नितिन शर्मा।
मोहनराज यानी मध्यप्रदेश की डॉ मोहन यादव सरकार को दिल्ली दरबार निष्कंटक रखना चाहता हैं। मोदी-शाह की युति से निकले डॉ यादव को मातृसंस्था का भी वरदहस्त हैं।
इसकी शुरूआत कल आधी रात को तय हुए प्रमुख सचिव के दायित्व से भी तय हो गया कि डॉ यादव को काम करने के लिए खुला मैदान दिया जाएगा।
इस नियुक्ति के पीछे भी आरएसएस का अहम रोल रहा हैं औऱ परदे के पीछे वे ही अधिकारी जी रहे हैं, जिनका नाता सीएम की गृह नगरी अवन्तिकापुरी से गहरे से है।
इस नियुक्ति से ये भी साफ हो गया की नई सरकार में ब्यूरोक्रेसी "किचन केबिनेट" नहीं होगी। यानी अफसर, सिर्फ सीएम की पसन्द का ही नहीं होगा।
इस लिहाज से देखे तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लाख कहे कि में दिल्ली नही जाऊंगा लेकिन देर सबेर उन्हें संगठन का कहा मानना ही पड़ेगा।
इसका कारण है कि न केंद्रीय नेतृव न मातृसंस्था चाहती है कि मध्यप्रदेश में दो शक्ति केंद्र बने। लिहाजा देर सबेर प्रदेश के लोकप्रिय "मामा" के लिए देशभर के मामा-भैय्या बनने की राह खुलने के आसार हैं।
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