मल्हार मीडिया।
ये तो धोखा है चंद्रकान्त जी।ये कोई वक्त नही था और न उम्र और तुम जैसा हमेशा उर्जा से भरा,हर काम को मिनटो मे निपटाने वाला और नटखट बच्चे की तरह सबसे झगड़ कर भी सबका प्रिय रहने वाला मेरा सहारा इस तरह नही जा सकता।
ईश्वर यदि है तो मै उससे कहता हूं कि यह तो अन्याय की पराकाष्ठा है।आठ माह के बच्चे की अभी तो पिता की शक्ल पहचाने की कोशिशे कामयाब हो रही थी कि पिता का साया ही अब सिर पर नही रहा।
एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार को अपनी दम पर आगे ले जाने की चन्द्रकान्त की कोशिशें परवान चढ़ ही रही थीं कि इतना बड़ा वज्रपात हो गया और फिर मैं तो तुम्हारा बड़ा भाई होने के साथ हैड भी था।मुझसे पूछे बिना कैसे चले गये दोस्त।ईश्वर तुम्हे अपने चरणो मे स्थान दे।हम सब पूरी ताकत से ताउम्र तुम्हारे परिवार के साथ खड़े हैं।
फेसबुक वॉल से।
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