मल्हार मीडिया भोपाल।
रविवार 26 मई मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त कार्यालय परिसर में लगी आग को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने साजिश की आशंका जताई है। भोपाल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने आवास पर मीडिया से चर्चा में कहा- लोकायुक्त कार्यालय में सिंहस्थ घोटाले की जांच की एक फाइल है।
जिसमें सैकड़ों एकड़ जमीन की हेराफेरी हुई। कई नेताओं के करीबियों और कंपनियों के नाम हैं। लोकायुक्त कार्यालय में लगी आग में कहीं सिंहस्थ की उस फाइल को जलाने की कोशिश तो नहीं की गई। सिंघार ने आग लगने के मामले की ज्यूडिशियल जांच कराने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा- प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में आग का दौर चल रहा है। पहले सतपुड़ा भवन, वल्लभ भवन में लगी। अब लोकायुक्त कार्यालयमें आग लगना भी महत्वपूर्ण है। बताने को बहाने बहुत हैं कि शॉर्ट सर्किट हो गया, ट्रांसफार्मर जल गया।
लेकिन, लोकायुक्त की जिस प्रकार से नियुक्ति हुई। शनिवार को आदेश हुआ और रविवार को शपथ दिलाई गई। आनन-फानन में तत्काल नया लोकायुक्त नियुक्त किया गया। इसके पीछे क्या कारण है। क्योंकि, इस बारे में सुप्रीम कोर्ट भी गया हूं। कहीं न कहीं, सरकार डरी हुई है कि सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ निर्णय न दे दे।
रविवार को लोकायुक्त कार्यालय परिसर में आग लग गई थी। हालांकि आग पर जल्दी काबू पा लिया गया था। लोकायुक्त कार्यालय की ओर से इस आग को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर कहा गया कि आग आफिस के बाहर लगी थी इस आग से दस्तावेजों को नुकसान नहीं हुआ है।
रविवार को लोकायुक्त कार्यालय परिसर में आग लग गई थी। हालांकि आग पर जल्दी काबू पा लिया गया था। लोकायुक्त कार्यालय की ओर से इस आग को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर कहा गया कि आग आफिस के बाहर लगी थी इस आग से दस्तावेजों को नुकसान नहीं हुआ है।
उमंग सिंघार ने कहा- मेरी जानकारी के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय में सिंहस्थ की भी एक फाइल थी। सिंहस्थ में सैकड़ो एकड़ जमीन में हेराफेरी की गई। इसमें उन कंपनियों के नाम भी थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन फाइलों को जलाने के लिए यह आग लगाई गई।
ऐसे जो अधिकारी थे, जो इस घबराहट में थे कि अगर इसमें जांच होगी तो हम लोग भी इसकी गिरफ्त में आएंगे। मैं समझता हूं यह गंभीर विषय है इसकी जांच होनी चाहिए।
चूंकि, मुख्यमंत्री जी जिस प्रकार से SIT गठित करते हैं और उसकी लीपा-पोती करते हैं। अब तक की जो जांचें हुई है मुझे नहीं लगता कि इसकी निष्पक्ष जांच होगी।
लेकिन, मैं कांग्रेस विधायक दल की ओर से कहना चाहता हूं कि इसको विधानसभा में उठाया जाएगा। और प्रदेश में कई घोटाले हो चुके हैं उनकी लंबी लिस्ट है इन घोटालों को लेकर अभी तक सही स्पष्ट जांच पटल पर जनता के सामने क्यों नहीं आ रही?
नेता प्रतिपक्ष ने मप्र के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डीन की नियुक्तियों और पिछले साल कायाकल्प अभियान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई खरीदी पर भी सवाल उठाए। उमंग सिंघार ने कहा मैंने समाचारों में देखा कि डीनों की नियमों के विरुद्ध फर्जी भर्ती हो गई है। इसके पहले कायाकल्प अभियान में करोड़ों रुपए आया था।
स्वास्थ्य विभाग ने बडे़ पैमाने पर खरीद फरोख्त की थी। जिलों के अस्पतालों में डिमांड नहीं थी इसके बावजूद सबको फर्नीचर दिया गया। यह भी एक बड़ा घोटाला है। यह सारी फाइलें लोकायुक्त की लाइन में थीं। वहां पर आग लगना ही मूल कारण है कि इन मामलों को दबाने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। विशेष रूप से अलग से समिति गठित होनी चाहिए चाहे जुडिशल जांच होनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि सरकार निष्पक्ष रूप से कार्रवाई करे।
अब तक फायर सेफ्टी एक्ट के नियम लागू न होने के मामले पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा- कागज पर नियम तो है लेकिन सरकार के कागज के नियम सरकार के ही संस्थानों में लागू नहीं होते। आम व्यक्ति, दुकानदारों पर लागू होते हैं बाजार में आग लगती है होटल में आग लगती है तो उस पर उन नियमों पर लागू कर देते हैं । लेकिन सरकार सतपुड़ा, वल्लभ भवन में बैठे उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा- गर्मी के मौसम में नौतपा का दौर चल रहा है। पिछले विधानसभा सत्र में मैं यह मुद्दा उठा चुका हूं और इस बार भी उठाऊंगा कि जल जीवन मिशन में 20000 करोड़ का घोटाला हुआ। दो-दो करोड़ की पाइपलाइन फूट गई। 6 महीना के अंदर ठेकेदार 40 -50 पर्सेंट कमीशन देकर पैसे निकाल कर निकल गए। उस पर सरकार ने अब तक जांच क्यों नहीं कराई? यह गंभीर विषय है कि आज प्रदेश के अंदर पानी का संकट है। कई किलोमीटर जाकर महिलाओं को पानी लेना पड़ रहा है। तो
नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश भर में 5 जून से 15 जून तक चलने वाली अभियान पर कहा प्रधानमंत्री मोदी ने भी 25000 करोड़ का गंगा सफाई अभियान चलाया था। गंगा की सफाई हुई क्या? यह सब को पता है पहले भी शिवराज सिंह ने यहां पर नर्मदा में पौधारोपण कराया था। उसकी भी मैंने जांच कराई थी। वही, मुख्यमंत्री ने अपनी जांच को खत्म कर दिया था। इस प्रकार के घोटाले के नाम पर यह योजना बनाई जाती हैं और खुलेआम सरकारी धन का दुरुपयोग होता है।
नर्सिग घोटाले पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा- डॉक्टर फर्जी, नर्स फर्जी, मरीज असली…. प्रदेश के अंदर मरीज के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आम जनता के परिवारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मैं समझता हूं कि विश्वास सारंग के कार्यकाल में जिस प्रकार से डेढ़ सौ - 200 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई। सबसे पहले अधिकारियों के साथ विश्वास सारंग पर कार्रवाई होनी चाहिए। लाखों रुपए लेकर क्यों को मान्यता दी गई? अधिकारियों की मिली भगत से मुख्यमंत्री जी अपने मंत्री के खिलाफ कब कार्रवाई करेंगे?
सीधी में आदिवासी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना को लेकर उमंग सिंघार ने कहा मैंने इस मामले को लेकर तीन विधायकों की कमेटी बनाई है। फुन्देलाल मार्को, संजय उईके और अनुभा मुंजारे ये तीनों विधायक एक-दो दिन में वहां जाएंगे और पूरी जांच रिपोर्ट देंगे। उसके बाद वस्तुतः स्थिति पता चलेगी।
सीधी शहडोल के इलाके में आदिवासी अत्याचार और अधिकारियों पर रेत माफियाओं द्वारा किए जाने वाले हमले पर कहा मैं - मैंने कल ही कहा कि मुख्यमंत्री जी अपनी ब्रांडिंग में लगे हुए हैं। यादव के रूप में अखिलेश यादव और लालू यादव से बड़े नेता बनना चाहते हैं लेकिन प्रदेश की कानून व्यवस्था के प्रति वे गंभीर नहीं है अपनी ब्रांडिंग करना चाहते हैं चूंकि, विभाग उनके पास है इसलिए यहां प्रदेश की जनता की सुरक्षा की जवाबदारी मुख्यमंत्री की है।
अभी कुछ दिन पहले बीजेपी के झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक खंडेलवाल जी ने सीहोर कलेक्टर को चूड़ियां भेंट की रेत माफिया के खिलाफ। चाहे शहडोल - सीधी में कोल माफिया हो या रेत माफिया हो। ये सीधे-सीधे सरकार का वरदहस्त है, हाथ है। सरकार के लोग इसमें लिप्त हैं इसमें सरकार निष्पक्ष जांच कराए। क्या सरकार ये चाहती है कि इन लोगों से दो नंबर का पैसा उनके पास आता रहे। मोदी भ्रष्टाचार मुक्त करना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश में मोदी भ्रष्टाचार मुक्त कब करेंगे यह बताएं।
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