मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भाजपा ने राज्यसभा चुनावों के लिए रविवार 11 फरवरी को बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। यूपी से आरपीएन सिंह, सुधांशु त्रिवेदी, चौधरी तेजवीर सिंह, साधना सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, नवीन जैन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया है।
हरियाणा से सुभाष बराला, बिहार से धर्मशीला गुप्ता और भीम सिंह, उत्तराखंड से महेंद्र भट्ट, बंगाल से सामिक भट्टाचार्य, कर्नाटक से नारायणा कृष्णासा भांडगे और छ्त्तीसगढ़ से राजा देवेंद्र प्रताप सिंह का नाम लिस्ट में शामिल है।
राज्यसभा चुनाव के लिए 27 फरवरी को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होगी। इसी दिन वोटिंग के बाद चुनाव के नतीजों का ऐलान कर दिया जाएगा। उम्मीदवारों के नामांकन की आखिरी तारीख 15 फरवरी है।
भाजपा ने छत्तीसगढ़ से राजा देवेंद्र प्रताप सिंह को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय का कार्यकाल अप्रैल में खत्म होने वाला है। सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ की पहली निर्वाचित राज्यसभा सांसद थीं। तब 49 विधायकों वाली भाजपा की प्रत्याशी सरोज पांडेय को 51 वोट मिले थे। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका था, जब राज्यसभा के लिए मतदान किया गया। पिछली बार कांग्रेस ने लेखराम साहू को उतारा था, लेकिन उनको पार्टी के ही पूरे वोट नहीं मिले थे।
यूपी के गाजीपुर जिले की रहने वाली संगीता बलवंत को भी बीजेपी राज्यसभा भेज रही है। 2022 चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री डॉ. संगीता बलवंत को जगह मिली थी। डॉ. संगीता बलवंत का जन्म गाजीपुर में हुआ। इनके पिता स्व. रामसूरत बिंद रिटायर्ड पोस्टमैन थे। छात्र जीवन से ही उनको राजनीति का शौक रहा है।
इसके साथ-साथ उन्हें पढ़ाई और कविता का बहुत शौक रहा। डॉ. संगीता स्थानीय पीजी कॉलेज, गाजीपुर छात्रसंघ की उपाध्यक्ष भी रही है। इनका विवाह स्थानीय जमानियां कस्बा में डॉ. अवधेश से हुआ है, जो पेशे से होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ. संगीता बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं और निर्वाचित घोषित हुई थीं।
डॉ. संगीता राजनीतिज्ञ होने के साथ- साथ एक लेखिका भी हैं और साहित्य में रुचि रखती हैं। डॉ. संगीता बिंद (ओबीसी) जाति से आती हैं, और पूर्वांचल में ये वोट बैंक काफी संख्या में है। ये जमानियां क्षेत्र से निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य भी रही हैं।
नवीन जैन आगरा के सबसे बड़े कारोबारियों में आते हैं। बीजेपी में उनकी अच्छी पकड़ है, वो कई बड़े नेताओं के करीबी भी माने जाते हैं। 2017 में जब उन्होंने आगरा महापौर चुनाव लड़ा था उस वक्त उन्होंने 400 करोड़ रुपए अपनी संपत्ति घोषित की थी। नवीन जैन 2017 में नगर निगम चुनाव लड़ने वाले सबसे अमीर प्रत्याशी थे। इस बार भी आगरा मेयर सीट पर उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही थी, लेकिन तब ये सीट एससी महिला के लिए आरक्षित हो गई थी। इसलिए इस बार जैन मेयर चुनाव नहीं लड़ पाए थे।
चंदौली के मुगलसराय विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 2014 में विधायक चुने जाने से पहले साधना सिंह चंदौली जिले के व्यापार मंडल की नेता के रूप में जानी जाती थीं। साल 2000 में राजनीति में कदम रखने वाली साधना सिंह ने जिला पंचायत सदस्य के रूप में भी चंदौली से विजय हासिल की थी।
2017 में भी साधना सिंह विधायक चुनी गईं, लेकिन 2022 के चुनाव में वह हार गईं। जनवरी 2019 में चंदौली जिले से बीजेपी विधायक साधना सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र भाषा का उपयोग करके एक बार फिर चर्चा में आई थीं।
आरपीएन सिंह कुशीनगर पडरौना से 3 बार विधायक रहे हैं, 2009 में कुशीनगर से लोकसभा सांसद भी बने, लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में हार गए थे।
उत्तराखंड से राज्यसभा के लिए महेंद्र भट्ट का नाम तय किया गया है। वे फिलहाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हैं। भट्ट मौजूदा राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की जगह राज्यसभा जाएंगे। भट्ट बद्रीनाथ से विधायक भी रह चुके हैं।
राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव की प्रक्रिया अन्य चुनावों से काफी अलग है। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। यानी राज्यसभा सदस्यों का चुनाव सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि राज्यसभा सदस्यों को चुनते हैं।
राज्यसभा चुनाव में राज्यों के विधायक मतदान करते हैं। इस चुनाव में सीधे जनता वोटिंग नहीं करती है। इस चुनाव में जिस पार्टी के पास विधायकों की संख्या अधिक होती है उस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय होती है।
राज्यसभा सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। जिस राज्य में जितनी जनसंख्या है उस राज्य को उसी हिसाब से सीटें मिलती हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 31 राज्यसभा की सीटें हैं। राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है।
राज्यसभा एक स्थायी सदन है। यानी कि ये कभी भंग नहीं हो सकता है। इसके एक तिहाई सदस्य हर दो साल के बाद रिटायर होते हैं। राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। लोकसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है और वह अस्थायी सदन है।
देश में राज्यसभा सीटों की कुल संख्या 245 हैं। इनमें से 233 सीटों पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होते हैं और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।
Comments