दीपक तिवारी।
ये हैं नईदुनिया समाचार पत्र 1960 के दशक से इसने हिन्दी पत्रकारिता और भाषा के संस्कार स्थापित किए हैं ।
यही संस्कार और भाषा बाद में देश के कई अख़बारों के लिए मानक बनी।
आज भोपाल संस्करण में शत्रुघ्न सिन्हा द्वारा दिल्ली सरकार के एक कार्यक्रम में जाने को लेकर ख़बर छपी है।
इस ख़बर में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है वह मुझे न जाने क्यों “वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी” की भाषा लग रही है।
राजेंद्र माथुर जी, मदनमोहन जोशी जी माफ़ कर दीजिएगा, इनको। सचमुच क्या से क्या हो गया !
पिछले चालीस सालों से इसका पाठक हूँ, लगता है शायद कुछ दुखद निर्णय करना पड़ेगा। देखते हैं !
फेसबुक वॉल से
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