डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
संसद में चल रहे वर्तमान बजट सत्र में राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव भी होना है। भारतीय जनता पार्टी ने जिन लोगों के नाम राज्यसभा में भेजने के लिए उपयुक्त माने हैं, उनमें पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता का नाम शामिल है। कांग्रेस ने महाराष्ट्र से जाने-माने पत्रकार कुमार केतकर को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है।
कुमार केतकर लोकसत्ता और महाराष्ट्र टाइम्स जैसे अखबारों के संपादक रह चुके हैं और वर्तमान में बॉम्बे प्रेस क्लब के चेयरमैन होने के साथ ही दैनिक भास्कर ग्रुप के दैनिक दिव्य मराठी के प्रधान संपादक भी हैं। उन्होंने इकॉनामिक टाइम्स में भी काम किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कुमार केतकर 45 वर्षों से सक्रिय हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में वे नियमित लिखते रहते हैं। टीवी चैनलों पर भी उनके शो आते रहते है।
कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा का टिकिट पाना उनकी निष्पक्ष छवि के लिए ठीक नहीं है। कुमार केतकर अम्बानी ग्रुप के डेली आॅब्जर्वर में भी रेसीडेंट एडिटर के पद पर काम कर चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि उनकी नजदीकी अम्बानियों से भी बनी हुई है। भाजपा जिन लोगों को राज्यसभा में भेजने जा रही है, उनमें ओलम्पिक पदक विजेता मैरी कॉम, अर्थशास्त्री नरेन्द्र जाधव, मलयालम फिल्म एक्टर सुरेश गोपी और सुब्रमण्यम स्वामी के नाम शामिल हैं।
पत्रकार बिरादरी के कई सदस्य संसद में चुनकर जाते रहे हैं, लोकसभा में भी और राज्यसभा में भी। पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद समाचार पत्रों से जुड़े रहे। जवाहरलाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी भी पत्रकारिता से जुड़े थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित कई पत्रकार महत्वपूर्ण पदों पर रहे। एम.जे. अकबर, अरूण शौरी, राजीव शुक्ला तो मंत्री भी रहे।
अंग्रेजी, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के कई पत्रकार संसद में पहुंचे है। कुछ मनोनयन के माध्यम से और कुछ चुनाव के माध्यम से। संतोष भारतीय, विद्यानिवास मिश्र, कुलदीप नैयर, एच.के. दुआ, चंदन मित्रा, नदीम उल हक, विवेक गुप्ता, श्रीजॉय घोष, जे. अल्वा, कुणाल घोष, प्रीतिष नंदी, विलास मुत्तेमवार, अश्विनी कुमार, संजय निरूपम, प्रभात झा, तरूण विजय, विजय दर्डा, प्रफुल्ल कुमार माहेश्वरी आदि पत्रकारिता से जुड़े लोग संसद में पहुंचे है।
विजय दर्डा, नरेन्द्र मोहन और प्रफुल्ल कुमार माहेश्वरी जैसे समाचार पत्र मालिक संसद में सक्रिय भी रहे हैं। राजीव शुक्ला टीवी कंपनी के मालिक के रूप में संसद पहुंचे, लेकिन पत्रकारिता ही उनके लिए माध्यम बना। इनमें से कई पत्रकारों ने संसद की गरिमा बढ़ाई और कई ने घटाई भी।
राज्यसभा में मनोनयन को लेकर अक्सर कई बड़े पत्रकारों की लार टपकती रहती है। बहुत कम ऐसे पत्रकार हैं, जो राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बजाय अपने पत्रकारीय जीवन को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं।
वेबसाईट से साभार
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