मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में पीने के पानी की मांग करने पर 8 से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है।
इस मामले में क्षेत्रीय सांसद ने भी ऐसे अधिकारी पर कार्रवाई करने की बात कही है तो वहीं पीड़ित महिलाओं और कांग्रेस नेताओं ने भी इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे अन्याय बताया है।
खंडवा शहर के कई वार्डों में इन दिनों विश्वा कंपनी की वजह से कृत्रिम जल संकट बना हुआ है। यहां पेयजल वितरण कर रही विश्वा कंपनी की पाइप लाइन बार बार फुट रही है।
ऐसे में खंडवा निगम टैंकरों से पानी सप्लाई कर व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन लोगों का कहना है कि, टैंकरों का पानी पीने योग्य नहीं है। क्योंकि टैंकरों से जो पानी आ रहा है, वह गंदा है।
इसको लेकर ही गुस्साए लोगों ने सड़कों पर आकर चक्का जाम किया था। जिसके बाद बाहेती कॉलोनी के 8 से अधिक रहवासियों पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करवा दी।
इस मामले में पुलिस ने सिविल लाइन निवासी निगम इंजीनियर की शिकायत पर आठ लोगों पर बीएनएस की धारा 223, 3(5) के अंतर्गत कार्रवाई की है। जिसमें बाहेती कॉलोनी की तीन महिलाओं समेत 8 नामजद एवं अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
वहीं खुद पर एफआईआर दर्ज होने के बाद नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष दीपक राठौर ने कहा कि खंडवा पहला शहर है, जहां पानी मांगने पर एफआईआर मिलती है।
बार-बार पाइपलाइन फूटने के कारण शहर में जल संकट है। लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। हम लोग पानी वितरण कंपनी विश्वा के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारे ऊपर ही FIR दर्ज कर दी गई है।
इधर पानी के लिए चक्का जाम और विरोध कर रही महिलाओं पर FIR दर्ज होने को लेकर खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी इसे गलत बताया है।
उन्होंने कहा कि, यदि ऐसा कुछ हुआ है तो उसको भी संज्ञान में लेकर उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करवाएंगे। यह जनता का हक और अधिकार है।
यदि उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है, और मूलभूत सुविधाओं के लिए अगर वे लोग मांग करते हैं, तो उनकी यह मांग उचित है और उनकी समस्या का समाधान करना हम जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का कर्त्तव्य है।
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