कीर्ति राणा।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने अब तक अपने प्रत्याशियों की तीन लिस्ट घोषित की है और हर बार चौंकाया है ,प्रदेश भाजपा के नेताओं का मानना है इसमें चौंकाने जैसा कुछ नहीं है।
मप्र से पहले गुजरात विधानसभा चुनाव में भी पार्टी नेतृत्व ने ऐसा ही किया था। वहां पहले प्रत्याशियों के नाम फायनल करने में और परिणाम बाद सरकार के गठन में भी चौंकाया था। वही मॉडल इस बार मप्र में भी अपनाया जा रहा है।
गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 45 सीटों पर एकदम फ्रेश चेहरे मैदान में उतारे गए थे और इन 45 में से 43 प्रत्याशी जीत कर भी आए थे।इन फ्रेश चेहरों को लेकर भाजपा के तपेतपाए नेता भी आशंकित थे कि यह प्रयोग सफल नहीं होगा लेकिन बाद में इन सब ने भी इस बदलाव के परिणाम पर खुशी जाहिर की थी।
मप्र में भी उन नेताओं के टिकट खतरे में हैं जो सत्तर पार कर चुके हैं फिर भले ही वे एकाधिक बार परंपरागत सीट से जीत कर इस बार भी टिकट मिलना अपना अधिकार मान रहे हैं।
रीवां जिले की गुढ़ा के विधायक नागेंद्र सिंह तो 81 वर्ष के हैं। इन उम्रदराज नेताओं को अब टिकट मिलना मुश्किल है।ऐसे भी विधायक हैं जिनके चेहरों से क्षेत्र के मतदाताओं को नफरत सी हो गई है।
इस सच्चाई को भांप चुके विधायक इस जुगाड़ में हैं कि उन्हें नहीं तो पत्नी, पुत्र को टिकट मिल जाए।अब तक जितने प्रत्याशी घोषित किए गए हैं उन नामों से यह भी साफ हो चुका है कि संगठन सीट हारने के लिए ऐसी किसी मांग को मानने के पक्ष में भी नहीं है।
शिवराज मंत्रिमंडल के साथी मंत्री जो अपने क्षेत्रों से सतत 5 से 7 बार जीतते रहे हैं उनके नाम प्रत्याशी वाली सूची में अब तक होल्ड हैं। खुद इन कद्दावर नेताओं को भरोसा नहीं है कि उन्हें इस बार टिकट मिलेगा या नहीं।
विकल्प में अपने बेटों, पत्नी के नाम आगे बढ़ाने वाले विधायक भी यह दावा करने की स्थिति में नहीं हैं कि उन्हें नहीं तो उनके किसी परिजन को टिकट मिल ही जाएगा।
इस बीच जारी हुई चार भाजपा प्रत्याशियों की फर्जी सूची ने भाजपा में खलबली मचा दी थी लेकिन उषा ठाकुर, डॉ निशांत खरे, गजेंद्र पटेल और शिवराम कन्नौज वाली यह सूची शाम तक फर्जी साबित होने से इन क्षेत्रों के दावेदारों ने जरूर राहत महसूस की।
Comments