मल्हार मीडिया भोपाल।
मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) पर कैग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया है कि जिन रोगियों को पहले मृत दिखाया, वे अभी भी इलाज करा रहे हैं।
वहीं अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्टीकरण देते हुआ कहा कि आयुष्मान भारत योजना को लेकर मीडिया में जो दावे किए जा रहे हैं वह भ्रामक हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि लाभार्थी की पात्रता तय करने में मोबाइल नंबरों की कोई भूमिका नहीं है।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 की अवधि को कवर करने वाले आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री- जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) पर निष्पादन लेखा परीक्षा के परिणाम शामिल हैं, 2023 के मानसून सत्र में संसद में रखी गई थी। इसकी जानकारी सामने आने के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार की आलोचना की।
बयान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया गया है कि आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई के तहत, अस्पताल में भर्ती होने के तीन दिन बाद की तारीख तक पूर्व-प्राधिकरण के लिए अस्पतालों को अनुरोध शुरू करने की अनुमति है। यह सुविधा सीमित कनेक्टिविटी, आपातकालीन स्थितियों आदि के मामले में उपचार की मनाही करने से बचने के लिए प्रदान की गई है। कुछ मामलों में, मरीजों को भर्ती किया गया और उनकी पूर्व-प्राधिकरण बढ़ाने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
ऐसे मामलों में, मृत्यु की तारीख, भर्ती की तारीखके समान या उससे पहले की होती है। इसके अतिरिक्त उसी अस्पताल द्वारा मृत्यु की सूचना भी दी गई है जिसने पूर्व-प्राधिकरण अनुरोध प्रस्तुत किया था। इस प्रकार, अगर अस्पताल का उद्देश्य प्रणाली को धोखा देने का होता, तो उसने आईटी सिस्टम पर रोगी को मृत घोषित करने में कोई रूचि नहीं दिखाई होती।
यह ध्यान रखना उचित है कि रिपोर्ट में रेखांकित 50 फीसदी से अधिक मामले सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा दर्ज किए गए हैं, जिनके पास धोखाधड़ी करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन प्राप्त नहीं है, क्योंकि पैसे की प्रतिपूर्ति अस्पताल के खाते में की जाती है। इसके अलावा, उपचार के दौरान मृत्यु के मामले में, अस्पताल को अनिवार्य रूप से मृत्यु रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
बयान में कहा गया है कि ऐसे कई उदाहरण भी हैं जहां मरीजों को निजी मरीजों (स्व-भुगतान) के रूप में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब उन्हें योजना का पता चला, तो उन्होंने अस्पताल से उन्हें मुफ्त इलाज के लिए योजना के तहत पंजीकृत करने का अनुरोध किया। पिछली दिनांकित पूर्व-प्राधिकरण की अनुमति देने वाली सुविधा लोगों को अपनी जेब से होने वाले खर्च को बचाने में मदद करती है।
आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई आधार पहचान के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान करता है जिसमें लाभार्थी अनिवार्य आधार आधारित ई-केवाईसी की प्रक्रिया से गुजरता है। आधार डेटाबेस से प्राप्त विवरण स्रोत डेटाबेस से मेल खाते हैं और तदनुसार, लाभार्थी विवरण के आधार पर आयुष्मान कार्ड के लिए अनुरोध स्वीकृत या अस्वीकार कर दिया जाता है। इस प्रकार, सत्यापन प्रक्रिया में मोबाइल नंबरों की कोई भूमिका नहीं है।
2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना स्वास्थ्य देखभाल की मांग करने वाली गरीब और कमजोर आबादी के लिए अपनी जेब से होने वाले खर्च को कम करने के उद्देश्य से की गई थी। इस स्वास्थ्य बीमा योजना को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शुरू किया गया था।
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