मल्हार मीडिया भोपाल।
2024 के लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है.भारतीय जनता पार्टी ने 195 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. ऐसे में बीजेपी ने मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 24 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम सामने रखे है.
गौरतलब है कि भाजपा ने 6 नए चेहरों को मौका दिया है. गुना से सिंधिया, तो विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टिकट मिला है, वहीं सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, केपी यादव, रमाकांत भार्गव के हाथ टिकट नहीं लगा.
भाजपा ने शनिवार 2 मार्च को 195 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. 370 पार का टारगेट लेकर चल रही बीजेपी ने मध्यप्रदेश में 29 में से 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे है. हालांकि, इस सियासी घमासान में कुछ नेताओं पर बीजेपी ने विश्वास जताया तो वहीं पार्टी ने 6 नेताओं के टिकट काट दिए है. विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टिकट मिला है, वहीं सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के हाथ टिकट नहीं लगा. जानिए किन 6 नेताओं के कटे टिकट, क्या रही वजह
गुना से केपी यादव का पत्ता कटा
गुना सीट मध्य प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से सांसद रहे. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में केपी यादव ने उन्हें एक लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया था. वहीं साल 2020 में सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए थे.
सिंधिया को राज्यसभा में भी जगह मिली थी. सिंधिया अपनी परंपरागत सीट गुना से ही सांसद रहना चाहते थे. लिहाजा केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी सुनी और सिंधिया को पार्टी का टिकट थमा दिया, वहीं बताया जा रहा है कि केपी यादव को पार्टी किसी और भूमिका में रखेगी .
भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का पत्ता कटा
बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का टिकट काटकर आलोक शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2019 में प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह को शिकस्त दी थी. मगर भोपाल की सांसद का लगातार विवादित बयानबाज़ी में घिरे रहना उन पर भारी पड़ गया. उनके बयान पर जिसमें उन्होनें गोडसे को देशभक्त बताया था पीएम मोदी काफी नाराज हुए थे, पीएम ने कहा था मैं उन्हें कभी मन से माफ नहीं करूंगा.
विदिशा से रमाकांत भार्गव के हाथ नहीं लगा टिकट
विदिशा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट है, इस सीट को शिवराज सिंह चौहान की परंपरागत सीट कहना गलत नहीं होगा. वो इस सीट से पांच बार सांसद रहे चुके है. जबकि इस सीट के लिए दूसरे उम्मीदवार रमाकांत भार्गव थे, हालांकि वो शिवराज सिंह चौहान के ही करीबी है. ऐसे में जब इस सीट की जिम्मेदारी पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को ही सौंपी है तो रमाकांत का टिकट कटना स्वाभाविक था.
रतलाम से गुमान सिंह डामोर का कटा टिकट
रतलाम से गुमान सिंह डामोर का टिकट कटना भी तय माना जा रहा था . डामोर की परफॉरमेंस भी ठीक नहीं रही. विधानसभा चुनाव में रतलाम में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा . यहां से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक ने जीत हासिल की थी. ऐसे में बीजेपी पार्टी आदिवासी वोटर्स को लेकर कोई बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहती है. ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को बीजेपी ने रतलाम सीट से उम्मीदवार बनाया.
ग्वालियर से विवेक शेजवलकर
ग्वालियर सीट पर बीजेपी ने बड़ा सियासी दांव खेला है. इस सीट से सांसद विवेक शेजवलकर की उम्र उनका रोड़ा बनी है. विवेक शेजवलकर 76 वर्षों के हो चुके है. साथ ही वो मेयर भी रह चुके है. यहां मौजूदा सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काटकर यहां से भारत सिंह कुशवाह को चुनावी मैदान में पार्टी ने उतारा है. भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से लगातार दो बार विधायक रहे हैं. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में महज 3282 वोट से चुनाव हार गए थे. बता दें, बीजेपी के वोट बैंक पर नजर डाले तो साफ दिखाई देता है कि बीजेपी ने भारत सिंह कुशवाहा को ओबीसी सेक्टर और कुशवाहा मतदाताओं के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए उम्मीदवार बनाया है.
सागर से राजबहादुर सिंह को नहीं मिला टिकट
सागर जैसे बड़े ज़िले में राजबहादुर सिंह की परफॉरमेंस से केंद्रीय नेतृत्व भी खुश नहीं रहा है. अब उनकी जगह महिला प्रत्याशी लता वानखेड़े को मौका दिया गया है. लता वानखेड़े के चुनावी सफर की बात करें तो उन्होनें भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष का पद संभाला हैं.
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