सोशल मीडिया पर कैसी है आपकी पर्सनालिटी,जस की तस या कुछ और

मीडिया            Dec 29, 2016


डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।

क्या सोशल मीडिया पर आपका व्यक्तित्व वही है, जो असल जिंदगी में है? क्या ऐसा संभव है कि असल जिंदगी में आप कुछ और हो और सोशल मीडिया पर आपकी छवि कुछ और? हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह दावा किया गया कि असल जिंदगी में जो आपका व्यक्तित्व है, आप उस व्यक्तित्व से अलग हटकर सोशल मीडिया पर अपना व्यक्तित्व नहीं दिखा सकते। इसका अर्थ यह हुआ कि सोशल मीडिया पर भी आप जैसे नजर आते हैं, वह भी वास्तविक है। कोई यह नहीं कह सकता कि वर्चुअल दुनिया में आप अलग व्यक्तित्व बनाए रख सकते हैं।

तो फिर लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि वर्च्युअल दुनिया में लोग अपना व्यक्तित्व अलग तरह से पेश करते हैं। वास्तव में यह लोगों की गलतफहमी है। अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर खुद सक्रिय है, तो वहां भी उसकी वही झलक देखी जा सकती है, जो वह निजी जीवन में होता है। हां, अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया के लिए कर्मचारी नियुक्त कर रखे और उन्हें ये छूट दे दे कि वे उसके बारे में जो भी चाहे अपडेट करते रहें, तब संभव है कि आपका व्यक्तित्व अलग नजर आए। उदाहरण के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को ही लें, सोशल मीडिया पर भी उनका वही व्यक्तित्व झलकता है, जो वे अपने निजी जीवन में है। साफ-साफ बातें करने वाले, अपनी बातों पर दृढ़ और त्वरित टिप्पणी करने वाले। इसके विपरीत शिवराज सिंह चौहान को सोशल मीडिया पर देखकर ही आप समझ सकते हैं कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट कोई और मैनेज कर रहा है और उनकी पोस्ट में उनका असली व्यक्तित्व नहीं झलकता। जैसे कि शिवराज सिंह चौहान की पोस्ट में ही उनके नाम के आगे माननीय, जी और श्री जैसे शब्द लिखे होते हैं। क्या कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने के पहले खुद ही माननीय, जी या श्री लिखता है?

वर्चुअल मीडिया में अलग व्यक्तित्व झलकने के अपने खतरे हैं। कोई आपकी असली छवि को भी धूमिल कर सकता है, क्योंकि सीधे-सीधे तो कोई भी आपसे रोज-रोज नहीं मिलता, लेकिन सोशल मीडिया पर वह रोज आपकी पोस्ट देखता है। हो सकता है कि कोई आपकी पुरानी पोस्ट भी देख रहा हो और आपका मूल्यांकन कर रहा हो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लाखों फॉलोअर्स होने के बावजूद उनकी पोस्ट को बहुत कम शेयर किया जाता है। यह बात भी साफ नजर आती है कि उनके फॉलोअर्स की संख्या में अनेक ऐसे फॉलोअर होंगे, जो वास्तविक दुनिया में होंगे ही नहीं। जो व्यक्ति सोशल मीडिया पर थोड़ा बहुत भी सक्रिय है, वह इसे आसानी से समझ सकता है।

सोशल मीडिया पर सक्रिय अनेक युवक-युवतियां अपने निजी अनुभवों को भी अक्सर शेयर करते रहते है। अनेक युवतियां अपनी फेमिनिस्ट इमेज बनाने की कोशिश करती नजर आती हैं। उनकी भाषा में हल्के शब्दों का इस्तेमाल और हल्की घटनाओं का इस्तेमाल भी जान-बूझकर किया जाता है। उन्हें यह लगता होगा कि इस तरह का व्यवहार दर्शाकर वे वर्च्युअल दुनिया में अपनी क्रांतिकारिता का परिचय दे रही हैं। वैसे ही जैसे विश्वविद्यालय में बीड़ी पीना, फैशन की बात है, वैसे ही वच्र्युअल दुनिया में उन्हें लगता होगा कि वे बड़ी क्रांतिकारी हैं, लेकिन उनकी पोस्ट को ध्यान से पढ़ो, तो समझ में आता है कि ये सब लोग प्रेम में विफल, टूटे हुए लोग हैं। सोशल मीडिया में कोई भी व्यक्ति ज्यादा समय तक मुखौटा पहने नहीं रह सकता।

अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि लोगों का व्यवहार अलग-अलग लोगों के सामने अलग-अलग होता है। जब भौतिक रूप से आप कुछ ही लोगों के सामने होते है, तब आप अपनी छवि कुछ और बनाना चाहते है, लेकिन वर्च्युअल दुनिया में सोशल मीडिया पर आप एक साथ हजारों लाखों लोगों से रूबरू होते है, तब आप अपनी छवि की चिंता ज्यादा करते है। ऐसे में आपका व्यवहार दिखावटी होने लगता है। यह दिखावटीपन भी आप एक सीमा तक ही दर्शा सकते है। जैसे हजारों लोगों की भीड़ के सामने आप करीने से भाषण देना पसंद करते है। वैसे ही सोशल मीडिया पर भी आपका व्यवहार होता है। अगर आप असल जिंदगी में लापरवाह किस्म के व्यक्ति हैं, तो हजारों लोगों की भीड़ के सामने भी आपका वहीं व्यक्तित्व झलक जाता है।

इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार सोशल मीडिया पर बनावटी व्यवहार की कोशिश न करें। अगर आपको अपने व्यक्तित्व की कोई बात छुपाना ही हो, तो बेहतर है कि सोशल मीडिया को नजरअंदाज कर दें। वहां उपस्थिति दर्ज ही न कराए या कम से कम उपस्थिति दर्ज कराएं। क्योंकि वहां आपकी असली छवि सामने आ ही जाएगी।

ब्लॉग से साभार।



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