ममता मल्हार।
ये जुनून है उनका मूक जानवरों के प्रति जहां से सूचना मिलती है, दौड़ पड़ते हैं। न समय देखते हैं न कोई दूसरी उम्मीद। बिना किसी दरकार के वे पिछले 9 साल करीब 10 हजार पशुओं का इलाज कर चुके हैं और कई की जान बचा चुके हैं।
वे डॉक्टर नहीं हैं मगर पशुसेवा और चिकित्सा में किसी डॉक्टर से कम नहीं हैं। जीव सेवा ही माधव सेवा के सिद्धांत पर चल रहे कु्छ युवा निरंतर इस काम में लगे हुए हैं।
कोविड काल के समय फैले लंपी वायरस से पीड़ित गायों का इलाज ये बिना किसी शुल्क बिना किसी उम्मीद के करते रहते हैं।
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के सागर जिले के पारंग शुक्ला और उनकी पशु सेवा समिति टीम की। सागर शहर में पिछले 9 साल से युवाओं की एक टीम केवल जानवरों का जीवन बचाने का काम कर रही है।
सागर जिले में कहीं भी जानवर के घायल पड़े होने की सूचना मिलते ही ये पशु सेवक मौके पर पहुंच जाते हैं और जरूरत पड़ने पर उनकी सर्जरी तक कर देते हैं।
पशु सेवा समिति के सदस्य 24 घंटे आवारा पशुओं का मुफ्त इलाज करते हैं, यही इनके जीवन का उद्देश्य है। विगत 13-14 वर्षों से बासु चौबे और इनकी टीम 24x7 आवारा निरीह घायल बीमार पशुओं का इलाज कर रहे हैं।
गाय, सांड, कुत्ते, बिल्ली, सुअर से लेकर बाज, कबूतर जैसे सभी पशु-पक्षियों का सफल इलाज कर रहे हैं। भारी भरकम दवा का बैग सभी दवाईयां सर्जरी का सामान, रस्सा खतरनाक जानवरों को मिसकर बैठाकर रखना होता है।
पारंग शुक्ला बताते हैं कि हमारी टीम समस्त प्रकार की सर्जरी जैसे कि कैंसर का आपरेशन, टूटी हड्डी को स्टील की प्लेट से जोड़कर भी स्क्रू लगाकर लिंग करते हैं।
हैरानी की बात यह है कि इस टीम में कोई चिकित्सक नहीं है। पशुओं का आपरेशन यू ट्यूब में देखकर एवं अपने कौशल से करते हैं।
आज स्थिति है यह बड़े से बड़े आपरेशन सफलतापूर्वक चिकित्सक करते हैं। बासु चौबे बताते हैं कि शहर के अनुभवी पशु प्रेमी श्री मुन्ना शुक्ला, गुंजन शुक्ला से दवाईयों की जानकारी एवं आर्थिक मदद भी लेते हैं।
वैसे तो गिनती याद नहीं, ना ही कोई रिकार्ड रखते हैं, किन्तु कम से कम 10000 से अधिक पशुओं का सफल इलाज कर जान बचा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि घायल पशुओं का इलाज कर अनेक बार उनको सुरक्षित रखने के लिए अपनी गाड़ी इनोवा में रखकर घर ले आते हैं। आज समाज के हर वर्ग के पास इन सदस्यों का मोबाइल नंबर है।
हैरानी की बात तो यह है कि इस टीम में कोई भी सदस्य जानवरों का डॉक्टर नहीं है, लेकिन इलाज के मामले में ये युवा किसी पशुचिकित्सक से कम नहीं है। युवाओं ने चिकित्सा का यह काम इंटरनेट और डॉक्टरों की सलाह लेकर सीखा है। इस टीम ने हड्डी जोड़ने से लेकर डिस्टोकिया जैसे कई सफल ऑपरेशन किए
पिछले 9 साल में युवाओं की यह टीम कबूतर से लेकर गाय तक करीब 10 हजार पशुओं को जीवनदान दे चुकी है। युवाओं की टीम का यह कार्य देखकर सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने उन्हें गी एम्बुलेंस भी भेंट की है।
पारंग कहते हैं कई बार कुछ दवाएं सागर में नहीं मिलती हैं तो हमारी टीम भोपाल तक से दवाएं मंगाकर इलाज करने में पीछे नहीं हटती। अब तक टीम द्वारा जानवरों की हड्डी जोड़ने, टांके लगाना, ड्रेसिंग, अंग सड़ने और डिस्टोकिया जैसे सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
जानवरों को बचाने में आने वाला खर्च पूरी टीम मिलकर उठाती है। इस काम में टीम को वरिष्ठ सलाहकार के रूप में विटनरी डॉक्टर्स के साथ शहर के मुन्ना शुक्ला, गुंजन शुक्ला, बाबू चौरसिया आदि वरिष्ठ जनों की भी सलाह मिलती है।
शाह मेडिकल इन्हें निःशुल्क दवाएं उपलब्ध कराते हैं। पशु सेवा समिति के वासु चौबे ने बताया कि उन्हें जानवरों से बहुत लगाव है और वे उनकी तकलीफें को देख नहीं पाते। करीब दस साल पहले उन्हें सड़क पर और उसका जीवन बचाया।
पारंग बताते हैं कि एक गाय घायल पड़ी मिली, उन्होंने डॉक्टर्स की मदद मांगी, लेकिन कोई नहीं आया। ऐसे में उन्होंने विदेश में बैठे अपने एक डॉक्टर मित्र की फोन पर मदद लेकर गाय का इलाज किया
मेडीकल सुगंधा काम्पलेक्स एवं शाह मेडिको वाले श्री जैन साहब द्वारा मुफ्त दवाईयां अनेक बार मूक पशुओं को दान स्वरूप समय-समय पर दी जाती रहती हैं।
इस टीम द्वारा किये जा रहे पशुओं की सेवा के संबंध में श्रीमती मेनका गांधी द्वारा चर्चा एवं प्रशंसा की गई साथ ही सागर पुलिस अधीक्षक श्री अतुल सिंह द्वारा इनके कार्यों की प्रशंसा की जा चुकी है।
पीपल फार्म हिमाचल प्रदेश के श्री रॉबिन इस टीम से वीडियो कॉल पर इलाज की सलाह लेकर, हिमाचल प्रदेश में पशुओं का इलाज करते है। श्री रॉबिन के सोशल मीडिया पर 2 लाख से अधिक फॉलोवर हैं, कुछ बेटनरी कॉलेज में अध्ययनरत छात्र भी यू-ट्यूब पर देखकर जानकारी प्राप्त करते हैं।
सागर में इन दिनों लंपी नामक बायरल रोग गायों में फैल रहा है, जिसमें गायो के शरीर पर फोड़े हो जाते हैं एवं फोड़े फूटकर खून बहता है जानवर खाना-पीना छोड़ देते हैं और मर जाते हैं।
इस महामारी का इलाज इस टीम द्वारा लगातार किया जा रहा है, इस टीम में 25-30 सदस्य है, जिनकी अलग-अलग भूमिकायें हैं।
इनकी टीम के मुख्य सदस्य है बासु चौबे, पारंग शुक्ला, सिद्धार्थ शुक्ला, अंशुल तिवारी, लकी जैन, मनीष यादव आदि ।
गौरतलब है कि यह टीम कोरोना जैसी महामारी में भी लॉकडाउन के चलते पशुओं का इलाज एवं भोजन व्यवस्था करती रही।
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