मल्हार मीडिया ब्यूरो।
संयुक्त सचिव स्तर और उससे ऊपर के सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तारी से छूट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि 2014 से पहले के भी मामलों में आरोपी अफसरों को संरक्षण नहीं मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट का 2014 का फैसला पहले से लंबित मामलों पर भी लागू होगा. DPSE एक्ट की धारा 6A को लेकर बनी उहापोह की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला देते हुए अपने 2017 के संयुक्त सचिव स्तर और उससे ऊपर के सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तारी से छूट के प्रावधान को रद्द कर दिया था, लेकिन बेंच ने ये भी बताया था कि ये आदेश 2014 से पहले के लंबित केसों पर भी लागू होगा या नहीं.
2016 में, डॉ किशोर के मामले में तत्कालीन सामान्य पीठ ने इस मामले को 5 - न्यायाधीशों की बेंच को यह तय करने के लिए भेजा था कि क्या संयुक्त सचिव स्तर पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों को संरक्षण हटाना पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने एक फैसले में कहा है कि उसका 2014 का फैसला जिसने संयुक्त सचिव स्तर और उससे ऊपर के सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तारी से छूट हटा दी थी, वह शुरू से ही लागू रहेगा (पिछली तारीख से).
संविधान पीठ ने कहा कि डीएसपीई एक्ट की धारा 6ए सितंबर 2003 से लागू नहीं मानी जाएगी जब इसे लागू किया गया था.
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