जो सबको दिख रहे हैं वो उन्हें नहीं दिख रहे

खास खबर            Aug 04, 2023


कीर्ति राणा।

मध्यप्रदेश के इंदौर को फोकस करते मास्टर प्लान की मांग को लेकर, कान्ह-सरस्वती नदी को प्रवाहमान बनाने, सिटी फारेस्ट को धरातल पर उतारने, कपड़ा मिलों की जमीन को शहर हित में संरक्षित रखने, अहिल्या लोक प्रोजेक्ट को राजवाड़ा क्षेत्र की अपेक्षा पुराने आरटीओ की जमीन पर विकसित करने, स्मार्ट सिटी में नक्शा स्वीकृति के भारी भरकम शुल्क को कम करने, हर कॉलोनी में हॉकर्स जोन विकसित करने जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिनका इस पौने दो दशक में भी सरकार शत-प्रतिशत हल नहीं निकाल सकी है।

इंदौर का तो मात्र उदाहरण है, प्रदेश के अन्य बड़े शहरों से लेकर नगर निगम क्षेत्र वाले शहरों के भी ऐसे स्थायी मुद्दे हैं जिन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।

ऐसे सारे मुद्दे शहरों के आमजन को तो वर्षों से दिख रहे हैं लेकिन सत्ता-संगठन स्तर पर इन्हें घोषणा पत्र लायक नहीं समझे जाने का ही नतीजा है कि अब चुनाव मैदान में उतरने से पहले भाजपा आमजन से वो सारे विषय जानना चाहती है, जिन्हें वह अपने घोषणा पत्र में शामिल कर सके।

इस के लिए वह व्यापारी, चिकित्सकों सहित अन्य प्रबुद्धजनों से तो समूह चर्चा करेगी चुनाव घोषणा पत्र के लिए सामान्यजन से भी मुद्दे जुटाने के लिए चौराहे-चौराहे तंबू लगा कर उनके लिखित सुझाव लेगी।

इन सुझावों पर वाकई अमल हो ही जाएगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन सर्वाधिक राजस्व देने वाले इंदौर शहर की ही बात करें तो सतत कई वर्षों से मास्टर प्लान को लेकर मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों-अधिकारियों से मिलते रहने के बाद भी शहर के ज्वलंत मुद्दों का ठोस हल नहीं खोजा जा सका है।

 

 



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