मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को हटाने का बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रजेंटेशन देखा और बीआरटीएस को 20 जनवरी से हटाने का फैसला लिया गया। शुरुआत बैरागढ़ (संत हिरदाराम नगर) से होगी।
चूंकि, 24Km के बीआरटीएस के दोनों ओर दिन में ट्रैफिक का ज्यादा रहता है, इसलिए जब रात में ट्रैफिक कम होगा तब हटाया जाएगा। मिसरोद से एम्प्री तक, रोशनपुरा से कमला पार्क और कलेक्टोरेट से लालघाटी के बीच बीआरटीएस को तोड़ने में कुल 18.51 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इससे पहले 20 दिसंबर को मुख्य सचिव वीरा राणा ने यह प्लान देखा था। इसके बाद सीएम डॉ. यादव के सामने प्रजेंटेशन की तैयारी की गई। बुधवार को सीएम के सामने प्लान रखा गया। कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, निगम कमिश्नर फ्रैंक नोबल ए. ने प्लान के बारे में बताया। निगम कमिश्नर ने प्रजेंटेशन दिया। इसके बाद बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का निर्णय लिया गया।
जहां ट्रैफिक का दवाब ज्यादा, वहां से पहले हटाएंगे
प्रजेंटेशन देखने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का काम समय सीमा में पूरा हो। यह कॉरिडोर ट्रैफिक में सुगमता और जन सुविधा के लिए हटाया जा रहा है। इसलिए जहां ट्रैफिक का दबाव अधिक हो, वहीं से बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का कार्य आरंभ किया जाए। जनसुविधा को देखते हुए बीआरटीएस हटाने का काम रात में किया जाए। पुलिस से समन्वय करते हुए बीआरटीएस हटाने की संपूर्ण अवधि में शहर में सुगम और सुरक्षित यातायात व्यवस्था हो। बैरागढ़ से शुरुआत की जाए।
एलीवेटेड कॉरिडोर बनने से पीडब्ल्यूडी खुद तोड़ेगा
संत हिरदाराम नगर में एलीवेटेड कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसका काम जल्द शुरू होने वाला है। इसलिए पीडब्ल्यूडी खुद ही इसे तुड़वा देगा। ऐसे में जिला प्रशासन या नगर निगम को कोई खर्च नहीं करना होगा।
इस तरह हटेगा प्लान, जानिए क्या है इनमें?
मिसेराद से एम्प्री तक
होशंगाबाद पर बने बीआरटीएस कॉरिडोर की लंबाई 6.7 किलोमीटर है। जिस पर पर्याप्त राइट ऑफ वे एवं जमीन उपलब्ध होने के बाद भी वाहनों के लिए सिर्फ 2 लेन ही है। बीआरटीएस हटाकर 3-3 लेन का सिक्सलेन मार्ग का निर्माण हो सकता है। इसमें 11.67 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके साथ साइकिल ट्रैक का उपयोग भी उचित रूप से नहीं होने से यह टूव्हीलर के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।
रोशनपुरा से कमला पार्क तक
इसकी लंबाई 1.42 किलोमीटर है, जो शहर के व्यस्त क्षेत्र में स्थित होकर ट्रैफिक के लिए बाधित बन रहा है। इस लंबाई में डेडिकेटेड कॉरिडोर हटाया जाकर मिक्स्ड वाहनों के लिए 3 लेन सड़क मय सेंट्रल वर्ज के बनाए जाने में करीब 3.21 करोड़ रुपए खर्च आ सकता है।
कलेक्टोरेट से लालघाटी तक
यह 1.73 किलोमीटर लंबा है। इसे हटाकर दोनों ओर 3-3 लेन की सड़क हो जाएगी। इसमें कुल 3.63 करोड़ रुपए खर्च आ सकता है।
हलालपुर से सीहोर नाके तक
कुल 3.81 लंबाई के इस कॉरिडोर को भी हटाया जाएगा। इससे बैरागढ़ में ट्रैफिक काफी हद तक सुधर सकता है। बैरागढ़ में 306 करोड़ रुपए की लागत से एलीवेटेड कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसके टेंडर भी हो चुके हैं। इसी प्रोजेक्ट में बीआरटीएस को हटाया जाना भी शामिल हैं। इसके चलते जिला प्रशासन या नगर निगम को अतिरिक्त कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा। यह बात मीटिंग में मुख्य सचिव के सामने रखी गई। कॉरिडोर को पीडब्ल्यूडी ही हटवाएगा। जिस जगह कॉरिडोर है, वही पर एलीवेटेड कॉरिडोर के पिलर खड़े होंगे।
मुख्यमंत्री ने दिसंबर में दिए थे कॉरिडोर को हटाने के निर्देश
मंत्रालय में दिसंबर में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का निर्णय लिया था। मुख्यमंत्री ने सीएस से विस्तृत प्लान मांगा था कि कॉरिडोर हटाया कैसे जाएगा? यह डेटलाइन खत्म होने पर सीएस ने 30 दिसंबर को स्थानीय अफसरों की मीटिंग भी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री के सामने प्लान रखने का निर्णय लिया गया था।
48 बस स्टॉप हटेंगे
संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) से मिसरोद तक बीआरटीएस कॉरिडोर की कुल लंबाई करीब 24 किलोमीटर है। इसमें से 4 किमी डेडिकेटेड लेन पहले ही हट चुकी है। ऐसे में 20 किमी कॉरिडोर को हटाने जाने की कवायद होगी। इसके साथ 48 से अधिक बस स्टॉप भी हटेंगे। सिटी बसें बंद नहीं होंगी। वे दोनों लेन पर दौड़ेंगी। बीआरटीएस कॉरिडोर पर कुल 357 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
कॉरिडोर की वजह से ये परेशानियां
कॉरिडोर से सिर्फ सिटी बसें ही गुजरती हैं। दूसरी गाड़ियां नहीं निकल पातीं। इस कारण दोनों ओर वाहनों के जाम की स्थिति बन रही है। यदि मिनी बसें या अन्य गाड़ियां कनेक्ट होती तो जाम की स्थिति नहीं बनती।
इन्हीं कारणों की वजह से दिल्ली से भी कॉरिडोर हट चुका है। कॉरिडोर हटाने से दोनों ओर एक-एक लेन मिल जाएगी। इससे ट्रैफिक का मूवमेंट ठीक होगा, लेकिन इसे हटाने के बाद बसों के लिए भी सिस्टम क्रिएट करना पड़ेगा, ताकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को यूज करने के लिए भी सुविधा देना पड़ेगा।
रोड सेफ्टी पर भी ध्यान देना पड़ेगा। बस स्टॉप भी बनाने होंगे, ताकि बसों के ठहराव के साथ दिव्यांग और सीनियर सिटीजन के लिए व्यवस्था जुटाई जा सके। इसे हटाने के बाद बेहतर नॉन बीआरटीएस सिस्टम देना होगा।
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