मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज 31 मई को अचानक पुलिस हैडक्वाटर पहुंच गए। यहां उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग ली और अशोकनगर के पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार जैन के खिलाफ और अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं इछावर पुलिस थाने के थाना प्रभारी को सस्पेंड करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने संभाग स्तर पर कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों को सौंपे दायित्व की समीक्षा करने और उनकी भूमिका के संबंध में भी चर्चा की।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि आवश्यकता के अनुसार फील्ड अधिकारी रात्रि विश्राम भी करें और पूरे प्रदेश में शांति और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए सभी तत्पर हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंभीर घटनाओं पर अधिकारी तत्काल कदम उठाएं। अपराधी को गिरफ्तार करना ही काफी नहीं है यदि वह आपराधिक पृष्ठभूमिका है तो पूरी विस्तृत पड़ताल कर सख्त कदम उठाए जाएं।
डॉ यादव ने कहा कानून व्यवस्था से संबंधित असत्य या भ्रामक जानकारी का तत्काल प्रतिवाद भी जारी किया जाए। ट्विटर, फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य माध्यम से अपराध नियंत्रण की जानकारी आम जनता तक पहुंचाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा आने वाले माह में त्यौहारों को दृष्टिगत रखते हुए व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। 'डीजे वाले बाबू मेरा गाना बजा दे'... कर्कश और कानफोड़ू आवाज में आपने ऐसे कई गाने सुने होंगे।
ऐसे डीजे भी देखे होंगे जो आपके बाजू से निकल जाए तो पूरा बदन हिल जाए। घर की कांच कंपन करने लगे। इसी ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने मोर्चा खोल दिया है।
भोपाल में लगातार लाउड स्पीकर को निकालने की कार्रवाई जारी है। प्रशासन की टीमें शहर के अलग-अलग इलाकों में कार्रवाई करते हुए धार्मिक स्थलों से 265 लाउड स्पीकर उतार रही है।
अब यह कार्रवाई लाउड स्पीकर से आगे बढ़ते हुए डीजे तक पहुंच गई है। भोपाल जिला प्रशासन ने करीब 80 डीजे संचालकों को भी नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में अधिकारियों ने तय मापदंडों के मुताबिक ही साउंड सिस्टम उपयोग करने की बात कही है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव ने 13 दिसंबर को शपथ ग्रहण के बाद ही 14 दिसंबर को 2023 को लाउडस्पीकर अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लेकर निर्देश दिये थे। उसके बाद गृह विभाग ने धार्मिक स्थलों व अन्य स्थानों में ध्वनि प्रदूषण को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए थे।आदेश में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने की बात कही गई थी। इसके बाद मस्जिद, मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर लगे कानफोड़ू लाउडस्पीकर और डीजे पर कार्रवाई शुरू की गई थी।
मानव के कान बहुत अधिक संवेदनशील होते है। ज्यादा तेज आवाज हमारे कानों को नुकसान पहुंचाती है। इतना ही नहीं अधिक तेज आवाज सुनने से इंसान को ऊंचा सुनाई देने के साथ ही बहरे हो सकते है। ध्वनि की बात करें तो लगातार 85 डेसीबल तक की आवाज में लगातार रहने से कानों को नुकसान पहुंचता है। वहीं, 65 डेसीबल से अधिक की ध्वनि इंसानों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।
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