पवन कौरव गाडवारा से।
मध्यप्रदेश में मंडी चुनाव नही कराए जाने को चुनोती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार ने जबाब प्रस्तुत किया है जबाब में सरकार ने कहा है कि दो सप्ताह में मंडी चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी जिसके लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम शुरू कर दिया गया है।
इसके बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिपठ एवं न्यायाधीश विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को नियत की है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 2013 में मंडी चुनाव हुए थे जिसके बाद सरकार को वर्ष 2017-18 में मंडी चुनाव कराने थे लेकिन आज वर्ष 2023 तक करीब 5 साल का एक पूरा का पूरा कार्यकाल बीत जाने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में मंडी चुनाव नही करा पाई है।
जिसको लेकर 16 नवम्बर 2022 में नागरिक उपभोक्ता मंच के मनीष शर्मा, राजेश शर्मा गाडरवारा निवासी पत्रकार पवन कौरव, अभिषेक मेहरा, सज्जाद अली, विजय आहूजा, की ओर से हाईकोर्ट जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर कर मध्यप्रदेश में शीघ्र मंडी चुनाव कराने की मांग की थी।
जिस पर 21 नवंबर में सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश सरकार, मंडी बोर्ड, चुनाव आयोग को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जबाब मांगा था लेकिन उसके बाद तीन से चार सुनवाई के बाद भी सरकार जबाब नही दे सकी पिछली सुनवाई में 12 जून को हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए मध्यप्रदेश सरकार पर समय पर जबाब पेश नही करने पर दस हजार रुपये की कास्ट लगाई थी।
जिसके बाद बीते 27 जून को हुई सुनवाई में सरकार ने अपनी ओर से हाईकोर्ट ने जबाब पेश करते हुए जानकारी दी कि मतदाता सूची बनाने का काम शुरू कर दिया गया है एवं सरकार दो सप्ताह में मंडी के चुनाव की प्रकिया शुरू कर देगी सरकार की तरफ से इसके लिए दो सप्ताह का समय भी मांगा गया है।
युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए सरकार के जबाब को रिकार्ड में लेने के निर्देश जारी किए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मंडी अधिनियम की धारा-11 में मंडी समितियों के गठन का प्रावधान है वही धारा-13 में मंडी समितियों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित किया गया है।
गौरतलब है कि मंडी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरकार किसी आपातकालीन या विशेष परिस्थिति में ही कम से कम डेढ़ एवं ज्यादा से ज्यादा साढ़े तीन साल तक ही मंडियों का कार्यकाल बढ़ा सकती है।
लेकिन करीब एक कार्यकाल बीत जाने के बाद भी सरकार मध्यप्रदेश में नए मंडी चुनाव नही करा पाई जो अवैधानिक है, चुनाव न कराना मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का हनन है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से इस पूरे मामले में अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।
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