मल्हार मीडिया डेस्क।
बरखा दत्त ने 21 साल की नौकरी के बाद एनडीटीवी को अलविदा कह दिया। वह खुद का वेंचर शुरू करेंगी। उधर एनडीटीवी ने भी बयान जारी कर बरखा दत्त के इस्तीफे की वजह बताई है। बरखा दत्त एनडीटीवी में बतौर कंसल्टिंग एडिटर कार्यरत थीं। आधिकारिक बयान जारी करके एनडीटीवी ने उनके लंबे समय तक चैनल के साथ कार्यकाल की तारीफ की और उनके भविष्य के लिए बधाई दी है।
बयान में कहा गया है, ‘साल 1995 में कॉलेज से पास होने के बाद बरखा दत्त ने सीधे एनडीटीवी ज्वाइन कर लिया था। अब शानदार 21 साल बिताने के बाद बरखा ने अपील की कि वे नए अवसर की तलाश करना चाहती हैं और खुद के वेंचर पर काम करना चाहती हैं। एनडीटीवी के साथ कार्यकाल में उन्होंने काफी ग्रोथ कीं और भारत के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में एक मशहूर हुईं और कई अवार्ड जीतें। हमें विश्वास है कि बरखा और ज्यादा से ज्यादा ग्रोथ करें और एनडीटीवी उनके भविष्य के लिए उन्हें बधाई देता है।’
बरखा दत्त के इस्तीफा दिए जाने के बाद वे टि्वटर पर ट्रेंड करने लगी। लोगों ने सोशल मीडिया पर बरखा दत्त पर निशाना साधा। कई लोगों ने उन्हें ‘पाकिस्तान पत्रकार’ तक करार दे दिया। वहीं कईयों ने उनके नए वेंचर को लेकर कयास लगाए। इससे पहले टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ के पद से अरनब गोस्वामी ने इस्तीफा दिया और रिपब्लिक नाम से नया वेंचर शुरू कर दिया है। अरनब के इस्तीफा देने पर वे भी टि्वटर पर ट्रेंड करने लगे थे। ज्ञात हो कि बरखा दत्त का नाम विवादित नीरा राडिया टेप में भी आया था।
उधर, कुछ जानकार लोगों का कहना है कि एनडीटीवी से एक के बाद एक बड़े नामों का विदाई यूं ही नहीं है। प्रणय राय द्वारा चिदंबरम के साथ मिलकर 2जी स्कैम का धन विदेशों में ले जाकर और चैनल खोलकर ब्लैक से ह्वाइट करने के मामले की फाइल नरेंद्र मोदी की टेबल पर पड़ी हुई है। प्रणय राय और चिदंबरम द्वारा किए गए घोटाले को उजागर आईआरएस अधिकारी एसके श्रीवास्तव ने किया था जिसके बाद चिदंबरम और प्रणय राय ने अपने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके उनका भरपूर उत्पीड़न किया था।
अब नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद उस मामले की फाइल कार्रवाई के लिए उनकी टेबल पर रखी हुई है। बताया जा रहा है कि एनडीटीवी के खिलाफ सीधे एक्शन लेकर इस चैनल को शहीद का दर्जा देने से बचते हुए मोदी सरकार एक-एक स्टेप रख रही है। इसी क्रम में उन चेहरों को चैनल से विदा करने को कहा गया है जो लगातार नरेंद्र मोदी के निशाने पर रहे हैं। बरखा दत्त के बाद रवीश कुमार जा सकते हैं, यूपी चुनाव बाद। चैनल में शीर्ष लेवल पर किसी को निकाले जाने की बजाय उनके साथ बैठकर उनकी सहमति से स्मूथ एक्जिट किया जाता है ताकि दोनों तरफ की इज्जत बची रहे।
भड़ास4मीडिया।
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