मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के बाल गृह संस्थाओं द्वारा कन्वर्जन के मामले सामने आने के बाद भी बाल संरक्षण आयोग रिकार्ड संधारित नहीं करता है।
शनिवार 9 जुलाई को राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसका खुलासा किया। वह रविवार को वात्सल्य भारत संगोष्ठी के संबंध में चर्चा के लिये पत्रकारों से मुखातिब हुए थे सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि इसके पृथक रिकार्ड नहीं रखते हैं। क्योंकि आयोग इस कृत्य को भी बच्चों के अपराध की श्रेणी में रखता है।
उनसे पूछा गया था कि दौरों के दौरान अब तक कितने प्रकरण राष्ट्रीय बाल आयोग के संज्ञान में आ चुके हैं और इसके आरोपियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
एक अन्य प्रश्र के जबाव में उन्होंने दमोह घटना को लेकर उन्होंने दावा किया कि इसमें सरकार का एक कर्मचारी भी शामिल है।
अपराध की गंभीरता और प्रशासन के ढ़़ुलमुल रवैये को देखते हुए आयोग ने संचालकों की मनमानी के खिलाफ उच्च न्यायालय जबलपुर में बीते दिनों याचिका दाखिल की है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 15 से अधिक ऐसे बाल गृह मिले हैं जिनके संचालक एक मान्यता पर दो-दो बाल गृह संचालित कर रहे हैं।
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