विधायक ग्रेवाल का आरोप,आदिवासियों की जमीन के मामले में अलग-अलग जवाब दे रही सरकार

खास खबर            Jul 12, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के विघायक प्रताप ग्रेवाल ने आरोप लगाया है कि राज्य में पिछले दो दशक में आदिवासियों की गैर आदिवासियों को बेची गई जमीन के संबंध में सरकार द्वारा विधानसभा में अलग-अलग प्रश्नों के उत्तर में दी गई जानकारी में अलग-अलग आंकड़े बताये गये हैं।

ऐसा लगता है कि सरकार जानबूझ कर वास्तविक जानकारी न देकर भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को धारा 165(6) के अंतर्गत बेची जाती हैं।

इस संबंध में विधानसभा में कई बार प्रश्न पूछकर जानकारी मांगी गई।

विधायक प्रताप ग्रेवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मेरे प्रश्न क्रमांक 1002 दिनांक 12.07.2023 के उत्तर में दिये गए आंकड़े असत्य और भ्रामक है तथा वे पूर्व में मेरे तथा अन्य माननीय विधायकों द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर से पूरी तरह से अलग हैं।

विधायक ग्रेवाल आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति कलेक्टर ही दे सकता है एडीएम को अधिकार नहीं है और इसी तारतम्य में जबलपुर में 2006 से 2011 में धारा 165 (6) में अनुमति देने पर तत्कालीन चार एडीएम दीपकसिंह, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, बसंत वुर्रे तथा एमपी पटेल पर लोकायुक्त में 7 जुलाई 2023 को प्रकरण दर्ज किया गया तथा रतलाम में एडीएम कैलाश बुन्देला को नोटिस जारी किया गया।

मेरे को दी गई जानकारी अनुसार 2018 से 2022 याने पांच वर्ष में प्रदेश में 657 प्रकरणो में एडीएम ने अनुमति प्रदान की जिसमें उज्जैन में 165, इन्दौर में 112 तथा राजगढ़ में 273 अनुमति है। मैंने 2018 से 2022 की जमीन की जानकारी मांगी थी।

उन्होंने परिशिष्ट दिखाते इस उत्तर के साथ मुझे जो परिशिष्ट उपलब्ध कराया गया है, उसमें 2004-05 से 2022-23 की जानकारी का उल्लेख किया गया है। जो पूर्णतः असत्य है। वास्तव में यह वर्ष 2018 से 2022 की जानकारी है।

श्री ग्रेवाल ने आगे कहा कि नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह के प्रश्न क्रमांक 61 दिनांक फरवरी-मार्च 2018, जिसका उत्तर दिसंबर 2022 में दिया गया जिसमें वर्ष 2010 से 2015 के 5 वर्षो में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने के प्रकरणों की जिलेवार सूची दी गई है। मुझे जो सूची दी है जिसे 2004-05 से 2022-23 की बताई गई है दोनो में इनता विरोधाभास है कि 5 साल की संख्या 20 साल की संख्या से ज्यादा है।

(1) शाजापुर में डाक्टर साहब को दिए गये उत्तर अनुसार प्रकरण 27 है जबकि मुझे 11 प्रकरण बताये गए है।

(2) आगर-मालवा में डाक्टर साहब को दिए गये उत्तर अनुसार 9 प्रकरण है जबकि मुझे दिए गये उत्तर में प्रकरण शून्य है।

(3) खण्डवा में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 86 है मेरी सूची में 16 प्रकरण है।

(4) बुरहानपुर में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 63 है मेरी सूची अनुसार 66 है याने मात्र 3 बढे है।

(5) बैतुल में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 18 है मेरी सूची अनुसार 6 है। (6) सागर में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 246 है मेरी सूची अनुसार 104 है। (7) जबलपुर में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 716 है मेरी सूची अनुसार 133 है। (8) सिवनी में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 526 है मेरी सूची अनुसार 60 है। (9) बालाघाट में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 482 है मेरी सूची अनुसार 135 है। (10) सिंगरोली में डाक्टर साहब की सूची अनुसार 106 है मेरी सूची अनुसार 13 है।

इससे साफ है कि मुझे दी गई सूची 2018 से 2022 की है याने पांच साल में 2018 से 2022 में 4395 प्रकरणो में 5388. 261 हैक्टेयर याने 13470 एकड जमीन की अनुमति दी गई अगर इसको पूरे 20 साल में देखे तो 60 एकड़ जमीन की अनुमति दी गई। दूसरा रोचक पहलु यह है कि शासन ने जमीन की अनुमति देने हेतु कोई निती-निर्देश सिध्दांत नही बनाये हैं और कलेक्टर ने अपनी मन-मर्जी से अनुमति दे दी।

 

 

 


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