मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्र सरकार में लगभग एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली जनवरी से देय महंगाई भत्ते में चार फीसदी की वृद्धि की सौगात मिली थी। इस वृद्धि के साथ ही डीए की मौजूदा दर 46 से 50 फीसदी पर पहुंच गई।
अब 30 दिन बाद यानी पहली जुलाई से एक बार फिर केंद्र सरकार के कर्मचारियों को डीए में बढ़ोतरी की सौगात मिलेगी। सरकार के सूत्रों का कहना है, इस बार डीए की दर 54 या 55 पर पहुंच जाएगी। केंद्र की नई सरकार, अगर डीए में चार या पांच फीसदी की बढ़ोतरी करती है, तो कर्मचारियों की सैलरी में ठीक-ठाक वृद्धि होगी।
अगर डीए 54 फीसदी हुआ तो होगा इतना फायदा
किसी कर्मचारी का मूल वेतन 18 हजार रुपये है, तो 54 फीसदी महंगाई भत्ते के हिसाब से उसके वेतन में हर माह लगभग 720 रुपये बढ़ जाएंगे। 50 फीसदी के हिसाब से डीए 9000 रुपये बनता है, 54 फीसदी होने से 9720 रुपये हो जाएगा। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 720 रुपये का इजाफा होगा।
कर्मचारी का मूल वेतन 25 हजार रुपये है, तो उसे प्रतिमाह 1000 रुपये का फायदा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 12500 रुपये बनता है। 54 फीसदी की वृद्धि से वह राशि 13500 रुपये होगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 1000 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
जिस कर्मी की बेसिक सैलरी 35 हजार रुपये है, तो उसे प्रतिमाह 1400 रुपये ज्यादा मिलेंगे। मौजूदा समय में 50 फीसदी के हिसाब से उसे 17500 रुपये डीए मिलता है, 54 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद वह राशि 18900 रुपये होगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 1400 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
45 हजार रुपये की बेसिक सैलरी वाले कर्मी के लगभग 1800 रुपये बढ़ेंगे। मौजूदा समय में 50 फीसदी के हिसाब से डीए 22500 रुपये बनता है, 54 फीसदी के हिसाब से 24300 रुपये होगा। यानी डीए की दर में हुई बढ़ोतरी से उसके वेतन में 1800 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
ऐसे कर्मी, जिन्हें 52 हजार रुपये बेसिक सैलरी मिलती है, तो डीए बढ़ोतरी पर उन्हें हर माह 2080 रुपये का फायदा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से डीए 26000 रुपये बनता है, 54 फीसदी के हिसाब से उसे 28080 रुपये मिलेंगे। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 2080 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
70 हजार रुपये की बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी को लगभग 2800 रुपये का फायदा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 35000 रुपये बनता है। 54 फीसदी के हिसाब से डीए की राशि 37800 रुपये हो जाएगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 2800 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
85,500 रुपये की बेसिक सैलरी पर लगभग 3420 रुपये का इजाफा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 42750 रुपये बनता है, 54 फीसदी के हिसाब से वह राशि 46170 रुपये हो जाएगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 3420 रुपये का इजाफा होगा।
एक लाख रुपये बेसिक सैलरी वाले कर्मियों के खाते में हर माह 4000 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होगी। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 50000 रुपये बनता है, 54 फीसदी के हिसाब से 54000 रुपये होगा। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 4000 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
डीए 55 फीसदी हुआ तो होगी इतनी बढ़ोतरी
अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन 18 हजार रुपये है, तो 55 फीसदी महंगाई भत्ते के हिसाब से उसके वेतन में हर माह लगभग 900 रुपये बढ़ जाएंगे। 50 फीसदी के हिसाब से डीए 9000 रुपये बनता है, 55 फीसदी के हिसाब से 9900 रुपये हो जाएगा। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 900 रुपये का इजाफा होगा।
कर्मचारी का मूल वेतन 25 हजार रुपये है, तो उसे प्रतिमाह 1250 रुपये का फायदा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 12500 रुपये बनता है, 55 फीसदी के हिसाब से वह राशि 13750 रुपये होगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 1250 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
जिस कर्मी की बेसिक सैलरी 35 हजार रुपये है, तो उसे प्रतिमाह 1750 रुपये ज्यादा मिलेंगे। 50 फीसदी के हिसाब से उसे 17500 रुपये डीए मिलता है, 55 फीसदी के हिसाब से वह राशि 19250 रुपये होगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 1750 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
45 हजार रुपये बेसिक सैलरी वाले कर्मी के लगभग 2250 रुपये बढ़ेंगे। मौजूदा समय में 50 फीसदी के हिसाब से डीए 22500 रुपये बनता है, 55 फीसदी के हिसाब से 24750 रुपये होगा। यानी डीए की दर में हुई बढ़ोतरी से उसके वेतन में 2250 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
ऐसे कर्मी, जिन्हें 52 हजार रुपये बेसिक सैलरी मिलती है, डीए बढ़ोतरी पर उन्हें हर माह 2600 रुपये से ज़्यादा का लाभ होगा। 50 फीसदी के हिसाब से डीए 26000 रुपये बनता है, 55 फीसदी के हिसाब से उसे 28600 रुपये मिलेंगे। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 2600 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
70 हजार रुपये की बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी को लगभग 3500 रुपये का फायदा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 35000 रुपये बनता है, अब 55 फीसदी के हिसाब से डीए की राशि 38500 रुपये होगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 3500 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
85,500 रुपये की बेसिक सैलरी पर लगभग 4275 रुपये का इजाफा होगा। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 42750 रुपये बनता है, 55 फीसदी के हिसाब से वह राशि 47025 रुपये हो जाएगी। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 4275 रुपये का इजाफा होगा।
एक लाख रुपये बेसिक सैलरी वाले कर्मियों के खाते में हर माह 5000 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होगी। 50 फीसदी के हिसाब से उसका डीए 50000 रुपये बनता है, अब 55 फीसदी के हिसाब से 55000 रुपये होगा। यानी डीए की दर में बढ़ोतरी के बाद उसके वेतन में 5000 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
नई सरकार के समक्ष रखेंगे 8वें वेतन आयोग की मांग
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, कर्मियों के डीए की मौजूदा दर 50 फीसदी है। इसमें पहली जुलाई से चार फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी। महंगाई तो लगातार बढ़ रही है। किसी महीने में कुछ पॉइंट का अंतर आ जाता है, लेकिन जब जनवरी 2024 से 30 जून 2024 तक का चार्ट बनेगा तो उसके आधार पर डीए/डीआर में कम से कम चार फीसदी की बढ़ोतरी होना तय है। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद केंद्र सरकार के समक्ष आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग रखी जाएगी।
मार्च अप्रैल में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति
अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) संख्या पर आधारित वार्षिक मुद्रास्फीति दर अप्रैल 2024 (अप्रैल, 2023 से अधिक) महीने के लिए 4.83 फीसदी (अंतिम) है। ग्रामीण और शहरी के लिए मुद्रास्फीति दर क्रमशः 5.43 फीसदी और 4.11 फीसदी है। जनवरी, फरवरी और मार्च 2024 के महीनों के लिए सीपीआई क्रमशः 5.10, 5.09 और 4.85 रहा है। शीर्ष पांच समूहों में, 'कपड़े और जूते', 'आवास' और 'ईंधन और प्रकाश' समूहों पर साल-दर-साल मुद्रास्फीति पिछले महीने से कम हुई है।
मुद्रा स्फीति के अंतर्गत अप्रैल 2024 में सीपीआई (सामान्य) ग्रामीण क्षेत्र में 5.43 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 4.11 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 4.83 है। इसी क्रम में उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति (सीएफपीआई) ग्रामीण क्षेत्र में 8.75 और शहरों में 8.56 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 8.70 है। मार्च 2024 में सीपीआई (सामान्य) ग्रामीण क्षेत्र में 5.51 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 4.14 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 4.85 है। इसी क्रम में अप्रैल 2024 के लिए उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति (सीएफपीआई) ग्रामीण क्षेत्र में 8.75 फीसदी और शहरों में 8.56 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 8.70 है। मार्च 2024 के लिए शहरी क्षेत्र में सीएफपीआई 8.55 और शहरों में 8.41 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 8.52 है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सूचकांक की स्थिति
अप्रैल 2024 के लिए सूचकांक की बात करें तो अप्रैल 2024 के लिए सीपीआई (सामान्य) ग्रामीण क्षेत्र में 188.5 फीसदी, शहरी क्षेत्र में 184.7 फीसदी और संयुक्त प्रतिशत 186.7 रहा है। सीएफपीआई, ग्रामीण क्षेत्र में 188.9 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 195.4 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 191.2 रहा है। मार्च 2024 अंतिम के लिए सूचकांक की बात करें तो सीपीआई (सामान्य) ग्रामीण क्षेत्र में 187.8 फीसदी, शहरी क्षेत्र में 183.6 फीसदी और संयुक्त प्रतिशत 185.8 रहा है। सीएफपीआई, ग्रामीण क्षेत्र में 187.8 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 193.4 फीसदी रहा है। संयुक्त प्रतिशत 198.8 रहा है।
इस तरह निकाली जाती है प्रतिक्रिया दर
साप्ताहिक रोस्टर पर एनएसओ, एमओएसपीआई के फील्ड ऑपरेशंस डिवीजन के फील्ड स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत यात्राओं के माध्यम से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाले चयनित 1114 शहरी बाजारों और 1181 गांवों से मूल्य डाटा एकत्र किया जाता है। अप्रैल 2024 के महीने के दौरान, एनएसओ ने 99.9 फीसदी गांवों और 98.5 फीसदी शहरी बाजारों से कीमतें एकत्र कीं, जबकि बाजार-वार कीमतें ग्रामीण के लिए 89.8 फीसदी और शहरी के लिए 93.2 फीसदी थीं।
दिसंबर 2023 में 138.8 अंकों के स्तर पर सूचकांक
भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा 31 जनवरी 2024 को दिसंबर 2023 के लिए जारी अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्ल्यू में 0.3 अंकों की कमी दर्ज की गई है। औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 138.8 अंकों के स्तर पर संकलित हुआ है। सूचकांक में पिछले माह की तुलना में 0.22 फीसदी की कमी रही है, जबकि एक वर्ष पूर्व इन्हीं दो महीनों के बीच 0.15 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबंधित कार्यालय द्वारा हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए मूल्य सूचकांक का संकलन सम्पूर्ण देश में फैले हुए 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है। सूचकांक का संकलन 88 औद्योगिक केंद्रों एवं अखिल भारत के लिए किया जाता है। यह संकलन, आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी होता है।
जनवरी में सीपीआई-आईडब्ल्यू 138.9 पर रहा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय, श्रम ब्यूरो द्वारा देश के 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन किया जाता है। यह सूचकांक 88 केंद्रों और अखिल भारतीय स्तर के लिए संकलित किया जाता है। इस सूचकांक को आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी किया जाता है। जनवरी 2024 के लिए अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्ल्यू 0.1 अंक बढ़कर 138.9 (एक सौ अड़तीस दशमलव नौ) हो गया था। एक महीने के प्रतिशत परिवर्तन के आधार पर, दिसंबर 2023 की तुलना में इसमें 0.07 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने के दौरान 0.38 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
आवास समूह का रहा सबसे अधिक योगदान
वर्तमान सूचकांक में वृद्धि में सबसे अधिक योगदान आवास समूह का रहा, जिसने कुल परिवर्तन में 0.48 प्रतिशत अंक का योगदान दिया है। सूचकांक में वृद्धि हाउस रेंट, लेडीज सूटिंग, कैजुअल वियर, कॉटन साड़ी, ऊनी स्वेटर/पुल ओवर, प्लास्टिक/पीवीसी शूज, सिलाई शुल्क/एम्ब्रॉयडरी, तंबाकू, फॉरेन/रिफाइंड शराब, पान मसाला आदि मदों की कीमतों में वृद्धि के कारण रही। हालांकि, इसके विपरीत प्याज, आलू, टमाटर, बैंगन, अदरक, मटर, गोभी, फूलगोभी, फ्रेंच बीन्स, भिंडी, केला, अंगूर, पपीता, अनार, ताजा नारियल, मिट्टी का तेल, चारकोल आदि ने सूचकांक में दर्ज वृद्धि को नियंत्रित किया। केंद्र-स्तर पर रानीगंज में अधिकतम 4.2 अंक और इसके बाद रामगढ़ में 2.5 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। अन्य 7 केंद्रों ने 1 से 1.9 अंक, 38 केंद्रों ने 0.1 से 0.9 अंक की वृद्धि दर्ज की।
गुवाहाटी और त्रिपुरा में अधिकतम 1.7 अंकों की कमी
इसके विपरीत, गुवाहाटी और त्रिपुरा में अधिकतम 1.7 अंकों की कमी दर्ज की गई। अन्य 7 केंद्रों में 1 से 1.4 अंक और 30 केंद्रों में 0.1 से 0.9 अंकों के बीच कमी दर्ज की गई। बाकी दो केंद्रों का सूचकांक स्थिर रहा। जनवरी 2024 के लिए वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति 4.59 फीसदी रही, जबकि दिसंबर 2023 में यह 4.91 फीसदी थी। एक वर्ष पहले इसी महीने में यह 6.16 फीसदी थी। इसी तरह, खाद्य-स्फीति दर पिछले महीने के 8.18 फीसदी की तुलना में 7.66 फीसदी रही, जबकि एक वर्ष पहले इसी महीने के दौरान यह 5.69 फीसदी थी।
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