मूलचंद खिची।
किसी पत्रकार की हत्या के बाद ये पहली बार नहीं हुआ है कि संस्थान ने उसे अपना रिपोर्टर ही बताने से गुरेज किया हो। बालाघाट के संदीप कोठारी की निर्मम हत्या के बाद भी अखबार ने ऐसे ही पल्ला झाड़ा था। वो तो साथी पत्रकारों ने संदीप कोठारी के परिचय पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर दिये थे। मगर न्याय फिर भी नहीं हुआ।
पत्रकार कमलेश जैन हत्याकांड: हैं बडे आदमी, हैं बडे अखबार,हम तो आपके लिए जान न्यौछावर कर देते है, जब मरे तो हमारे कफन पर नई दुनिया सा लिखा रहे,खून पसीना एक कर अपनी कलम से अखबार को सिंचित करने वाले कमलकार के मरने के बाद वजूद की जंग,नईदुनिया ने स्वयं लिखा समाजसेवी और अखबार वितरक,धिक्कार है ऐसे अखबार को,धिक्कार है!
मंदसौर—पिपलियामंडी। 31 मई 2017 बुधवार का दिन पत्रकार जगत के लिए इतिहास में काला दिवस के नाम से जाना जाएगा। पिपलियामंडी में सालों से काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार कमलेश जैन की सरेआम शाम को गोली मारकर हत्यारों ने हत्या कर दी। कई सालों से दबंग पत्रकार कमलेश जैन इंदौर से प्रकाशित नई दुनिया अखबार में सेवाएं दे रहे थे और कई बाइलाइन और खोजपरख खबर प्रकाशित हुई। दिवंगत कमलेश जैन खून पसीना एक कर अखबार के पन्नों को खबरों से सींच रहे थे उनके सीने को गोली ने चिर दिया। इस हत्याकांड ने प्रदेश ही नही बल्कि देशभर के पत्रकारों को सोचने पर मजबूर ही नहीं किया बल्कि सुरक्षा पर सवाल उठाए है। एक कमलकार की हत्या के मामले में गुरूवार को पिलियामंडी सहित आसपास के अंचल में बंद है।
जिस अखबार के लिए वे काम कर रहे थे सुबह की हेडलाइन यह बनी कि समाजसेवी कमलेश जैन की गोली मारकर हत्या,खबर के अंदर सिर्फ यह लिखा गया कि नईदुनिया के वितरक भी थे। यह खबर पढकर आश्चर्य पाठक ही नहीं बल्कि पत्रकारों को हुआ।** *इसका मतलब स्पष्ट है कि नईदुनिया ने अपना मानने से इनकार कर दिया है। नई दुनिया ने कहा कमलेश जैन समाजसेवी और अखबार के वितरक थे। राष्ट्रीय लेवल के अखबारों की यही किवंदती रही है कि करे कोई और भरे कोई। नई दुनिया की नेशनल पॉलिसी है कि किसी भी झगडे को गले नहीं लगाना,अपनी छवि साफ—सुधरी रखना।
नई दुनिया अखबार की यह स्थिति हो गई है जिस तरह से क कांग्रेस में राहुल गांधी की हो गई है। इसलिए राष्ट्रीय अखबारों से निर्भिक और निष्पक्ष और दबंग पत्रकारों का मोह भंग हो गया है। जैसा कि कांग्रेस से पुराने कांग्रेसियों का मोह भंग हो गया है।
एक कहावत जैसे जैसे कि प्रचलित है बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पिंड खजूर!
पंथी को छाव नहीं,फल लगे अति दूर!!
है बडे लोग, है बडे अखबार, हम तो आपके लिए जान न्यौछावर कर देते है,बस इस उम्मीद मैं कि मरे तो हमारे कफन पर नई दुनिया सा नाम लिखा रहे!! इसी उम्मीद में पत्रकार जिंदगी भर सच का आइना समाज को दिखाता है, पर ऐसे अखबार को धिक्कार है,धिक्कार है।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सेठी को भी नईदुनिया ने ठीक इसी तरह से निकाला था, जिस तरह से दूध से मख्खी निकालते है। जबकि उन्होंने कुकडेश्वर में मस्जिद ढहाने का मामला हुआ था। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कवरेज किया और उस समय के चर्चित अखबार जनसत्ता, नईदुनिया में नेशनल न्यूज लगी थी और अखबार के प्रमुख पृष्ठ की लटकन लगी थी। नीमच जिले के कुकडेश्वर में देश के कई बडे नेता सुरेंद्र भाई के कहने पर एकत्रित हुए। वापिस सत्ता में कांग्रेस आई तो सुरेंद्र भाई पर्दे के पीछे मुख्य निर्देशक और निर्माता थे। लेकिन एक पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री के कहने पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सेठी को बाहर कर दिया। जैसे कि वरिष्ठ पत्रकार दिवंगत कमलेश जैन के मामले में नईदुनिया ने हाथ खींच लिए है।*_
पढिए जागरूक और वरिष्ठ पत्रकारों की प्रतिक्रिया
Ajit Kanthed: मेने भी सवेरे नई दुनिया में समाचार
पढ़ा तो आश्चर्य हुआ
नईदुनिया कमलेश को अपना संवाददाता क्यों नहीं मान रहा है?
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NK Singh Horrible. But we must find out the reason behind the killing. However I hope the Jagran management changes its stand.
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Jagdish Chhabra विसंगतियां... प्रबंधन पर सवाल, लाज़मी है ये लड़ाई. ! लेकिन, पत्रकार का वजूद देखिये... उधर हत्यारों के विरुद्ध कार्रवाई की जंग लड़ना पड़ रही है, इधर... मरने के बाद भी, वजूद की जंग ! क्या संकेत देते हैं, सुराना जी... ये हालात.?
Aishwary Pandey ईश्वर मृत आत्मा को मोक्ष दें।
मैंने भी नवदुनिया में पढ़ा की एक समाजसेवी की हत्या हुई
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Anil Jain आपकी यह पोस्ट पढकर मुझे अफसोस तो जरूर हुआ लेकिन आश्चर्य कतई नहीं। इसकी वजह यह है कि इस अखबार समूह का मौजूदा प्रबंधन और संपादकीय नेतृत्व मौका आने पर अपने बाप को भी बाप मानने से इनकार कर सकता है। वह पत्रकार उसे ही मानता है जो पढने-लिखने के मामले में प्रचंड प्रतिभाविहीन हो और उसके लिए दलाली कर सके, भ्रष्ट अफसरों, बिल्डरों, सेक्स रैकेट चलाने वालों आदि से उगाही कर सके तथा मौका आने पर उसके लिए उत्तर रात्रि व्यवस्था कर सके। अखबार समूह के मालिक से लेकर मैनेजर और संपादकनुमा सभी कारकूनों की यही कहानी है।*
Mukesh Sahariya, पत्रिका ब्यूरो चीफ नीमच— प्रश्न केवल एक का नहीं ऐसे हजारों पत्रकारों से जुड़ा है। आप दोनों ने सही बीड़ा उठाया है। आखिर पत्रकार कौन? इसपर खुली बहस होना चाहिए। आज जिले में ही वर्षों से कार्य कर रहे पत्रकारों की एक लंबी सूची है, लेकिन वास्तविकता में वे हांकर, एजेंट, सब एजेंट आदि नमो से पुकारे जाते है। वास्तविक को न्याय मिलना चाहिए।*
जीनेंद्र सुराणा वरिष्ठ पत्रकार— वाह बहुत खूब ! जिस कमलेश जैन नईदुनिया पत्रकार की कल पिपलिया मंडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई उसे नईदुनिया अपना पत्रकार ही मानने को तैयार नही है।नईदुनिया ने आज उसे समाज सेवी और नईदुनिया का वितरक बताया है।सुरेंद्र सेठी जी और मैंने इस मुद्दे पर पत्रकारों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है।घोर आश्चर्य की बात यह है कि नईदुनिया में आये दिन कमलेश जैन के byname समाचार लगते रहे है।
वरिष्ठ पत्रकार की हत्या को लेकर पत्रकारों में आक्रोश,कडे शब्दों में निंदा
नीमच—मंदसौर। पिपलियामंडी मे पत्रकार कमलेश जैन की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। पत्रकार जगत के लिए यह वारदात बडी दुखद है। प्रेस क्लब अध्यक्ष हरीश अहीर ने कडे शब्दो में इस घटना की निंदा की है। पूरे प्रदेशभर में इस घटना की निंदा हो रही है। इधर पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है। पूछताछ जारी है।
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