अखबारों में अघोषित सेन्सरशिप ?

मीडिया            Aug 29, 2018


पुणेंदु शुक्ल।


मंगलवार को देश भर में छापों के बाद छह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के इतने महत्वपूर्ण समाचार को दैनिक भास्कर में सिंगल कॉलम स्थान नहीं मिलना एक खतरनाक संकेत है.

इस बारे में सिर्फ दो ही सम्भावनाएँ है यां तो अख़बार ने सरकार की नज़रों में स्कोर करने के लिए खुद ही यह खबर ब्लैकआउट कर दी यां फिर सरकार ने इस समाचार को नहीं छपने देने का ''प्रबंधन'' किया है. क्या यह 'न्यू इण्डिया का नए तरह के इमरजेंसी प्लान' का आगाज है.

सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वालों को चुप किया जाएगा लेकिन इतने बड़े डिजिटल मंच पर लोगों की आवाज़ तो बंद नहीं की जा सकती। आपका क्या ख्याल है इस विमर्श मंच पर अपने विचार भेजिए ....पूर्णेन्दु

बापू भी गिरफ्तारियों का विरोध करते!
ख्यातनाम इतिहासकार एवं लेखक रामचंद्र गुहा ने कहा है कि अगर आज गांधीजी होते तो वे भी सरकार द्वारा की गई इन गिरफ्तारियों के विरोध में खडे होते, वे वकील के बतौर भी सुधा भारद्वाज जैसी प्रोफ़ेसर एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता की कोर्ट में पैरवी भी करते।

गुहा आज एनडीटीवी प्राइम टाइम कार्यक्रम में काफी आक्रोशित नजर आ रहे थे।

एंकर रवीश ने उनसे कहा भी कि इससे पहले मैंने आपको कभी भी इतना उत्तेजित नहीं देखा। जवाब में गुहा बोले कि पुलिस की ये कार्रवाई हमारे लोकतंत्र के लिए बहुत डराने वाली है.

मैं पिछले 15 वर्ष से बापू के विचारों और कार्यों पर शोध कर रहा हूँ और इनमें से एक को छोड़ कर सभी लोगों को अच्छी तरह से जानता हूँ जिसके आधार पर भी यह कह सकता हूँ यदि लोगों के विचारों को इस तरह दबाने की कोशिश की गई तो लोकतंत्र खतरे में पद जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस मसले पर सर्वोच्च अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए। इसके पहले उन्होंने अपने ट्वीट में अमित शाह को लेकर भी बहुत तीखी टिप्पणी की थी।

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