मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मंगलवार को हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक यादव के झूंसी स्थित मकान के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दोपहर 12 बजे सुनवाई शुरू की। कोर्ट में मौजूद पीडीए के जोनल अधिकारी संजीव उपाध्याय ने सफाई दी कि दो नवंबर को वकील के घर को ध्वस्त किए जाने के दौरान अगले दिन हाईकोर्ट में सुनवाई की उन्हें जानकारी नहीं थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूंसी में एक अधिवक्ता के घर को तोड़े जाने के मामले की सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई मनमानी के लिए नहीं है। घर की एक ईंट रखने में वर्षों लग जाते हैं, जबकि तोड़ने में कुछ पल। बुलडोजर कार्रवाई से हैरान कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के उपाध्यक्ष से 20 नवंबर तक यह बताने को कहा है कि ध्वस्तीकरण के नाम पर अब तक क्या-क्या और कैसे किया। भविष्य में क्या करने की योजना है।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मंगलवार को हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक यादव के झूंसी स्थित मकान के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दोपहर 12 बजे सुनवाई शुरू की। कोर्ट में मौजूद पीडीए के जोनल अधिकारी संजीव उपाध्याय ने सफाई दी कि दो नवंबर को वकील के घर को ध्वस्त किए जाने के दौरान अगले दिन हाईकोर्ट में सुनवाई की उन्हें जानकारी नहीं थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप किसी के भी घर बुलडोजर ले कर खड़े होंगे और वह आपकाे मुकदमे की जानकारी न दे यह संभव नहीं। वह भी तब जब वो खुद वकील हो।
जोनल अधिकारी केे बयान से नाराज मुख्य न्यायाधीश ने कहा बुलडोजर की कार्रवाई मनमानी के लिए नहीं है। घर की एक ईंट रखने में वर्षों लग जाते हैं। इस बीच पीडीए की कार्रवाई से आहत कई अधिवक्ता भी आ गए। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट से कहा कि पीडीए के लोग कभी नक्शे के नाम पर तो कभी तकनीकी खामियों का हवाला देकर आर्थिक दोहन करते हैं।
कोर्ट ने पीडीए के जोनल अधिकारी संजीव उपाध्याय से आर्थिक दोहन पर जवाब मांगा। वह मौन रहे तो कोर्ट ने नोटिस भेजने की प्रक्रिया पूछी। बताया गया कि विधि अधिकारी की राय पर नोटिस दिए जाते हैं। कोर्ट ने पीडीए के विधि अधिकारी से पूछा कि ध्वस्तीकरण का नोटिस स्वविवेक देते हैं कि ऊपर से आए फरमान के मुताबिक। उन्होंने बताया कि नियमानुसार जारी करते हैं।
बार के अध्यक्ष ने इसका प्रतिवाद किया। कहा, नोटिस के जरिए पीडीए में भ्रष्टाचार का खेल खेला जाता है। कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए विधि अधिकारी से पीडीए में रखे नोटिस तत्काल पेश करने का आदेश दिया। हिदायत दी कि किसी प्रकार की हेराफेरी न हो। पीडीए से नोटिस लाने के लिए कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति से वकीलों की टीम भी गठित की। इसे लेकर पीडीए तक खलबली मच गई।
पीडीए अधिकारी करीब ढाई बजे नोटिस की 300 प्रतियां लेकर कोर्ट पहुंचे। जोनल अधिकारी ने बताया कि शहर में 50 अवैध निर्माण तोड़े गए हैं। अकेले झूंसी जोन में 300 लोगों को नोटिस जारी किया गया है। अदालत ने 20 नवंबर की तिथि नियत करते हुए पीडीए के उपाध्यक्ष, जोनल अधिकारी और मुख्य अभियंता से हलफनामे पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
पीडीए के अधिकारी उस वक्त बगलें झांकने लगे, जब अदालत में बार अध्यक्ष ने सुबूत के बतौर एक ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी पेश कर दी। इसमें दावा किया गया था कि भवन के निर्माण के दौरान प्राधिकरण के लोग पहुंचकर आम लोगों का उत्पीड़न करते हैं। इस सीडी में इसका सुबूत है। कोर्ट ने पीडीए के अधिकारियों से जवाब मांगा तो वह चुप रहे। कोर्ट ने टिप्पणी कि... इसे यहीं चलवा दें, देख लीजिए।
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