मल्हार मीडिया ब्यूरो।
अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच के दायरे में अब कुछ बड़े पत्रकार भी आ सकते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस संबंध में पत्रकार और लेखक हरि जयसिंह की एक याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है, जिसमें ये मांग की गई है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच अब सुप्रीम कोर्ट के दायरे में करें, यानी सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल दे।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार हरि जयसिंह के वकील से कहा कि इसकी प्रतियां गृह मंत्रालय, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को दी जाएं।
इस याचिका में कहा गया है कि मामले की जांच कर रहे जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय को अब तक की जांच की प्रगति का विवरण सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश करने का निर्देश दिया जाए।
हरि जयसिंह ने अपनी याचिका में अदालत से ये भी अनुरोध किया है कि कुछ मीडियाकर्मियों के भ्रष्ट आचरण में संलिप्त होने के आरोपों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के ही सेवानिवृत्त न्यायाधीश या किसी अन्य प्रबुद्ध व्यक्ति के नेतृत्व में जांच आयोग गठित की जाए।
वकील जय अनंद देहादराइ के माध्यम से दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2013 में अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकेनिका ने अपने खर्च पर कुछ भारतीय पत्रकारों की इटली यात्रा का इंतजाम करवाया था। इस यात्रा का सारा इंतजाम रक्षा सौदे में बिचौलिए क्रिश्चियन माइकल ने किया था। याचिका के मुताबिक, फिनमेकेनिका ने इस सौदे को ‘मैनेज’ करने के लिए माइकल को 217 करोड़ रुपए की रकम दी थी जिसमें 50 करोड़ रुपए मीडिया के लिए रखे गए थे। याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि इस मामले से जिन पत्रकारों का नाम जुड़ रहा है, उन सबसे इस बारे में हलफनामा मांगा जाए और इसे सार्वजनिक किया जाए।
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