मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में सायबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए राज्य सायबर पुलिस द्वारा सायबर अपराधियों के विरूद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है और विभिन्न नवाचारों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। इसी अनुक्रम में 16 मई गुरुवार को पुलिस मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में पुलिस के क्षमता विकास हेतु कार्यशाला आयोजित की गई ।
इस कार्यशाला में डीजीपी सुधीर सक्सेना संपूर्ण समय उपस्थित रहे। विशेष वक्ता के रूप में केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के सीईओ राजेश कुमार ने सायबर अपराधों की रोकथाम और पीड़ितों को त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में पुलिस ऑफिसर्स को प्रशिक्षण दिया।
कार्यशाला में डीएसपी और उससे ऊपर के 700 अधिकारी उपस्थित रहे। ऑनलाइन माध्यम से फील्ड के डीएसपी, एएसपी, एसपी, डीआईजी तथा आईजी और पुलिस मुख्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्यालय में पदस्थ एडीजी, आईजी, डीआईजी, एआईजी और डीएसपी स्तर तक के समस्त अधिकारी भी उपस्थित रहे।
प्रशिक्षण की शुरूआत में सीईओ श्री राजेश कुमार ने मप्र पुलिस को बधाई देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां पूरे प्रदेश के पुलिस अधिकारी व्यापक स्तर पर समस्त अधिकारी हाइब्रिड मोड में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सायबर क्राइम बढ़ने की गति बहुत तेज है। भारत में घटित सायबर क्राइम मुख्यत: पूर्वी, दक्षिणी राज्यों और दिल्ली के आसपास के साथ ही भारत के बाहर दक्षिण एशियाई देशों से कारित किए जा रहे हैं। इसमें भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा सायबर क्राइम की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार भारत सरकार के सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के माध्यम से सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए नए-नए समाधान खोज रही है, ताकि अनुसंधान में मदद मिल सके। अपराधों की रोकथाम में विभिन्न राज्यों का समन्वय और समवेत प्रयास हों, इसके लिए सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर विशेष रूप से क्रियाशील है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के सीईओ राजेश कुमार ने कहा कि देशभर में प्रतिदिन सायबर क्राइम से संबंधित 7 हजार से अधिक शिकायतें आती हैं। उन्होंने बताया कि सायबर क्राइम में वर्ष 2021 से 2022 तक 113.7 प्रतिशत तथा वर्ष 2022 से 2023 तक 60.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए जनता भी सहयोग कर सकती है, इसके लिए www.cybercrime.gov.in पर जाकर लोग पब्लिक वॉलेंटियर के रूप में स्वयं को रजिस्टर कर सकते हैं ।
साथ ही पुलिसकर्मी www.cyberpolice.nic.in पर जाकर कार्य कर सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए संचालित किए जा रहे प्रतिबिंब पोर्टल, समन्वय प्लेटफॉर्म, जेएमआईएस, 1930 आदि के बारे में सभी पुलिस अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 1930 पर आने वाले 100 प्रतिशत कॉल उठाए जा रहे हैं, जो पुलिस की तत्परता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सायबर फ्रॉड के मामले में फरियादी द्वारा शीघ्र सूचित किए जाने और पुलिस द्वारा शीघ्र कार्रवाई किए जाने से शीघ्र मामले का निराकरण किया जा सकता है।
डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए पुलिस के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सायबर के क्षेत्र में पुलिस के सामने मल्टीपल चैलेंजेस आते हैं। इन चुनौतियों में अपराधियों द्वारा नए-नए तरीके अपनाए जाने, साइबर क्राइम की संख्या अत्यधिक होने, भौगोलिक समस्या जैसे एक जिले में अपराध कर आरोपी द्वारा दूसरे जिले में भाग जाना, सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए रिसोर्सेस की कमी होना, स्पेशल ट्रेनिंग व जिला स्तर पर एक्सपर्ट्स की कमी आदि शामिल हैं। इनके अतिरिक्त सबसे बड़ी चुनौती यह जानना है कि किस तरह पीड़ित को शीघ्रता से सहायता उपलब्ध करवाई जा सकती है।
इन चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विक्टिम्स को नॉलेज न होना भी बड़ी समस्या है, यहां तक कि कई पुलिसकर्मियों को भी पूरी तरह पता नहीं है कि सायबर अपराध पर नियंत्रण के लिए करना क्या है, इसके लिए आवश्यक है कि सभी अधिकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर रहें और जानें कि एक्टिवली करना क्या है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण जिले के सभी एसपी द्वारा निचले स्तर तक पहुंचाया जाना आवश्यक है ताकि सायबर क्राइम से पीड़ित आमजन राहत महसूस कर सके। डीजीपी ने सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक जिले में नोडल ऑफिसर की नियुक्ति किए जाने के निर्देश दिए। डीजीपी श्री सुधीर सक्सेना ने कहा कि उक्त कार्यक्रम में मिले विशेष प्रशिक्षण का लाभ पुलिस के अंतिम छोर तक पहुंच सके, इसके लिए सभी एसपी को निर्देशित किया गया कि ऐसा प्रशिक्षण जिला स्तर तक करवाया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले। उन्होंने कहा कि सायबर अपराध के पीड़ितों को तुरंत मदद मिले और उनसे ठगी राशि उन्हें, मिल सके उसके लिए पुलिस अधिकारी विशेष प्रयास करे।
सायबर अपराध पीड़ितों के बैंक खातों से रुपए गायब हो जाने, उन्हें ठगे जाने, महिलाओं को ब्लैकमेल किए जाने जैसे विभिन्न सायबर अपराधों में त्वरित सहायता मिल सके, इस हेतु दिल्ली से आई टीम ने पुलिस अनुसंधान के विशेष समाधान बताए।
किस प्रकार ठगने वाले व्यक्तियों की सिम को त्वरित ब्लॉक किया जा सकता है तथा उक्त गतिविधियों पर नियंत्रण रख बैंकों से सायबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की मदद से किस प्रकार ठगी गई राशि वापस पीड़ित तक पहुंचाया जा सकता है, इस संबंध में भी प्रशिक्षक टीम ने समाधानों के संबंध में जानकारी दी। डीजीपी श्री सक्सेना द्वारा समस्त पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि पीड़ित व्यक्ति की त्वरित सहायता ही पुलिस अधिकारियों की प्राथमिकता होनी चाहिए और इसलिए उनका सायबर अनुसंधान में दक्ष होना आवश्यक है।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में विभिन्न जिलों के एसपी ने सायबर क्राइम पर नियंत्रण के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में चर्चा की। विशेष वक्ता श्री राजेश कुमार ने सभी एसपी की जिज्ञासाओं व समस्याओं का समाधान किया । इसके साथ ही कई पुलिस अधिकारियों ने सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए सिस्टम को और बेहतर बनाने से संबंधित सुझाव भी दिए। इस दौरान जटिल सायबर अपराधों के अनुसंधान में किस तरह की समस्याएं आती हैं, इस पर भी चर्चा की गई। सभी अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम का उच्च श्रेणी का फीडबैक दिया गया।
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