क्या कांग्रेस भी लड़ेगी धर्म के नाम पर चुनाव

खास खबर            Jun 17, 2023


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रचार का शंखनाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने नर्मदा पूजन से किया।

इस दौरान 30 फीट की विशालकाय गदा का प्रदर्शन हुआ। कई पार्टी कार्यकर्ता हनुमान जी का वेश धरकर पहुंचे समारोह स्थल पर।

जय सिया राम और जय हनुमान के नारे लगे, कुल मिलाकर ऐसे संकेत मिले कि कांग्रेस इस चुनाव को 'धर्मयुद्ध' की तरह लड़ने की तैयारी में है।

अभी तक यह क्षेत्र माना जाता रहा है भाजपा का।

भाजपा तो पहले से ही धर्म के नाम पर हिन्दू मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटी है।

कर्नाटक में उसने 'हनुमान दांव' चला था।

कांग्रेस भी इसी रास्ते पर निकलती दिखाई पड़ रही है। केवल प्रियंका के कार्यक्रम में ही नहीं, वैसे भी मध्य प्रदेश कांग्रेस के तमाम नेता मुड़ रहे हैं धर्म की ओर।

वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बार-बार यह बात कहते हैं कि उज्जैन में महाकाल लोक भले ही बीजेपी के कार्यकाल में निर्मित हुआ हो और उसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

लेकिन असल में परियोजना के लिए धनराशि का आवंटन उनके मुख्यमंत्री रहते किया गया था। कांग्रेस की सरकार को हाईजैक कर लिया गया।

भाजपा की तरह अब कांग्रेस के नेता भी पूरे मध्य प्रदेश में जगह-जगह भागवत कथाओं और प्रवचनों का आयोजन करा रहे हैं।

धार्मिक आयोजनों की बाढ़ आ गई है, कथावाचकों और आयोजकों की पूछ-परख यकायक बढ़ गई है।

इंदौर में कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला धार्मिक कथा के प्रवचनकार पंडित प्रदीप मिश्र की कथा का आयोजन कर रहे हैं। कांग्रेस नेता सत्यनारायण पटेल प्रवचन करा रहे हैं जया किशोरी के।

दमोह के कांग्रेस विधायक अजय टंडन अलग धार्मिक आयोजनों में जुटे हैं। भोपाल में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पीसी शर्मा भागवत कथा करा रहे हैं।

कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी इनमें बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।

बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली है। शिवराज सिंह की सरकार महाकाल लोक के बाद अब पीताम्बरा पीठ लोक, राजा राम के ओरछा महालोक, परशुराम लोक, सलकनपुर देवी महालोक सहित कई धार्मिक स्थलों का निर्माण करा रही है। पार्टी के नेता अपने-अपने क्षेत्रों में धार्मिक आयोजन कराने में बिजी हैं।

कोई शिव महापुराण करा रहा है, तो कोई भागवत कथा। इनमें पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस भी हैं। हालांकि उनका कहना है कि ऐसे धार्मिक आयोजन का लक्ष्य राजनीति नहीं, बल्कि समाज से जातिवाद को ख़त्म करना है। ऐसे आयोजनों से जातिवाद की दीवार टूटती है।

 

शिवराज सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, शहरी विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी भोजन-भंडारों और धार्मिक आयोजनों में जुटे हैं।

कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने स्तर पर आयोजनों में जुटे हैं।

अचानक धार्मिक आयोजनों की बाढ़ आने का कारण आगामी चुनाव ही हैं, लेकिन नेता इसे स्वीकार नहीं करते।

पूर्व मंत्री रामकिशोर कावरे का कहना है कि इन धार्मिक आयोजनों का मकसद लोगों में नैतिक मूल्य जगाना और लोगों को संस्कारित करना है।

वहीं, एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, 'मेरा नाम मत छापना, लेकिन सच्चाई यही है कि राजनीतिक आयोजनों में 10 हज़ार की भीड़ जुटाना भी मुश्किल होता है, जबकि धार्मिक आयोजनों में दो-दो लाख लोगों को भी बुलाना आसान।'

वास्तव में ऐसे आयोजनों से पार्टियों को दोतरफा लाभ होता है। एक तो मतदाताओं को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है और दूसरे कि कार्यकर्ताओं को लामबंद करने में मदद मिलती है।

कार्यकर्ता आपसी मतभेद भूलकर आयोजन को सफल बनाने में जुट जाते हैं। ज़्यादातर मतदाता धार्मिक भावनाओं वाले होते हैं और जब नेता धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं, तब उन्हें लगता है कि हमारे नेता भी हमारी तरह धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते हैं।

इस तरह नेता से जुड़ाव महसूस करने लगते हैं मतदाता और कार्यकर्ता।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी कर्नाटक के अपने अनुभव को दोहरा दोहरा रही है, कांग्रेस ने यहां भी मतदाताओं से 5 वादे किए हैं।

प्रियंका गांधी का कहना है कि ये वादे नहीं, गारंटी हैं। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में कर्नाटक की तरह नारी सम्मान योजना शुरू करेगी।

इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने डेढ़ हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को हर महीने एक हज़ार रुपये दिए जाते हैं।

शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया है कि धीरे-धीरे इस धनराशि को बढ़ाकर तीन हज़ार रुपये कर दिया जाएगा।

कांग्रेस की अन्य गारंटियों में पांच सौ रुपये में गैस सिलिंडर देना भी है।

100 यूनिट तक बिजली का बिल माफ़ करना और 200 यूनिट तक के बिजली बिल को हॉफ करना भी कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल है।

इसके अलावा पार्टी गारंटी दे रही है ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की। कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा का कर्मचारी वर्ग ने अच्छा प्रतिसाद दिया था।

मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस कर्नाटक की तरह बीजेपी की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में पीछे नहीं है। प्रियंका गांधी ने जबलपुर की रैली में जीत का यकीन जतलाया था।

प्रियंका ने कहा था कि मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के 220 महीनों में 225 घोटाले हुए हैं।

कांग्रेस का आरोप है कि, 'राज्य में हर माह कम से कम एक बड़ा घोटाला हो रहा है। प्रधानमंत्री को मिलने वाली गालियों से भी लंबी लिस्ट मध्य प्रदेश में घोटालों की है। घोटालेबाजों ने मां नर्मदा को भी नहीं छोड़ा।

अवैध रेत उत्खनन से नर्मदा नदी का शरीर छलनी कर दिया है, महाकाल लोक के कामों में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जो अब लोगों के सामने आ गया है।

जो लोग भगवान को भी नहीं छोड़ते, वे मध्य प्रदेश की जनता को क्या छोड़ेंगे?'

जवाब में बीजेपी के नेता भी कोई आरोप लगाने से पीछे नहीं।

उनका कहना है कि, 'मध्य प्रदेश में प्रियंका गांधी का आना वैसा ही है, जैसे किसी चुनावी हिंदू का तीर्थ यात्रा पर जाना। महिलाओं के सम्मान की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता महिलाओं को 'आइटम' और 'टंच माल' कहते हैं।

कांग्रेस के नेताओं को नर्मदा मैया और गंगा मैया की याद केवल चुनाव के वक़्त ही आती है।'

मध्य प्रदेश का आने वाला चुनाव इतना ज़्यादा धर्ममय हो गया है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियों की तरफ से सोशल मीडिया पर विडियो जारी करने को लेकर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।

इन वायरल विडियो में भगवान राम, हनुमान और भगवान शंकर, नारद के बीच के संवाद चर्चा में हैं।

दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक की जीत के बाद भगवान राम और हनुमान जी, कमलनाथ का साथ देने की बात कर रहे हैं।

ऐसे ही एक दूसरे व्यंग्यात्मक विडियो में नारद जी और भगवान शंकर के बीच महाकाल लोक की आंधी से तबाही को लेकर संवाद हो रहा है।

कमलनाथ अपनी हनुमान भक्त की छवि दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, वह छिंदवाड़ा में भगवान हनुमान का विशालकाय और भव्य मंदिर बना चुके हैं।

अब एक विडियो आया है, जिसमें हनुमान जी अपने आराध्य राम के पास पहुंचते हैं और कहते हैं कि, 'हे प्रभु, कर्नाटक में सत्य की जीत हुई है।

अब आगे आपका क्या आदेश है?' इस पर हनुमान जी से भगवान राम मध्य प्रदेश की ओर प्रस्थान करने और कमलनाथ का साथ देने की बात कहते दिखाई दे रहे हैं।

महाकाल लोक में आंधी से हुई मूर्तियों की क्षति को लेकर कई मीम्स सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इनमें भगवान शंकर को क्रुद्ध अवस्था में दिखाया जा रहा है।

ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस में बराबरी की टक्कर है।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि एमपी में कांग्रेस भारी पड़ रही है और कर्नाटक की जीत ने उसमें एक नया जोश भर दिया है।

लेकिन, हाल ही में आई एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट में बीजेपी को आगे दिखाया गया।

कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि इस तरह के सर्वेक्षण बीजेपी नेता पैसे खर्च करके कराते हैं।

अपनी जीत के दावों के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के अपने-अपने तर्क हैं।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी 18 साल से ज़्यादा समय से यहां राज कर रही है। ऐसे में लोगों में पार्टी के प्रति नाराज़गी स्वाभाविक है।

कांग्रेस के नेता आरोप लगाते हैं कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है और यहां के हालात कर्नाटक से मिलते जुलते हैं।

कांग्रेस का एक और तर्क है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी बहुत बंटी हुई है। यहां तीन बीजेपी हैं। पहली बीजेपी शिवराज सिंह चौहान की है।

दूसरा गुट माना जाता है ज्योतिरादित्य सिंधिया का। इसको महाराज गुट कहा जा रहा है। तीसरा गुट इन दोनों ही गुटों से नाराज़ है, इसलिए उसे नाराज़ गुट कहा जा रहा है।

भाजपा के नेता इन आरोपों को लगातार नकार रहे हैं।

उनका कहना है कि राज्य में करोड़ों लोगों को सरकार की नीतियों से लाभ मिला है।

वे लाभार्थी निश्चित ही विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में बीजेपी को वोट देंगे। मध्य प्रदेश की तुलना कर्नाटक से करना भी ठीक नहीं।

एमपी में कर्नाटक की तरह जातीय समीकरण काम नहीं करते। ना ही मध्य प्रदेश में कर्नाटक की तरह क्षेत्रीयता की भावना है।

 

 



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