रंजन श्रीवास्तव।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का इंदौर में दिया गया ये बयान कि भाजपा शासन में प्रशासन में दलाल पैदा किए गए और कलेक्टर और एसपी के ट्रांसफर में पैसा चलता था, एक बहुत ही गंभीर बयान है।
यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि वे पिछले 15 साल की बात कर रहे थे या 13 साल की। पर जो भी हो यह पूरे प्रशासन तथा शासन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
अगर दिग्विजय सिंह का बयान वैसा ही बयान नहीं है जैसा कि उमा भारती ने उनके खिलाफ 15000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का 2003 में लगाया था और जिसे वे आज तक साबित नहीं कर पाईं, तो सवाल यही उठता है कि उन्होंने तबादलों में भ्रष्टचार का आरोप किन तथ्यों के आधार पर लगाया।
हो सकता है कि व्यक्तिगत तौर पर कोई आईएएस या आईपीएस या राज्य सेवा के अधिकारी जो इस दौरान कलेक्टर या एसपी रहे, इस मामले पर ना बोल पाएं सर्विस रूल्स की वजह से।
पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव रहे राकेश साहनी, अवनि वैश्य, एंथोनी डिसा तथा तत्कालीन पुलिस महानिदेशक तो बोल ही सकते हैं कि ये बयान गलत है। और इन अधिकारियों का एसोसिएशन क्या सिर्फ स्पोर्टस इवेंटस कराने के लिए ही बना है?
खैर अभी तक इनमें से किसी की भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। तो क्या यह माना जाए कि दिग्विजय सिंह का बयान इन्हीं तथ्यों पर आधारित है और राज्य में जो करप्शन था इसी कारण से था जिसकी तरफ दिग्विजय सिंह ने उंगली उठायी?
फेसबुक वॉल से।
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