मल्हार मीडिया भोपाल।
बड़े अरमानों से आये थे केंद्रीय मंत्री रवीशंकर प्रसाद जी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नोटबंदी के फायदे गिनाने। बिला शक केंद्रीय मंत्री ने नोटबंदी के फायदे गिनाये और आंकड़ों के साथ गिनाये लेकिन,नोटबंदी के बाद नौकरियां जाने के सवाल पर उन्होंने मीडिया में पत्रकारों की नौकरी जाने का ही उदाहरण दे डाला। उन्होंने कहा कि जो समय और तकनीक के साथ अपडेट नहीं होते हैं उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है जैसे मीडिया में आप पत्रकारों के साथ होता है।
यूं आजकल पार्टी कार्यालयों की पत्रकार वार्ताओं में फैशन चल गया है। सिलेक्टेड पत्रकारों से सवाल पूछवाने का और जवाब देने का। सो मंत्री जी ने पहले ही कह दिया कि मैं उन्हीं पत्रकारों के सवालों का जवाब दूंगा जिनके नाम मीडिया प्रभारी बोलेंगे। मीडिया प्रभारी बार—बार पत्रकारों को यह ताकीद करते रहे कि लिस्ट में जिनके नाम हैं वही सवाल पूछेंगे। कई पत्रकार बड़े बेबस नजर आये और कई पत्रकार वार्ता के बाद उलझे भी। बहरहाल ये चर्चा फिर कभी।
आज सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि नोटबंदी के बाद से देह व्यापार में कमी आई है। इस प्रश्न पर मंत्री घिरते नजर आये और सोशल मीडिया पर भी ट्रोल होने लगे। उन्होंने कहा कि जबसे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी लागू की, कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं, नक्सली हमलों के साथ-साथ वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं की तस्करी भी कम हुई है।
नोटबंदी के बाद जब लोगों की नौकरियां जाने पर सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि नौकरी और रोजगार में अंतर होता है। उन्होंने कहा कि टीसीएस के जिन कर्मचारियों को निकाला गया वे अपने आपको समय अपडेट नहीं कर पाये थे इसलिए निकाला गया। इसके लिये प्रसाद ने मीडिया का उदाहरण देते हुये कहा कि जैसे जो पत्रकार अपडेट नहीं होते हैं मसलन तकनीक नहीं जानते व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया यूज करना नहीं जानते उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। यही अन्य कंपनियों में हुआ है।
रविशंकर प्रसाद ने अपने चार पन्नों के नोट से देखकर बताया कि नोटबंदी के बाद जो 99 प्रतिशत राशि वापस आई है, वो सारी सफेद नहीं है। उन्होंने बताया कि 23 लाख बैंक खातों में जमा 3.68 करोड़ नकदी की जांच चल रही है।
17.73 लाख पैन कार्ड धारकों की जांच की जा रही है, 4.7 लाख लेन-देन भी संदिग्ध बताए गए हैं। 16000 करोड़ रुपये वापस नहीं आए हैं, जबकि 29,213 करोड़ रुपये की अघोषित आया छापों के दौरान पकड़ी गई। सिर्फ 1.5 लाखों लोगों ने कुल मुद्रा का एक तिहाई यानी 5 लाख करोड़ रुपये जमा करा दिए। 2.24 लाख शेल कंपनियों का पंजीयन रद्द किए गये हैं।
जब यह कहा गया कि कंपनियों के नाम भी बताईये तो उनका कहना था कि अभी जांच चल रही है।
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