मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश सरकार में नवनियुक्त मंत्री रामनिवास रावत ने एक ऐसे रैकेट को पकड़ने में पुलिस की मदद की है जो दलबदलू नेताओं को ठगी का शिकार बनाता था।
इस मामले में पहली गिरफ्तारी ग्वालियर मध्य प्रदेश से हुई है। मामला हाई प्रोफाइल है इसलिए भोपाल पुलिस और स्वयं मंत्री रामनिवास रावत, ठगी करने वालों के नाम नहीं बता रहे हैं।
प्रापत जानकारी के अनुसार कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर वन मंत्री बने रामनिवास रावत ठगी का शिकार होते-होते बच गए। उनसे भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के नाम पर पैसे मांगे गए। वन मंत्री रावत ने क्राइम ब्रांच में शिकायत की है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
वन मंत्री रावत के अनुसार मंत्री श्री रावत से फोन पर ₹5 लाख मांगे गए थे। फोन करने वाले ने खुद को राष्ट्रीय संगठन मंत्री का पीए बताया था। उसने श्री रावत की किसी व्यक्ति से बात कराई थी जो गंभीर आवाज में बात कर रहा था।
जानकारी जुटाने पर पता चला कि राष्ट्रीय संगठन मंत्री की ओर से कोई फोन नहीं किया गया है। क्राइम ब्रांच में शिकायत की गई। आरोपी मध्यप्रदेश का ही रहने वाला है।
प्राप्त वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत ने शिकायत में पुलिस को बताया कि कुछ दिन पहले मोबाइल नंबर 9285127561 से कॉल आया था। कॉलर ने खुद को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डी. संतोष का पर्सनल सेक्रेटरी बताया।
कॉलर ने कहा, ‘विजयपुर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में आपके लिए कुछ लोगों की व्यवस्था करा देंगे, जो आपका पूरा काम देखेंगे। एक व्यक्ति के हिसाब से पांच लाख रुपए लगेंगे।’ दो-तीन बार रावत ने टाल दिया, लेकिन कॉलर का कई बार फोन आया।
श्री रावत ने बताया कि कॉलर ने किसी अन्य शख्स से भी बात कराई। उसने खुद को भाजपा का संगठन महामंत्री डी. संतोष बताया। वह धीरे-धीरे गंभीर आवाज में बात कर रहा था।
हालांकि, शक तो उसी वक्त हो गया था, जब उसने संगठन महामंत्री का नाम गलत बताया। क्योंकि राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष हैं।
कंफर्मेशन के लिए कॉल किया तो पोल खुल गई
रावत विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उनके इस्तीफे के बाद वहां उपचुनाव होना है। 8 जुलाई को मंत्री बनने के बाद उनसे पैसे की मांग करने वाले चुनाव के लिए पैसे मांग रहा था।
श्री रावत ने बताया कि कॉलर कह रहा था कि चुनाव में आपकी मदद करते रहेंगे। श्री रावत ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाई, तो पता चला कि राष्ट्रीय संगठन मंत्री की ओर से ऐसा कोई कॉल नहीं किया गया है।
रावत को पूरी बात समझ आ गई। इसके बाद उन्होंने शिकायत की। क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज कर जांच शुरू की।
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