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भाजपा के मिशन एमपी 29 के सामने चुनौती हैं ये आदिवासी सीटें

खास खबर            Apr 15, 2024


ममता मल्हार।

लोकसभा चुनाव-24 में 400 पार के नारे के बीच मप्र की 29 सीटों को भाजपा ने मिशन की तरह लिया है। एक सीट छिंदवाड़ा साढ़े चार दशक से भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है। चुनावी रणनीती के तहत एक तरफ भाजपा ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को शामिल करने का अभियान चलाया हुआ है उसका सूपड़ा साफ बताकर यह ऐलान भी कर दिया है कि मप्र में भाजपा 29-0 से जीत दर्ज करने जा रही है। लेकिन मप्र में भाजपा का मिशन 29 सफल होना इतना आसान भी नहीं है। वर्तमान में कम से कम 5 से 7 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है  इनमें भी आदिवासी सीट ज्यादा हैं  

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है। पहले चरण में मध्यप्रदेश की भी कुछ सीटों पर मतदान होगा. मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है,  वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदल रहे हैं।

एक तरफ भाजपा ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को शामिल करने का अभियान चलाया हुआ है और कांग्रेस का सूपड़ा साफ बताकर ऐलान भी कर दिया है कि मध्यप्रदेश में भाजपा 29-0 से जीत दर्ज करने जा रही है।

मध्यप्रदेश में वर्तमान में कम से कम 5 से 7 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। सीधी, शहडोल, मंडला, झाबुआ, राजगढ़, छिंदवाड़ा, दमोह। वहीं लूप लाईन में मान रही बालाघाट सीट भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। क्योंकि यहां बसपा से वरिष्ठ और धाकड़ नेता कंकर मुजारे मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए विधायक अनुभा मुंजारे प्रचार मैदान में हैं। इस सीट के बसपा के खाते में जाने की या इस पर भाजपा की विरोधी पार्टियों का वोट परसेंटेज बढ़ने की संभावना बन रही है।

अगर यह कहा जाए कि आदिवासी इलाके भाजपा 29.0 मिशन के लिए बड़ी चुनौती हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

गहराई से देखा जाए तो कांग्रेस ने भी कुछ सीटों पर चुनाव फंसा दिया है। कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां के नतीजों में कांग्रेस चौंका सकती है।

इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस के कब्जे वाली एकमात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को भी जीतने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रही है। यह सीट भाजपा के लिए साढ़े चार दशक से चुनौती रही है और इसे जीतने के लिए इस बार भाजपा साम-दाम-दंड-भेद अपनाने से भी गुरेज नहीं कर रही है।

इसी प्रकार प्रदेश में कुछ अन्य सीटें हैं, जहां पर भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने की कड़ी टक्कर है और इस बार जीत के समीकरण भी बदल सकते हैं।

 राजगढ़ लोकसभा एक ऐसी ही सीट है, जिस पर कांग्रेस के फायरब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं और उनके सामने हैं बीजेपी के दो बार के सांसद रोडमल नागर।

लेकिन कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में दिग्विजय सिंह को तीन महीने पहले ही संकेत दे दिए गए थे कि उनको राजगढ़ से चुनाव लड़ना है।

हालांकि दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ से चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा जताई थी और इस बयान को लेकर उनकी खूब आलोचना भी हुई थी।

पिछले तीन महीने से दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पैदल यात्रा निकालकर जनसंपर्क शुरू कर दिया था। यानी टिकट मिलने से बहुत पहले ही वे चुनाव प्रचार को लेकर सक्रिय हो गए थे। वे राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में लगातार भावुक अपील कर रहे हैं।

यह उनकी जिंदगी का आखिरी चुनाव है। वहीं, बीजेपी के रोडमल नागर को लेकर ग्राउंड पर कुछ नकारात्मक फीडबैक भी आया तो मुख्यमंत्री की सभा में भरे मंच से भाजपा उम्मीदवार रोडमल नागर को लोगों से माफी भी मांगनी पड़ी। ये कहना पड़ा कि वे रोडमल नागर को नहीं पीएम मोदी को देखें और उनके चेहरे पर वोट करें।

दरअसल रोडमल नागर के दो बार सांसद बनने के बाद भी क्षेत्र में अधिक सक्रिय नहीं होने के आरोप लगे, जिसके बाद कुछ नाराजगी की खबरें पार्टी नेतृत्व तक पहुंची और इसके बाद सीएम मोहन यादव की जनसभा के दौरान ही रोडमल नागर को आम लोगों से अपील करना पड़ा कि भूल-चूक माफ करें।

झाबुआ लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट काटकर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को टिकट दिया है, यहां से कांग्रेस ने कई बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है, अब यहां का चुनाव रोचक हो गया है। कांतिलाल भूरिया लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं, उनके उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

मंडला लोक सभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। कुछ दिन पहले हुए विधानसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला की निवास विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार चुके हैं। अब कांग्रेस ने नया प्रयोग करते हुए मंडला लोकसभा सीट से डिंडोरी के युवा नेता ओंकार सिंह मरकाम को प्रत्याशी बनाया है। आदिवासी विधायकों में काफी सक्रिय माने जाते हैं ऐसे में अब यह सीट भी काफी रोचक हो गई है।

देशभर में सबसे चर्चित सीट छिंदवाड़ा पर पिछले 45 साल से कमलनाथ का कब्जा बरकरार है, कांग्रेस ने यहां से लगातार दूसरी बार कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को टिकट दिया है। छिंदवाड़ा एकमात्र सीट है जो भाजपा नहीं जीत पा रही है। इस बार भाजपा ने यहां से बंटी साहू को टिकट दिया है। चुनाव से पहले ही कई दिग्गज कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसे में अब कांग्रेस के नकुलनाथ और भाजपा के बंटी साहू के बीच में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।

 


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