कीर्ति राणा।
मध्यप्रदेश में इस बार के चुनाव में राजनीति पर धर्म हावी होने का ही नतीजा है कि इंदौर, भोपाल सहित अन्य शहरों में ज्यादातर विधायकों के लिए कथा कराना, हर दिन भंडारे में हजार श्रद्धालुओं को भोजन कराना अनिवार्यता हो गई है।
यदि यह कहा जाए कि माहौल जैसे देवता वैसी पूजा का बना हुआ है तो अतिशंयोक्ति नहीं होगी।
इस बार सावन और अधिकमास एक साथ होने से उमड़ रही आस्था का जब विधायक और दावेदार लाभ लेने से नहीं चूकना चाहते तो भला कथाकार भाव बढ़ाने में क्यों पीछे रहे।
सात से दस लाख तो न्यूनतम रेट है कथाकारों का बाकी फिर जैसा जजमान वैसी डिमांड।
कथाकारोंमें सर्वाधिक डिमांड वाले क्रम में पं प्रदीप मिश्रा, बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री और जया किशोरी जी टॉप पर हैं।
चर्चित कथाकार खुल कर तीन और सात दिवसीय कथा के मेहनताने के संबंध में कुछ बोलने की अपेक्षा यजमान से ही पूछ लेते हैं कि आप का बजट क्या है।
जया किशोरी जी जरूर सार्वजनिक रूप से स्वीकारती हैं कि हमारी कथा यदि लाखों की रहती है तो गलत क्या है। हमारे साथ कथा वाली मंडली, संगीत कलाकारों और इनके परिवार की व्यवस्था भी तो जुड़ी रहती है।
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