डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
हाल ही में हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले फेक न्यूज का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। आबादी का 62 प्रतिशत हिस्सा फेसबुक और वाट्सएप के जरिये फेक न्यूज प्राप्त कर रहा है।
इससे फेसबुक का वह दावा गलत साबित होता है, जिसमें कहा गया था कि फेसबुक ने भारत में 10 लाख फर्जी अकाउंट प्रतिदिन डिलीट करने का फैसला किया है। सर्वे के अनुसार फेसबुक और वाट्सएप ऐसे माध्यम है, जो फेक न्यूज का प्रचार करने के प्राथमिक माध्यम कहे जा सकते हैं।
इस बारे में जो सर्वे किया गया, उसके अनुसार 54 प्रतिशत आबादी 18 से 25 वर्ष के बीच के लोगों की थी। सर्वे के अनुसार 96 प्रतिशत यूजर वाट्सएप के माध्यम से फर्जी न्यूज प्राप्त कर रही है। इस सर्वे का आयोजन ऑनलाइन स्टार्टअप सोशल मीडिया मेटर्स और नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस, पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स द्वारा किया गया।
सर्वे में लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 62 प्रतिशत ने इस बात को स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव में फेक न्यूज और मिस इंफर्मेशन मतदाताओं को प्रभावित करेगी।
आगामी लोकसभा चुनाव में भारत में करीब 90 करोड़ मतदाता अपने वोट का उपयोग कर सकेंगे। इनमें 9.4 प्रतिशत ऐसे मतदाता है, जो पहली बार वोट डालने जाएंगे। यह माना जाता है कि युवा मतदाता फेक न्यूज से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
41 प्रतिशत लोगों ने यह बात स्वीकारी कि वे किसी भी समाचार की पुष्टि के लिए अन्य साधनों का सहारा लेते है। 54 प्रतिशत ने यह दावा किया कि वे ऐसी किसी भी खबर पर तत्काल भरोसा नहीं करते। 43 प्रतिशत ने कहा कि हम जिन लोगों से समाचार प्राप्त करते है, वे विश्वसनीय है, लेकिन वे ही गलत सूचनाएं देते है।
सर्वे में 56 प्रतिशत पुरूष और 41 प्रतिशत महिलाएं शामिल थी। सर्वे का दावा है कि उसने ट्रांसजेंडर वर्ग के 1 प्रतिशत लोगों से भी बातचीत की है।
फेसबुक ने दावा किया कि पिछले 18 महीनों से वह इस दिशा में कार्य कर रहा है कि फेक न्यूज को फैलने से रोका जा सकें। पिछले हफ्ते ही उसने करीब 700 पेज डिलीट किए है। नियमों का उल्लंघन करने वाले अकाउंट्स और ग्रुप्स को भी सस्पेंड किया जा रहा है।
इसके लिए सुनियोजित रणनीति अपनाई जा रही है और चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है।
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