मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में ठीक 6 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भोपाल के जिन मंत्री-विधायकों के गढ़ में बंपर वोटिंग हुई थी, वहां लोकसभा चुनाव में वोटिंग घट गई। इनमें मंत्री विश्वास सारंग, कृष्णा गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, सुदेश राय समेत कांग्रेस विधायक आतिफ अकील और आरिफ मसूद के क्षेत्र भी शामिल हैं। वोटिंग में सबसे ज्यादा अंतर सीहोर-बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में है, जबकि गोविंदपुरा में अंतर कम है।
इस लोकसभा चुनाव में 64.06 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो 2019 में हुए चुनाव की तुलना में 1.59 प्रतिशत कम है। पिछले चुनाव में 65.65 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस बार के वोटिंग प्रतिशत पर नजर डाले तो सीहोर विधानसभा में 75 प्रतिशत और बैरसिया में 73 प्रतिशत वोट डाले गए। यही कारण है कि लोकसभा का कुल मतदान प्रतिशत भी बढ़ गया। जानकारों की माने तो, यदि इन दोनों विधानसभाओं में वोटिंग प्रतिशत कम रहता तो कुल वोटिंग प्रतिशत भी 60-62% से अधिक नहीं जाता।
भोपाल में मतदान के लिए 7 मई को पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली। हालांकि, पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में कम मतदान हुआ।
भोपाल में मतदान के लिए 7 मई को पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली। हालांकि, पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में कम मतदान हुआ।
विधानसभा-लोकसभा चुनाव में इतना अंतर
6 महीने पहले अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे। इनमें सभी आठ विधानसभाओं में कुल 68.57% मतदान हुआ था। 6 महीने के अंतराल में हुए लोकसभा चुनाव में इन्हीं विधानसभाओं में 64.06% मतदान हुआ है। यानी, 4.51% वोटिंग घट गई है।
विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में सीहोर में सबसे कम 6.11%, बैरसिया विधानसभा में 5.83% मतदान कम हुआ। भोपाल उत्तर में 3.55%, नरेला में 4.68%, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में 2.78%, भोपाल मध्य में 4.11%, गोविंदपुरा में 1.64%, हुजूर में 4.78% मतदान कम हुआ है।
8 विधानसभाओं में ये मंत्री-विधायक काबिज
भोपाल लोकसभा में कुल 8 विधानसभा- बैरसिया, हुजूर, गोविंदपुरा, नरेला, भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, भोपाल दक्षिण-पश्चिम और सीहोर शामिल हैं। इनमें से 6 पर बीजेपी के मंत्री-विधायक काबिज हैं।
मंत्री विश्वास सारंग सबसे ज्यादा 4 बार के विधायक हैं। नरेला विधानसभा क्षेत्र उनका गढ़ है। राज्यमंत्री कृष्णा गौर भी गोविंदपुरा सीट से लगातार 3 बार की विधायक हैं। गोविंदपुरा सीट गौर परिवार की परंपरागत सीट रही है।
सीहोर विधायक सुदेश राय लगातार 3 बार से चुने गए हैं। कांग्रेस के आरिफ मसूद 2 बार के विधायक हैं।
भोपाल उत्तर से आतिफ अकील पहली बार के विधायक हैं। हालांकि, आतिफ के पिता आरिफ अकील की भोपाल उत्तर परंपरागत सीट रही है।
भोपाल दक्षिण-पश्चिम से भगवानदास सबनानी पहली बार के विधायक हैं। इन्होंने पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को हराया था।
भोपाल संसदीय सीट के लिए 7 मई को हुए मतदान में वोटिंग बढ़ने का 15 साल का रिकार्ड ब्रेक हो गया है। भोपाल में 15 साल बाद लोकसभा चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम मतदान हुआ है। चुनाव आयोग की डेटा रिपोर्ट के अनुसार 2009 के लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट पर 45.07 फीसदी मतदान हुआ था। 2019 के चुनावों में यह बढ़कर 65.65 प्रतिशत हो गया था। लेकिन, 7 मई को केवल 64.29 प्रतिशत मतदान होने से चुनाव दर चुनाव वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी के ट्रेंड पर ब्रेक लग गया है।
गौरतलब है कि इस बार लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने की तमाम कोशिशें की गई। जिनमें लकी डॉ, व्यापारियों का बाजार बंद भी शामिल हैं, लेकिन, पिछली बार की तुलना में वोट प्रतिशत ज्यादा नहीं हो सका। इसके चलते भोपाल संसदीय सीट पर पिछले 15 साल में हुए तीन लोकसभा चुनावों में मतदान बढ़ने के बजाय घटने का नया रिकॉर्ड बना है।
चुनाव के दौरान पूरे संसदीय क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम डॉ. मोहन यादव के रोड शो और सभाएं भी हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने मालवीय नगर से न्यू मार्केट के बीच रोड किया था। वहीं, सीएम डॉ. यादव ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में रोड शो और सभाएं की थीं।
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