मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने फैसला लिया है कि स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक करके लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के रूप में पुनर्गठन किया जायेगा।
इससे जिला चिकित्सालयों द्वारा मेडिकल कालेजों में रोगियों को अनावश्यक रूप से भेजने में कमी आएगी। मेडिकल कालेज रूटीन चिकित्सा सेवाएं देने के बजाए अति गंभीर एवं विशिष्ट उपचार और चिकित्सा शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। मेडिकल कालेजों की बेस्ट प्रैक्टिसेस का स्वास्थ्य केंद्रों में उपयोग किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में पीएम एक्सीलेंस कालेज खोले जाएंगे। इनमें विज्ञान, कला और वाणिज्य संकाय की पढ़ाई होगी। प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी तो प्रवेश प्रक्रिया से परीक्षा तक में स्वायत्तता रहेगी। प्रयास यही रहेगा कि आगामी शैक्षणिक सत्र से कालेज प्रारंभ हो जाएं। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इन कालेजों के लिए 1,845 शैक्षणिक और 387 गैर शैक्षणिक पदों की स्वीकृति दी गई।
गौरतलब है कि शिवराज सरकार में जब डा. मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब इस दिशा में काम प्रारंभ हुआ था। जिले के ऐसे कालेजों का चयन पीएम एक्सीलेंस कालेज के लिए किया जाएगा, जिनमें तीन हजार प्रवेश की क्षमता हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रत्येक जिले में ऐसे कालेज की परिकल्पना की गई है, जहां सभी संकायों की पढ़ाई हो, विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं मिलें यानी प्रयोगशाला, खेल मैदान और आवागमन की सुविधा भी मिले। जिले के लीड कालेज को पीएम एक्सीलेंस कालेज में अपग्रेड किया जाएगा।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक करके लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के रूप में पुनर्गठन का निर्णय कैबिनेट ने लिया है।
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