मल्हार मीडिया।
स्वाधीनता संग्राम के दौरान नेता शब्द आदर, सम्मान और समर्पण का परिचायक था लेकिन आजादी के बाद इस शब्द का सम्मान घट गया। सोशल मीडिया ने जनता की आवाज बुलंद की है,इससे समाज के बीच से अच्छे लोगों की पहचान सहज होने लगी है। सहकारिता राज्यमंत्री विश्वास सारंग ने आज कहा कि शासन के प्रतिनिधि होने के नाते वे सोशल मीडिया के शिक्षण प्रशिक्षण को पाठ्यक्रम में जगह दिलाने का प्रयास करेंगे। श्री सारंग यशस्वी पत्रकार भुवन भूषण देवलिया की स्मृति में पं. माधव राव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय के सभागार में आयोजित व्याख्यान माला में “सोशल मीडियाःअवसर और चुनौतियां’’ विषय पर चर्चा करते हुए विचार व्यक्त कर रहे थे।
डॉ.सर हरिसिंह गौर विवि, सागर के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में विभागाध्यक्ष रहे वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गी भुवन भूषण देवलिया की स्मृति में ये कार्यक्रम छह सालों से स्व. भुवन भूषण देवलिया व्याख्यान माला समिति की ओर से आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर अपने गुरू और मार्गदर्शक को याद करने के लिए सागर विवि के पत्रकारिता विभाग के पूर्व विद्यार्थियों के साथ ही अन्य पूर्व विद्यार्थी भी इस आत्मीय कार्यक्रम में उपस्थित हुए। राजधानी में आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों की श्रंखला में इस आयोजन ने तकनीकी आधार पर कई समाजोपयोगी सूत्र उजागर किए हैं। आज की व्याख्यान माला में राज्यसभा टीवी, नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक राजेश बादल, सागर के पत्रकारिता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.प्रदीप कृष्णात्रे, प्रो.दविंदर कौर उप्पल,माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कमल दीक्षित,पत्रकार शिवअनुराग पटैरया ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर पत्रिका समूह इंदौर में कार्यरत मुख्य उप संपादक अर्जुन रिछारिया को राज्य स्तरीय भुवन भूषण देवलिया पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर सर्वश्री राजेश सिरोठिया, अशोक मनवानी, डॉ.बी.के.दुबे,सुश्री सुनीता बोहरे, और आलोक सिंघई ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ स्मृतिचिन्ह और तुलसी के पौधे भेंट करके उनका अभिनंदन किया। सभी अतिथियों ने स्व. भुवन भूषण देवलिया के चित्र पर माल्यार्पण करके उनके प्रति अपनी श्रद्दांजलि अर्पित की।कार्यक्रम में भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यानमाला समिति की संयोजक और स्वर्गीय देवलिया की धर्मपत्नी श्रीमती कीर्ति देवलिया भी उपस्थित थीं।
राज्य मंत्री श्री सारंग ने कहा कि आजादी के बाद आई सरकारों ने आम नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अराजकता भरा माहौल दिया है। इससे लोगों में देश के प्रति कर्तव्यबोध विकसित नहीं हो पाया। इसकी वजह हमारी चुनाव प्रणाली रही है। आजाद हिंदुस्तान में पहली बार लाल किले की प्राचीर से दिया गया भाषण भी राजनीतिक मजबूरियों की उपज था और आज भी देश का हर नेता राजनीतिक नजरिए से ही अपना भाषण देता है। इसकी वजह ये है कि उसे अगले पांच सालों में एक बार फिर चुनाव जीतना होता है जिसके लिए उसे अपने राजनैतिक हितों पर गौर करना पड़ता है।
उन्होंने किसी राजनैतिक दल का नाम लिए बगैर कहा कि आज देश में व्यक्ति निर्माण के प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए वे सरकार से बात करेंगे कि आम लोगों में सोशल मीडिया के सदुपयोग की समझ पैदा करने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि रोटी,कपडा और मकान तो जेल में भी मिल जाते हैं पर वहां जाने वाले समाज के साथ से वंचित कर दिए जाते हैं। इसलिए जब समाज सबसे महत्वपूर्ण अवयव है तो इसे जोड़ने में सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे स्वयं सोशल मीडिया पर चलाए जाने वाले आधारहीन दुष्प्रचार अभियानों का शिकार होते रहे हैं। कई बार किसी व्यक्ति विशेष की राष्ट्रविरोधी दुर्भावना को भी सोशल मीडिया पर संरक्षित किया जाने लगता है। बाद में ये कैम्पेन झूठे निकलते हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर चर्चा करने वालों की सामाजिक जवाबदारी भी तय होनी चाहिए।
प्रमुख वक्ता के तौर पर राज्यसभा टीवी नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक राजेश बादल ने कहा कि सीमित संसाधनों के दौर में भुवन भूषण देवलिया जैसे समर्पित पत्रकार आंचलिक पत्रकारों को जोड़ने वाली कड़ी थे। वे पत्रों के माध्यम से आंचलिक पत्रकारों से संवाद स्थापित करते थे और उनका मार्गदर्शन करते थे। देवलिया जी स्वयं पत्रकारिता के चलते फिरते संस्थान थे। उन्होंने कहा कि डॉ.सर हरिसिंह गौर विवि, सागर के पत्रकारिता विभाग को स्व. भुवन भूषण देवलिया के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध कार्य करना चाहिए। इससे समाज को संवारने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को मार्गदर्शन मिलता रहेगा। श्री बादल ने कहा कि सोशल मीडिया पश्चिमी देशों में विकसित हुआ है। उन देशों ने अपने सामाजिक बिखराव को समेटने में इसका इस्तेमाल किया। जबकि हमारे देश में इसे हम सामाजिक बिखराव के कारणों पर आक्रोश व्यक्त करने के लिए उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम कभी असहिष्णु नहीं रहे पर आज सोशल मीडिया लोगों को गाली देने का माध्यम भी बन गया है। इसके बावजूद सोशल मीडिया कई सामाजिक बदलावों का जनक भी बना है। इसलिए इसके सदुपयोग के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
प्रमुख वक्ता के रूप में जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के दिल्ली सेंटर में प्रोफेसर और सागर विवि के पत्रकारिता के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रदीप कृष्णात्रे ने कहा कि स्वर्गीय देवलिया के सामाजिक संपर्कों और विभाग के अध्यापकों के बीच समन्वय के कारण ही सागर के पत्रकारिता विभाग ने उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने बहुत तेजी से अपना असर जमाया है। अब यहां लोकप्रियता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है जबकि पुरातन मीडिया में विश्वसनीयता पर अधिक जोर दिया जाता था। पहले समाचार कुछ ही समय तक चर्चा में रहता था पर सोशल मीडिया के आ जाने से समाचार की अवधि लंबी हो गई है। इसलिए घटनाओं पर काफी लंबे समय तक चर्चाएं होती रहती हैं।
श्री कृष्णात्रे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनता से जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें अब प्रेस वार्ता करने की जरूरत नहीं पड़ती वे सीधे जनता के बीच पहुंच जाते हैं। इस बदले हालात में पत्रकारिता का स्वरूप कैसा होना चाहिए फिलहाल इस पर कोई स्पष्ट नजरिया अब तक नहीं बन सका है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सड़क पर सही गाड़ी चलाने के लिए किसी आजादी की जरूरत नहीं होती उसी तरह सोशल मीडिया पर सही गलत का फैसला भी हमें स्वयं करना होगा। न तो इस पर किसी प्रकार का अंकुश लगाया जाना चाहिए और न ही इस पर समाज विरोधी लोगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जिस तरह मिलिटरी रूम में दुश्मन के सभी पहलुओं पर विचार होता है उसी तरह सोशल मीडिया पर समाज के सभी पहलुओं पर विचार होना चाहिए। सही गलत का फैसला जनता स्वयं कर लेती है।
समिति की ओर से वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरया ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक पत्रकारिता के प्रति स्व. भुवन भूषण देवलिया जी की जो सोच थी ये कार्यक्रम उस संकल्प का प्रकटीकरण है। इससे पता चलता है कि आपके अच्छे कामों की पदचाप आपके जाने के बाद भी गूंजती रहती है। पत्रकार राजेश सिरोठिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। जनसंपर्क अधिकारी अशोक मनवानी ने कहा कि श्री देवलिया के अवसान के 26 वर्ष बाद भी उनके विद्यार्थी उन्हें शिद्दत से याद करते हैं। उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय था और उन्होंने सैकड़ों नवोदित पत्रकारों को लेखन के गुर सिखाए।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री पद्म भंडारी ने सोशल मीडिया पर बढ़ रहे अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा के लिए खुले सत्र का आयोजन भी किया जिसमें कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में पूर्व संचालक भाषा और इतिहासकारशम्भू दयाल गुरू, स्वर्गीय देवलिया के सुपुत्र आशीष देवलिया, श्री सतीश एलिया, सुश्री अपर्णा एलिया, श्री व्ही.के. दुबे, सुश्री अरुणा दुबे, उप संचालक जनंसपर्क श्री अजय वर्मा, सर्वश्री मनोज पाठक, पुष्पेन्द्र पाल सिंह, सागर से आए पत्रकार रजनीश जैन सहित अनेक पत्रकार, जनसंपर्क अधिकारी और नागरिकगण उपस्थित थे।
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