ममता यादव।
ये जो रवीश कुमार जी ने एकतरफा एजेंडा चला रखा है टीवी मत देखो वाला। वो खुद टीवी छोड़ क्यों नहीं देते? जिसको जो पसंद हो वो करने दीजिए। कुछ साल पहले तक वो मेरे पसंदीदा पत्रकारों में से थे अब मुझे उनमे और बाकी में सिर्फ एजेंडे का फर्क समझ आता है बस।
सालों से एक ही रट। आखिर आपका चैनल भी तो लोग देखते ही हैं। फिर सबसे पहले तो ndtv का ही विज्ञापन बंद कराइये इस dth पर हमें इस नम्बर पर देखें वाला। जनता इतनी मूरख नहीं है जितना आप समझ रहे है। पत्रकारिता सिर्फ निष्पक्ष होती है पक्ष या विपक्ष नहीं।
वैसे आजकल ये फैशन चल गया है ये कहने का कि निष्पक्षता कुछ नहीं होती। आप पक्ष या विपक्ष बन गए तो निष्पक्षता को क्यों नकार रहे हैं? जो निष्पक्षता से पत्रकारिता कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित नहीं कर सकते तो हतोत्साहित भी मत करिये।
ऐसे लोगों को आसानी से नोटिस भी नहीं किया जाता वो चुपचाप अपना काम करते रहते हैं। बहुत सारे पत्रकार हैं जिनके दम पर पत्रकारिता टिकी हुई है किसी एक को ये हल्ला मचाने की जरूरत नहीं कि उसने ही पूरा मीडियाई पहाड़ उठाया हुआ है। वैसे भी ज्यादा मैं मैं करने वाले को पसंद करने वाले अपने आप कम हो जाते हैं।
मुझे फोन मत करिये,मुझे मेसेज मत करिये, मुझे कार्यक्रमों में मत बुलाइये, मेरे साथ फोटो मत खिंचाइये। आपने बड़ा लंबा आलेख लिखा था किसी ने फ़ोटो खिंचाने का कहा था तो आपने उसका कैसे इंटरव्यू ले डाला था। इसी पब्लिक ने तो आपको खास बनाया इसी से दूरी?
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