डॉ. राकेश पाठक।
हम सब तुम्हारे कातिल हैं
सुनो गौरी
हो सकता है तुमने मरते वक्त उन लोगों को देखा हो, शायद पहचाना भी हो जो तुम्हारे सीने पर गोलियां दाग़ रहे थे...
तुम्हारी आँखों में आखिरी तस्वीर उन्ही की कैद रह गयी होगी...
लेकिन तुम्हारे क़ातिल सिर्फ वे ही नहीं हैं..हम सब हैं..!
हां हम सब.. जिन्हें तुम जाने से पहले चीन्ह नहीं पायीं..
हम जो अपने चारों तरह लहलहा रही नफ़रत की फसल को देख कर अपने कम्फर्ट जोन से कभी बाहर नहीं निकले..।
हमने इस जहर की काट ढूंढने की वैसी कोई कोशिश नहीं की जो करना हमारा फ़र्ज़ था।
जब तुम अपनी कलम से सच की इबारत लिख रहीं थीं तब हम में से ज्यादातर विरुद लिख रहे थे..।
जब भीड़ हर असहमत को देशद्रोही, गद्दार, पाकिस्तानी बता बता कर धकिया रही थी ,हम तब भी खामोश रहे...।
जब गांधी को गालियों से नवाज़ा जा रहा है और गोडसे की पूजा हो रही है हम तब भी गुड़ खाये बैठे रहे..
अब भी हम एक दिन धरना ,प्रदर्शन में आंसू बहा कर अपनी अपनी खुकाल में लौट जाएंगे..।
ये घटाटोप और गहरा होने वाला है,यह जानकर भी आज जो लोग खामोश हैं असल में वे असली गुनहगार हैं..!
बात किसी पार्टी या विचारधारा की नहीं हम और हमारे समाज के धीरे धीरे मरते जाने की है..तभी तो कुछ लोग आज तुम्हारे क़त्ल पर भी जश्न मना रहे हैं..!
लेकिन जश्न मनाने वाले नहीं जानते कि वे भी कतार में हैं..किसी दिन इसी तरह कोई गोली उनका सीना भी पार करेगी..
इस दौर में बख्शा कोई नहीं जाएगा..।
गौरी लंकेश..
ऊपर वाले की अदालत में जब गुनाहगारों के नाम लिखाओ तो हम में से किसी को मत बख्शना।
हमें कभी माफ मत करना दोस्त।
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