डॉ राकेश पाठक।
अंततः पूरी ज़िन्दगी संघ,जनसंघ और बीजेपी में खपाने वाले ग्वालियर के राज चड्ढा एक 'कड़वा सच' बोल पार्टी से बाहर कर दिए गए..होने ही थे आखिर सत्ता का अपना चरित्र होता है...और वह राजा 'दिगम्बर' है यह कैसे सुन सकता है..। खैर...इस आलेख का विषय राज चड्ढा नहीं हैं लेकिन थोड़े से में उनकी बात करके असल मुद्दे पर बात होगी।
तो भाई साब..राज चड्ढा ने दूध के दांत टूटने के एन बाद से संघ, जनसंघ और बीजेपी की सेवा की। आपातकाल में जेल गए...महाराज बाड़े पर दरी बिछाने से लेकर खूब लाठी डंडे भी खाये। पार्टी गिना सकती है कि उसने राज चड्ढा को दो बार जिला अध्यक्ष बनाया, विधानसभा का टिकिट दिया, मेला अध्यक्ष बनाया और निगम परिषद् में एल्डरमेन बनाया। तो...क्या कोई अहसान किया पार्टी ने..? पूरी ज़िन्दगी होम करने वाले को यह सब न देते तो किसे देते...?
ठीक है उनसे कुछ भूलें भी हुयी होंगीं जैसे मेले की अध्यक्षी में शानदार कामकाज के बावजूद कुछ सवाल उठे लेकिन फिर भी राज चड्ढा जैसे सच्चे ,समर्पित और ईमानदार कार्यकर्ता किसी भी पार्टी में विरले ही होते हैं उन्हें सहेजा जाना चाहिए।
अब जब उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि "मुख्यमंत्री जी प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाईये या मुझ जैसे कार्यकर्ता को बाहर कीजिये.." तो पार्टी ने फ़ौरन से पेश्तर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
आइये अब असल मुद्दे को बात करते हैं...
बात ये है भाइयो बहनो..कि हांडी के इस चावल से आपको यह समझना है कि जिस पार्टी को आप परम पवित्र और कामधेनु के दूध से धुली समझ रहे हैं वो अंदर से बुरी तरह "गंधा" रही है।
मंत्रियों के घपलों के किस्से सबकी जुबान पर हैं, बेलगाम नौकरशाही आम जनता को कीड़ा मकोड़ा समझ रही है(खुद शिवराज ने कहा है)..
कांग्रेस से आने वाले कटनी हवाला कांड की कालिख पुते संजय पाठक निर्द्वन्द मंत्री बने बैठे हैं...ज्ञान सिंह सांसद होकर भी निर्लज्ज़ता से मंत्री बने हुए हैं..तमाम मंत्रियों की शिकायतें लोकायुक्त में धूल खा रहीं हैं..। दिग्गज नेताओं के चिरंजीव पार्टी के असली कार्यकर्ताओं की छाती पर ठसके से मूंग दल रहे हैं..। राष्ट्रीय स्तर से जिला स्तर तक हर ऐरे गैरे नत्थू खैरे,अपराधी,माफिया,तस्कर,भृष्ट को बीजेपी में दाखिला देकर नवाज़ा जा रहा है..। संसद में बीजेपी के सांसदों में सौ से ज्यादा उस "पतित" कांग्रेस पार्टी से आकर आपकी गोद में बैठे हैं जिसे कोस—कोस कर आज आप सत्ता में हैं...।
उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,असम और गोवा में इस बेशरम अनुष्ठान के ढेरों जीते जागते उदाहरण हैं..और उस पर भी तुर्रा यह कि बीजेपी "पार्टी विद डिफ़रेंस" है...। हाँ भई हाँ..है ना पार्टी विद डिफ़रेंस..इतनी पाखंडी पार्टी दूसरी कहाँ है...? और एक बात साफ़ समझ लीजिये खाकसार को बीजेपी और उसके नेताओं से कोई शिकवा ,शिकायत नहीं है..वो बाकायदा सत्ता के संधान के लिए अहर्निश जुटी रहने वाली पार्टी ही है और राजनीति के लिहाज़ से कुछ भी गलत नहीं कर रही...।
तरस तो आपके भोलेपन पर आता है..हाय दैय्या कित्ते क्यूट हैं आप लोग..सच्ची.. पुच्च पुच्च...! बीजेपी को गंगा जल की तरह ,देवलोक से उतरी हुयी..स्वर्गिक संस्कारों से रची बसी..देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं वाली पार्टी अब भी समझते हैं...। उसके हर पाखण्ड की "मरी हुयी मक्खी" को भी इलायची,चिरोंजी समझ कर गटगट पी जाते हैं...! हैं ना...सच्ची आप लोग बहुत प्यारे हैं..एक दम भोले भाले..
और हाँ कांग्रेस के धतकरम, ठठकरम गिनाने का कष्ट यहाँ न उठायें..."खाकसार" ने करीब तीन दशक की 'कलमघसीटी' में ज्यादातर वक्त उसकी बखिया उधेड़ने में ही खर्च किया है..सो वो ज्ञान आप अपनी वॉल पर बेल बूटे लगा कर सजायें...।
तो साहब...राज चड्ढा का मामला हांडी का सिर्फ एक चावल है यह समझने के लिए कि देश जिन लोगों से सबसे ज्यादा उम्मीद लगाये है वे घनघोर पाखंडी हैं..! उन्हें सच सुनने ,सहने की आदत नहीं रही। आप जितनी जल्दी यह समझ लेंगे अच्छा रहेगा।
वैसे सच तो यह भी है कि समझ तो आप रहे हैं सिर्फ सामने कह नहीं पा रहे...आखिर भक्ति मार्ग पर बहुत आगे निकल गए थे न आप..सो जरा सी हिचक हो रही होगा...कोई ना जी कोई ना
..आप अपना पूरा "टैम" लीजिये समझने में साईं..!
Comments