कीर्ति राणा।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर केंद्रीय नेतृत्व ने बता दिया है कि ‘खाता न बही, जो अमित शाह कहे वह सही’।
यह बात इसलिए भी सही है कि मप्र में पार्टी की स्थिति, सरकार और चेहरे को लेकर बढ़ती जा रही नाराजी को बहुत पहले भांप चुके अमित शाह ने चुनाव और प्रत्याशी चयन को लेकर अपनी रणनीति पर बहुत पहले काम शुरु कर दिया था।
चुनाव संचालन समिति का गठन, नेताओं का इस सहित अन्य समिति में मनोनयन यह सब तो मुंह दिखावे जैसी औपचारिकता है, निर्णय वही होंगे जो अमित शाह चाहते हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह को तो बस स्वीकृति में गर्दन हिलाना है।
प्रदेश की 230 सीटों में से गत चुनाव में हारी हुई 103 सीटों में से 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर के भाजपा ने कांग्रेस से अधिक अपने कार्यकर्ताओं को भी चौंकाने वाला काम किया है।
अमूमन आचार संहिता लगने के बाद ही प्रत्याशी घोषित किए जाते रहे हैं। आचार संहिता के गतिरोधक लगने से पहले भाजपा ने बहुत पहले इन 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर इन क्षेत्रों में सभी तरह के सहयोग वाले वाहन दौड़ाने के सारे रास्ते आसान कर दिए हैं।
बुधनी से शिवराज सिंह का चुनाव लड़ना तय है लेकिन भाजपा की इस पहली सूची में उनका नाम नहीं होने का साफ मतलब है कि दिल्ली के लिए पहली प्राथमिकता हारी हुई सीटों को इस बार जीत में बदलना है। जिन कद्दावर नेताओं का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है उनके नाम-सीट पर अभी फोकस नहीं किया है।
भाजपा हारी हुई सीटों पर नये चेहरे उतारेगी ऐसी संभावनाओं को एक ही झटके में हलाल करते हुए उन उम्रदराज चेहरों पर भरोसा दिखाया है जो पिछला चुनाव उन्हीं सीटों पर कम मतों से हार चुके हैं।
चर्चा तो ये भी चली थी कि भाजपा नेतृत्व अन्य भाजपा राज्यों से 230 विधायकों को मप्र की एक एक सीट पर भेजेगा, ये विधायक सात दिन उस क्षेत्र में रह कर दावेदारों से बातचीत, क्षेत्र के लोगों से चर्चा-सर्वे के बाद जो रिपोर्ट अमित शाह को सौपेंगे उस आधार पर टिकट फायनल होंगे।
वो विधायक अपने अपने क्षेत्रों में पहुंचे भी नहीं उससे पहले ही 39 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए गए। परिवारवाद के खिलाफ मंचों से दिए जाने वाले भाषण मंचों से उतरते ही मोशाजी ही भूल जाते हैं यह भी इन 39 सीटों के नामों से तय हो गया है।
इस पहली लिस्ट ने यह भी साबित कर दिया है कि एकमेव लक्ष्य कैसे भी चुनाव जीतना, सत्ता पाना ही है।ब्राह्मणों की नाराजी दूर करने के लिए प्रीतम लोधी को पार्टी से निकालने का फैसला लेने वाली पार्टी ने उन्हें टिकट देकर अपनी प्रीत जाहिर कर दी है। कहीं ससुर की जगह बहू तो कहीं पिता की जगह पुत्र को मौका दिया है।
इन 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर भाजपा नेतृत्व ने यह भी बता दिया है कि उसकी तरह रणनीति बनाने में अन्य दल माहिर नहीं है। पिछले चुनाव में हारी हुई 66 सीटों का दिग्विजय सिंह और रामेश्वर नीखरा ने दौरा कर अपनी सर्वे रिपोर्ट कमलनाथ को सौंप रखी है।
यहां से कौन प्रत्याशी हो सकते हैं ये नाम भी बता दिये हैं।पता नहीं कमलनाथ कौन से मुहूर्त और कितनी सर्वे रिपोर्ट के इंतजार में हैं, जो अब तक इन सीटों के नाम घोषित नहीं कर सके हैं।
इन 66 सीटों के नाम सितंबर के पहले सप्ताह में घोषित करने का इंतजार नहीं किया होता तो भाजपा से पहले कांग्रेस पहली सूची घोषित करने का श्रेय ले सकती थी। कांग्रेस के नेताओं को अब यह इंतजार भी कर लेना चाहिए कि उक्त सीटों से नाम घोषित नहीं होने से निराश हो चुके भाजपा के कौन कौन नेता कांग्रेस में आने को लालायित हैं। भाजपा ने इन 39 सीटों पर नाम घोषित कर कांग्रेस पर मानसिक दबाव बनाने के साथ ही साथ ही अपने प्रत्याशियों को भरपूर तैयारी और कार्यकर्ताओं को आज ही से भिड़ जाने का अवसर भी दे दिया है।
Comments