मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश विधानसभा 2023 में नई सरकार के गठन के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है. उससे पहले 21 से 30 अक्टूबर तक विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन जमा किया. 31 अक्टूबर को नामांकनों की जांच की गई, जिसमें कई नामांकन निरस्त कर दिए गए, तो वहीं कई नामांकनों को होल्ड पर रख दिया गया.
जिन नामांकन को होल्ड पर रखा गया है, उनमे मध्य प्रदेश के तीन बड़े नेताओं के नामांकन भी शामिल हैं. इनमें दो बीजेपी (BJP) और एक कांग्रेस (Congress) के नेता शामिल हैं. इनमें से एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष हैं तो वहीं एक पूर्व मंत्री और एक वर्तमान राज्य मंत्री हैं.
जिन तीन दिग्गजों के नामांकन होल्ड पर रखे गए है उनमें मध्य प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा और राज्य मंत्री राहुल सिंह लोधी हैं. इनके नामांकन को आपत्तियों के चलते होल्ड पर रख दिया गया है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र और पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चुरहट से कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अजय सिंह (Congress Candidate Ajay Singh Rahul) के नामांकन पर आपत्ति लगाई गई है. उसमें यह आरोप है कि अजय सिंह ने नामांकन के समय दिये शपथ पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारूप में शपथ पत्र न देते हुए अपनी और पत्नी की अचल संपत्ति की जानकारी का बनावटी शपथ पत्र प्रस्तुत किया है. साथ ही कुछ काॅलम जिनको भरना जरूरी था, उनको रिक्त छोड़ दिया है.
भोजपुर विधानसभा से बीजेपी उम्मीदवार और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा पर कांग्रेस द्वारा घोषित उम्मीदवार पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल ने आपत्ति लगाई है. आरोप है कि पटवा पर 501 प्रकरण विचाराधीन हैं, जबकि उन्होंने 167 की ही जानकारी दी है, जिसमें से स्वयं को 6 मामलों में सजा होने की जानकारी दी, जबकि 6 महीने पहले ही उन्होंने हाई कोर्ट में खुद पर 28 मामलों में सजा होने का शपथ पत्र दिया था.
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) के भतीजे और भारतीय जनता पार्टी के खरगापुर से घोषित प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी (Khargapur BJP Candidate Rahul Singh Lodhi), जिनको हाल ही में राज्य मंत्री बनाया गया था, उनके नामांकन पर कांग्रेस द्वारा आपत्ति ली गई है. राहुल की चिर प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस की घोषित प्रत्याशी चंदा सिंह गौर ने आपत्ति लगाई है. आरोप है कि राहुल लोधी की विधायकी हाई कोर्ट से शून्य घोषित हुई थी. इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत पर हैं. ऐसे में उन्हें चुनाव का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.
तीनों नेताओं के नामांकन पर लगाए गए होल्ड पर बुधवार को सुनवाई होगी. हालांकि विधि विशेषज्ञों के अनुसार निर्वाचन अधिकारी इन नेताओं को अपनी सफाई देने के लिए 24 घंटे का समय दे सकते हैं. लेकिन अगर इन तीनों का नामांकन निरस्त होता है तो कहीं ना कहीं 2009 की स्थिति निर्मित हो जाएगी.
2009 लोकसभा चुनाव में विदिशा संसदीय सीट से भाजपा ने अपनी दिग्गज नेत्री सुषमा स्वराज को अपने प्रत्याशी बनाया था. वहीं कांग्रेस ने वर्तमान भोजपुर उम्मीदवार राजकुमार पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था. बी फार्म जमा करते समय राजकुमार पटेल ने ओरिजिनल फॉर्म की जगह उसकी फोटो कॉपी जमा कर दी थी, जिसके चलते उनका नामांकन निरस्त हो गया था. इसके परिणाम स्वरूप विदिशा में कांग्रेस का कोई प्रत्याशी ही नहीं बचा था. इसलिए अब इन तीनों नेताओं को 2009 का डर सता रहा है.
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