यहां साधे भाजपा ने एक तीर से कई निशाने , ग्राउंड रिपोर्ट नरसिंहपुर से

खास खबर            Nov 07, 2023


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी/ममता मल्हार।

 एक तीर से कई निशाने लगा लिये बीजेपी ने। केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को नरसिंहपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने का फैसला बीजेपी के लिए विन-विन सिचुएशन जैसी है।

 चर्चा है कि बीजेपी प्रह्लाद पटेल को छिंदवाड़ा, जबलपुर या सिवनी से लड़ाने का सोच रही थी, यदि ऐसा होता तो बीजेपी के लिए नरसिंहपुर जीतना मुश्किल हो जाता और प्रह्लाद पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर होती। अब प्रह्लाद पटेल दूसरे इलाकों में जाकर बीजेपी का प्रचार भी कर रहे हैं। मुतमईन हैं कि आसपास की सीटों पर भी अपना प्रभाव डालेंगे।

 घर की सीट

 यहां से प्रह्लाद पटेल के भाई, वर्तमान विधायक जालम सिंह का टिकट पक्का था। जालम सिंह यहां से 2003 में उमा भारती की लहर में जीते थे। 2008 में वे अपने भाई प्रह्लाद पटेल के साथ उमा भारती की लोकजन शक्ति पार्टी से खड़े हुए और तीसरे नंबर पर रहे। 2008 में कांग्रेस के सुनील जायसवाल जीते थे। 2013 में जालम सिंह फिर बीजेपी में थे और यहीं से लड़े। जीते। कांग्रेस के सुनील जायसवाल चुनाव में खेत रहे! 2018 में फिर जालम को टिकट मिला। फिर जीत गए।

 मुख्य किरदार 1

 प्रह्लाद पटेल ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। पांच बार के लोक सभा सांसद हैं। केन्द्र में मंत्री हैं। बीजेपी ने 17 अगस्त को जारी पहली सूची में उन्हें 'कलेक्टर से तहसीलदार' बना दिया। भाई जालम सिंह ने भी 'टिकट का त्याग' कर दिया। 

 प्रह्लाद पटेल बीजेपी के दिग्गज नेता हैं। जब शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे, तब वे उसके महासचिव थे। प्रह्लाद पटेल को भाजपा ने मणिपुर का प्रभारी बनाया था। मणिपुर बीजेपी प्रभारी के रूप में उन्होंने उसे राज्य में बीजेपी की सरकार बनवा दी। उस राज्य में, जहां बीजेपी का एक भी विधायक नहीं था। उन्हें पश्चिम बंगाल में विधानसभा के वक़्त 45 सीटों का प्रभारी बनाया गया था, उसमें से 37 बीजेपी ने जीती थीं।

 सहायक किरदार 2

 प्रह्लाद के लिए भाई जालम का त्याग लाजमी था। प्रह्लाद पटेल कहीं और से खड़े होते तो भी जालम का पत्ता कट जाता।  एक परिवार में दो टिकट संभव न थे। महाकौशल बीजेपी के लिए खट्टे अंगूर जैसा है। 2018 में यहां की 38 में से केवल 13 पर बीजेपी जीती थी।

 जालम खड़े भी होते तो बेटे मणि नागेंद्र सिंह 'मोनू' के बिना मुश्किल होती। मणि नागेंद्र की 30 अप्रैल 2023 को मृत्यु हो गई। महज 34 के थे। घर में बेसुध पड़े मिले। सात साल पहले शादी हुई थी। उनकी पत्नी नीतू सिंह ने 17 नवम्बर 2020 को दिल्ली के वसन्त कुंज थाने में फरियाद की थी कि पति मोनू के खिलाफ एफआरआई दर्ज की जाए। मोनू ड्रग्स लेता है, नशे का आदि है, मेरे साथ मार पिटाई करता है, रंगीन मिजाजी है और हिंसा करता है। शिकायत में विधायक ससुर और उनके बड़े भाई केन्द्रीय मंत्री पर भी प्रताड़ना का आरोप था। 

 नीतू घर से अलग, दिल्ली में नौकरी करती हैं। उनके आरोपों को पटेल परिवार ने कहा -अनर्गल!

 मोनू की असमय मृत्यु पर सरकारी डॉक्टरों ने लिखा -कारण हार्ट अटैक आना था।

 किरदार 3

 कांग्रेस के लाखन सिंह पटेल भले ही पिछले चुनाव में बीजेपी के जालम सिंह से हार गए हों, लेकिन वह लगातार 5 साल से अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। लोगों से उनका जीवन संपर्क है। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचा है और उसी के बूते पर चुनाव का खर्च  कर रहे हैं। जिला पंचायत में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। किसानों से उनका सतत संपर्क है। उनकी सहजता और सरलता ही उनकी प्रमुख खूबी है। उनके पक्ष में सबसे अच्छी बात यही कही जाती है कि वह आसानी से मतदाताओं के लिए सुलभ हैं। अगर प्रह्लाद पटेल जीत भी गए तो लोगों से कितना संपर्क रख पाएंगे? जब प्रह्लाद पटेल का यह बयान आया कि चुनाव जीतने के बाद वे महीने में एक दिन अपने क्षेत्र के मतदाताओं को देंगे। इस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि 30 दिन में से एक ही दिन? 

 एक्स्ट्रा और कैमियो किरदार

 बीजेपी और कांग्रेस सहित कुल 8 हैं। बसपा भी मैदान में है। भारतीय शक्ति चेतना पार्टी,  जन सुरक्षा पार्टी, आजाद समाज पार्टी और दो निर्दलीय भी मैदान में हैं।

 सनद रहे

1998 में यहां से बसपा जीती थी। कांग्रेस का गढ़ रहा है नरसिंहपुर। श्याम सुंदर नारायण मुशरान चार बार एमएलए रहे।  उनकी मृत्यु के बाद उपचुनाव में उनके बेटे अजय नारायण  सेना में कर्नल पद से शैक्षिक निवृत्ति लेकर राजनीति में आये। 3 बार एमएलए रहे। अब वे नहीं हैं। अब इस परिवार के दामाद विवेक तंखा (कांग्रेस नेता, राज्यसभा सांसद) जबलपुर में रहते हैं और वहीं से राजनीति संचालित करते हैं।

 चुनावी मुद्दे

इस क्षेत्र में 7 शुगर मिल हैं। दो फोरलेन सड़कें हैं। इथेनॉल प्लांट लगाया जा रहा है । 6000 करोड़ की सिंचाई योजना का काम कागज पर है। यहां के लोगों को एयरपोर्ट चाहिए और मेडिकल कॉलेज भी। 

 

 

 



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