रजनीश जैन।
सीमेंट के चबूतरे से निकली क्षतविक्षत लाश को अस्थियों में तब्दील कर जैसे ही श्वेता का भाई भोपाल के विद्युत शवदाह गृह से निकला मीडियाकर्मियों ने उसपर हल्ला बोल दिया। वे उसकी बाईट चाहते थे ताकि अपनी खबर का श्रंगार कर सकें।...भाई दुःखी था, कातर था,लाचार था... या फिर आक्रोश में था इससे किसी को लेना देना नहीं था। यदि इनमें से वह किसी भी भाव में था तब भी कोई अर्थ नहीं जब तक कि हम अपना लोगो लगा माईक उसके मुँह में डाल कर उससे ही यह न निकलवा लें कि ...रे बता तेरे को कैसा लग रा है बे...तेरी बहिन मर गई, तू क्या कर लेगा बे। जैसा कि इन तस्वीरों और सर्कुलेट हो रहे वीडियो में दिख रहा है ...मीडिया कर्मियों की निष्ठुरता बेमिसाल थी। ... क्रूरतापूर्वक मार डाली गयी बहन अस्थियां लेकर लौट रहे भाई को कैसा महसूस होता होगा यह महसूस करने लायक दिल भी इन लोगों के पास है या खबरें कव्हर करते—करते इनके ह्र्दयों में भी सीमेंट भर गया है।...उस युवक को बलपूर्वक रोका गया, ...यहाँ तक कि धक्का—मुक्की में वह गिर ही गया। साथ चल रहे इकलौते पुलिसकर्मी ने उसे उठा कर कार में बैठाया तो उसने कार की सीट में अपना मुँह छुपा लिया।...
व्हाट्सप ग्रुप तीनबत्ती से।
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