समीर खान।
आज कुलभूषण आजाद हो जाएगा और भारतीय टीम हमारे जाबांज शहीदों की शहादत का बदला ले लेगी। देशभक्त सुबह से तैयार हैं, भारतवासी मैच देखेंगे। पाकिस्तान के हर गिरते विकेट पर खुश होंगे कि हमने सीमा पर हुई गोलीबारी का बदला मैदान पर ले लिया। हम पाकिस्तानी टीम को मैच हरा देंगे तो शायद हमें कुलभूषण जिन्दा मिल जाएगा।
देशवासियों की ख़ुशी को देखकर उम्मीद तो यही की जा रही है कि जो राष्ट्रप्रेम उनकी रगों में हिलोर मार रहा है वह पानी हो चुका है। प्रधान सेवक यात्रा पर हैं, 56 इंच की छाती लिए भारत के क्रिकेटप्रेमी आज देशद्रोही बीसीसीआई के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। देश की अखंडता की बात करने वाले बुद्धिजीवी और साहसिक बातें करने वाले जुमलेबाज खामोश हैं। वह नपुंसक देश पाकिस्तान हमारी सीमाओं पर रोज हमारे जवानों की लाशें बिछा रहा है और हम कह रहे हैं बदला लेंगे। उसकी गोली सीना छलनी कर रही है और साहब अपनी छाती फुलाये घूम रहे हैं। देश खुश है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैच होगा।
धिक्कार है ऐसे देशवासियों की भक्ति पर जो मौका देखकर बदल जाया करती है। जिस देश में सिर्फ अफवाह पर जिंदगी लाशों में बदल जाती हों, बलात्कार पर दिल्ली से गाँव तक कैंडल मार्च हो जाता हो, मजहब के नाम पर दुकानें बंद करा दी जाती हों, आंदोलन और प्रदर्शन किए जाते हों वह हमारे सैनिकों की जान का सौदा दुश्मनों का खेल देखकर करने वाले हैं। ब्यान आता है जो पाकिस्तान का दोस्त वह हमारा दुश्मन, जो पाकिस्तान से हाथ मिलाए उसका हाथ काट दिया जाए, जो पाकिस्तान से रिश्ता रखे उसकी जिंदगी ख़त्म कर दी जाए फिर आज इस मुल्क को हो क्या गया है। तो फिर पाकिस्तान के साथ मैच खेलने वाले खिलाडियों और मैच खेलने के लिए उत्साहवर्धन करने वालों को क्या नाम देंगे आप, क्या सलूक होना चाहिए यह भी तय कर लीजिए।
इतनी लाचारी और बेबसी की हमारा आईसीसी पर कोई जोर नहीं। जब रूस ओलम्पिक का बहिष्कार कर सकता है तो चैंपियन ट्रॉफी को न कहने में प्रधानमंत्री को पसीने क्यों छूट रहे हैं। हिन्दुस्तान की इज्जत आज विश्व के सामने तार- तार की जा रही है और देशभक्त मजे में हैं। मुल्क के करोड़ों हिन्दुस्तानियों की बेहोशी यह बताने के लिए काफी है कि हम अपने सैनिकों की शहादत पर घड़ियाली आंसू बहाते हैं, जब उनकी विधवाएं विलाप करती हैं तो हम सिर्फ निंदा के परमाणु बरसाते हैं। जब शहीद का परिवार प्रलाप करता है तो हम महज खून में उबाल मारकर ठंडे हो जाते हैं। शर्म करो देशवासियों, जो तुम्हारी हिफाजत में अड़े हैं, डटे हैं, हथेली पर जान लिए सरहद पर खड़े हैं वह तुम्हारे अपने हैं और उनके सर कलम करने वाला गद्दार मुल्क पाकिस्तान है।
दुश्मन देश के खिलाडियों के साथ मैच खेलना देशद्रोह ही है, कोई देशभक्ति तो नहीं और जो इस मैच का समर्थन करे वह देशप्रेमी तो कतई नहीं। आश्चर्य है आज आमजनता के साथ तमाम राजनैतिक दलों, मीडिया, समाजसेवियों, संघ-संगठनों का गुस्सा और विरोध कहीं दफन हो गया है। मैच हो तो फिर ऐसा हो कि भारत की क्रिकेट टीम के सामने जब पाकिस्तानी टीम का खिलाड़ी हो तो हमारी टीम उसका सर धड़ से जुदा कर दे। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी हमारे शहीदों के लिए, वरना मुल्क में सब खैरियत है, मैच का आनंद लीजिए पर खुदको देशभक्त कहकर शहीदों की रूह का अपमान मत कीजिएगा।
यह इस देश का दुर्भाग्य है कि फ़ौज और उसके शहीदों की मौत पर हम कोई जुलूस नहीं निकालते न आसमान सर पर उठाते हैं। हमें तो अभी यह तय करना है कि हिन्दू को मुसलमान से कैसे लड़ाया जाए। हमारे पास देश के लिए वक़्त ही कहाँ है क्योंकि हमें तो सियासत करनी है। अगर आज भारत से पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो गया तो हमें खुदको हिन्दुस्तानी कहने में शर्म जरूर आनी चाहिए। आज आपकी खामोशी ने सिद्ध कर दिया कि सरहद पर दुश्मन लाशें बिछाता रहेगा और हम मैच देखकर जश्न मनाएंगे। यही हाल रहा तो जो नारे जेएनयू में लगे उनका शोर हिन्दुस्तान को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और आप सिर्फ चुप रहना।
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