मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि जैसे ही मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके गए। कांग्रेस के लोग भी इस लाईन पर चल पड़े। इसी आधार पर आगे जाकर बंटवारे की नींव रखी गई।
अंग्रेज हमारे यहां व्यापार करने आए थे, व्यापार की रक्षा के बहाने उन्होंने सेना खड़ी की, फिर धीरे-धीरे हमारे बंटे हुए राज्यों को किराए पर उठाने लगे। आज के कलेक्टर अतीत काल में उनके कलेक्शन मैन थे, जो राजस्व संग्रह का काम करते थे।
मुख्यमंत्री आज बुधवार 14 अगस्त को भारत-पाकिस्तान बंटवारे की बरसी पर भोपाल के सरोजनी नायडू कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा- देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। इस त्रासदी का शब्दों में बखान करना करुण और कठिन है। इसकी शुरुआत बहुत पहले हो गई थी।
मोहम्मद गजनबी ने सोमनाथ मंदिर नहीं तोड़ा, उसने मंदिर के साथ देश की आजादी को तोड़ने का पहला प्रयास किया था।
देश का विभाजन पिछली शताब्दी की सबसे दु :खद दुर्दांत घटनाओं में से एक है। यह त्रासदी पूर्ण घटना है। इस त्रासदी का शब्दों में बखान करना बहुत ही करुण और कठिन है। कई कारणों से लोग इस पर बात भी नहीं करना चाहते। हम भी उस कष्ट को जानते हैं।
कार्यक्रम के दौरान विधायक भगवान दास सबनानी से चर्चा करते मुख्यमंत्री मोहन यादव।
भाषण की मुख्य बातें
हिंदू-मुसलमानों को अंग्रेजों ने लड़ाया: 1857 में हिंदू-मुसलमानों ने मिलकर युद्ध लड़ा। अंग्रेजों ने जैसे ही समझ लिया कि ये सब मिलकर लड़ेंगे, तो हम आगे राज लंबा चला नहीं सकते।
उन्होंने गांठ बांध ली कि इस देश की आबादी में फूट डालेंगे और राज करेंगे। तब हिंदू-मुसलमान को आपस में लड़ाने का षड्यंत्र खड़ा किया।
बंटवारे की यह बताई वजह: अरब के खलीफा आंदोलन को यहां के लोगों ने मुस्लिम धर्म से जोड़कर समर्थन दे दिया गया।
उस समय लियाकत अली और मोहम्मद अली जिन्ना कांग्रेस के बड़े नेता थे। कांग्रेस ने नादानी के आधार पर अपने देशभक्त मुसलमान का मन डबल कर दिया। जैसे ही मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके गए।
कांग्रेस के लोग भी इस लाइन पर चल पड़े। आगे जाकर बंटवारे की नींव रखी गई।
सदभाव में गलती कर बैठते हैं: यह अच्छा है कि हम हर एक को गले लगाते हैं। अपने उदार भाव को सबके साथ साझा करते हैं। इस भाव में ये भूल जाते हैं कि हमसे कौन सी गलतियां हो रही हैं।
ऐसी गलतियां में कभी-कभी लोग हमको भ्रमित कर देते हैं, और अपने जाल में फंसा लेते हैं।
ऐसे समझाई आजादी की कीमत: इजराइल को आजाद होने में 2 हजार साल लगे। इस दौरान वहां के लोग जहां भी रहें, वे हर साल एक निश्चित समय पर इकट्ठे होते और संकल्प लेते कि अगले साल हम अपने देश में मिलेंगे। ऐसा वक्त आने में 2000 साल लगे। यह उदाहरण इसलिए दिया ताकि आपको इसकी गंभीरता समझ आए।
कार्यक्रम में विद्यार्थी और विस्थापितों के परिजन भी शामिल हुए।
मुस्लिम लीग ने बढ़ाई हिंदू-मुसलमानों में खाई
मुख्यमंत्री ने कहा- 1857 से 1906 तक हिंदू और मुसलमान दोनों समाज के बीच ज्यादा दूरियां नहीं थीं, लेकिन 1906 में अंग्रेज पहली बार मुस्लिम लीग का फॉर्मूला लेकर आए। इस फॉर्मूले में नया आरक्षण खड़ा किया। भारत के अंदर मुस्लिम बहुल विधानसभाएं निकाली गई। यहां केवल मतदान का अधिकार केवल मुसलमान को था। उम्मीदवार भी मुस्लिम ही होंगे। हिंदुस्तान के अंदर किसी हिंदू को वोट देने का अधिकार नहीं था।
तब कांग्रेस को षड्यंत्र समझ नहीं आया
सीएम ने कहा- मैं अपने देश की अच्छाई बताता हूं। 1906 में पहली बार मुस्लिम लीग ने अपने कैंडिडेट खड़े किए। लेकिन, देशभक्त मुसलमानों ने अंग्रेजों के उस षड्यंत्र को समझ लिया। इसके बाद 1906, 1911, 1916 या 1923 का चुनाव हो, एक भी बार मुस्लिम लीग के कट्टरपंथी भाव का साथ नहीं दिया।
चुनाव में खड़े होने वाले भी मुस्लिम थे और वोट देने वाले भी मुस्लिम। लेकिन, देशभक्त मुसलमान और देश विरोधी का ही चुनाव होता था। हर बार मुस्लिम लीग चुनाव हारती रही। 1936 तक लगातार वह हारी लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस के लोगों को अपनी आजादी की लड़ाई में यह षड्यंत्र समझ में नहीं आया।
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