डॉ. चन्दर सोनाने।
सावन मास में निकल रही राजाधिराज महाकाल की सवारी प्रशासन की नासमझी के कारण लाखों दर्शनार्थियों की नजरों से दूर होती जा रही है। जिला प्रशासन की चिंता बस यही है कि सवारी निर्विघ्न निकल जाए, अधिकारियों को जनभावना की जरा भी परवाह नहीं कि उन्हें दर्शन हो भी रहे हैं या नहीं।
सावन महीने के पहले सोमवार को तकरीबन 2.57 लाख श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे, जिला प्रशासन की सख्ती और 6 फीट ऊंचे बेरिकेड की दीवार के कारण श्रद्धालु आसानी से बाबा महाकाल के दर्शन ही नहीं कर पाए।
उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम एक बार अपने मातहत अधिकारियों के साथ बैरिकेड्स के बाहर से पालकी दर्शन करें तो पुलिस-प्रशासन को समझ आ सकता है कि दर्शनार्थी क्यों कोस रहे हैं इस व्यवस्था को।
राजा और प्रजा के बीच यह बाधा है
जब भी कोई नया कलेक्टर जिले में आता है तो सवारी की व्यवस्था पहले से भी अधिक सख्त करने में जुट जाता है, इस बार भी ऐसा ही हुआ। महाकाल और भक्तों के बीच पहले 6 फीट ऊंचे बैरिकेड्स की दीवार, फिर उसके आगे पुलिस जवान। इनके बाद प्रशासनिक अमला और सुरक्षा समिति के सदस्य फिर महाकाल की पालकी।
जब पालकी मंदिर से निकली तो वह पालकी पंडितों, मंदिर समिति के कर्मचारियों और सदस्यों से घिरी रहती है।
जनसुनवाई में शिकायत, गौर नहीं किया
पहले सोमवार को दर्शन न कर पाने से वंचित असंख्य दर्शनार्थियों में से एक अम्बर कॉलोनी निवासी राजेश राठौर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंच गए और पालकी को ऊंचा करने के लिए एक आवेदन भी दिया। अपर कलेक्टर मृणाल मीना ने आवेदन लिया और महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक को आवश्यक कार्रवाई हेतु भेज दिया। जनभावना वाले इस मामले को अपर कलेक्टर ने गंभीरता से लिया ही नहीं।
छात्रों ने समझी पीड़ा और किया नवाचार
एक आम श्रद्धालु की पीड़ा को उज्जैन के शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के 8 छात्रों ने समझा। इन छात्रों ने बाबा महाकाल की सवारी में निकलने वाली पालकी का एक ऐसा मॉडल हाल ही में तैयार किया है। इसमें न सिर्फ दूर से ही भक्तों को पालकी में विराजित अपने राजाधिराज के दर्शन हो सकेंगे, बल्कि सवारी मार्ग में मकानों की छतों और गैलरी से भी भक्त अपने भगवान को निहार सकेंगे।
उज्जैन के शा. पॉलिटेक्निक कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा के फाइनल ईयर के छात्र निकुंज राठौर, रविकांत मांझी, राजसिंह चौहान, मयंक मालवीय, आदर्श शर्मा, सुनील धाकड़, रोहित राठौर और केतन कुमार ने अपने ही कॉलेज के सहायक कर्मशाला अधीक्षक आत्माराम मेघवंशी की परिकल्पना एवं निर्देशन में यह मॉडल तैयार किया है।
यह पालकी 6 फीट की है, किन्तु इसे 8 फुट ऊंचे बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके सामने की ओर पारदर्शी कांच लगाया गया है, जबकि आगे-पीछे से भी पारदर्शी कांच से पालकी ढंकी होना चाहिए, ताकि दूर से श्रद्धालु इसके दर्शन कर सकें।
Comments