एम्स भोपाल में अब जहर की पहचान के लिए थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी उपलब्ध

खास खबर            Sep 01, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग (एफएमटी) ने 1 सितंबर 2023 को विभाग की फोरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी प्रयोगशाला में थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (टीएलसी) सुविधा के उद्घाटन के साथ अपनी मेडिको-लीगल टॉक्सिकोलॉजी गतिविधियों का विस्तार किया है ।

टीएलसी बहुमुखी क्रोमैटोग्राफी तकनीक का एक रूप है जिसका उपयोग रक्त, मूत्र, गैस्ट्रिक एस्पिरेट इत्यादि जैसे जैविक नमूनों से जैव रासायनिक मेटाबोलाइट्स या सामान्य जहर के घटकों, जैसे कीटनाशकों और रोगियों द्वारा उपभोग की जाने वाली अन्य दवाओं को अलग करने और पहचानने के लिए किया जाता है ।

इसका उपयोग विषाक्तता के मामलों में जहर का पता लगाने और विषाक्तता से जुड़े औषधीय-कानूनी मामलों की शव परीक्षा के लिए किया जाता है ।  किसी एम्स में  ऐसा पहली बार किया जा रहा है । टीएलसी करने के लिए, विभाग ने एसओपी, कार्य पत्रक, मांग और रिपोर्टिंग प्रारूप तैयार किए हैं । 

उद्घाटन समारोह मुख्य अतिथि सुधांश पंत, आईएएस, सचिव, MoHFW, भारत सरकार द्वारा डॉ. जयदीप कुमार मिश्रा, ICAS, अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, MoHFW, भारत सरकार, अंकिता मिश्रा बुंदेला, आईएएस, संयुक्त सचिव, पीएमएसएसवाई, एमओएचएफडब्ल्यू, भारत सरकार, कार्यपालक निदेशक और सीईओ, एम्स भोपाल प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह, और प्रोफेसर डॉ. अरनीत अरोड़ा, विभागाध्यक्ष, फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग, और अन्य विभिन्न विभागों से संकाय और रेसीडेंट्स की उपस्थिति में औपचारिक पट्टिका अनावरण और रिबन उद्घाटन के साथ शुरू हुआ ।

डॉ. अतुल एस केचे ने टीएलसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त भाषण दिया और साथ ही अच्छे दस्तावेज़ीकरण और यह कैसे चिकित्सा डॉक्टरों द्वारा विषाक्तता के मामलों के प्रबंधन को पूरक बनाता है पर जोर दिया । यदि संदिग्ध जहर का पता चल जाए तो उसे उपलब्ध मिलान नियंत्रण से चलाया जा सकता है और जहर पीने की पुष्टि की जा सकती है । यदि जहर की पहचान हो जाती है, तो यह इलाज करने वाले डॉक्टर को किसी विशेष जहर के लिए उपलब्ध विशिष्ट एंटीडोट के साथ-साथ विशिष्ट उपचार करने में मदद करेगा ।

एम्स भोपाल के निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने टॉक्सिकोलॉजी लैब की स्थापना और इसकी कार्यात्मक स्थिति में विभाग के प्रयास की सराहना की । उन्होंने फोरेंसिक मेडिसिन विभाग की टीएलसी सेवाओं की सराहना की । प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने एफएमटी विभाग को इस उपलब्धि पर बधाई दी और एम्स भोपाल द्वारा मध्य प्रदेश राज्य में मेडिको-लीगल प्रयोगशाला सेवाओं को लागू करने के महत्व को भी साझा किया । उन्होंने विभाग के युवा रेजिडेंटों और शोधकर्ताओं को बेहतर सीखने और विषय को बेहतर ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए टीएलसी सेवा का उपयोग करने की सलाह दी ।

कार्यक्रम का समन्वय एम्स भोपाल के एफएमटी विभाग से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल एस केचे, सहायक प्रोफेसर डॉ. निरंजन साहू, डॉ. मृणाल पटनायक और जूनियर रेजिडेंट्स डॉ. सुहैल अल्लिक्कल ने किया ।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments