की घटना अक्षम्य है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जो दूसरा गृह मंत्री आएगा उसकी सोच ऐसी नहीं होगी। आप केंद्र से लेकर तमाम राज्यों में ऐसे बदमिज़ाज और बदज़ुबान मंत्रियों को बेख़ौफ़ बोलते सुनते ही रहते हैं। कर्नाटक के गृहमंत्री का बयान शर्मनाक तो है ही, उनके भाव से भी लगता है कि इस तरह के सज्जन भारतीय राजनीति में किस संवेदनशीलता के साथ यहाँ तक पहुँच जाते हैं। इसलिए हटाने से आगे जाकर सभी दलों को कुछ नए सिरे से सोचना होगा। सोचना चाहिए।
कस्बा से साभार।
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